मिर्जा गुलजार बेग, मुजफ्फरनगर
सरकार भले ही चिकित्सा सुविधा अच्छे होने के लाख दावे करे, लेकिन वास्तविकता कुछ और है। सरकारी अस्पताल में एन्टी रेबीज के इंजेक्शनों की लगातार कमी चल रही है। बंदर के काटने पर एक महिला को एन्टी रेबीज का इंजेक्शन नहीं मिला। महिला की 15 दिन बाद मौत हो गई।
भोपा थाना क्षेत्र के ग्राम फिरोजपुर में बंदरों ने आतंक मचाया हुआ है। बंदर आए दिन किसी महिला या बच्चे को अपना शिकार बना रहे हैं। 28 अगस्त को फिरोजपुर निवासी 50 वर्षीय महिला शिमला पत्नी सोमपाल को गांव में ही एक बंदर ने काट लिया था। शिमला के परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे थे। जहां पर उन्हें कहा गया कि एन्टी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। शिमला के परिजन उसे वापस गांव लेकर आ गए। बताया जाता है कि शिमला को रेबीज की बीमारी हो गई, जिसके चलते उसकी सोमवार की सुबह मौत हो गई। ग्रामीणों ने मांग की है कि या तो रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाएं या फिर बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़ा जाए।
ग्रामीणों को देना पड़ता है पहरा
फिरोजपुर में बंदरों का आतंक का यह हाल है कि इस गांव की महिलाएं खाना तभी बना सकती है, जब एक व्यक्ति डंडा लेकर बंदरों से इनकी इफाजत कर सके। बच्चों और घर के लोगों को खाना खाने के लिए घर के दरवाजे बंद करने पड़ते हैं।
‘मोरना पीएचसी पर हैं इंजेक्शन’
मोरना पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्जुन सिंह ने बताया कि मोरना पीएचसी पर एन्टी रेबीज इंजेक्शन मौजूद हैं, जो सप्ताह में तीन दिन तक लगाए जाते हैं। मोरना पीएचसी पर आने वाले सभी लोगों को एन्टी रेबीज इंजेक्शन नियमित दिए जा रहे हैं।
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क्या कहते हैं वन रेंजर
मोरना वन रेंजर राजसिंह पुण्डीर ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं है, यदि इस तरह की शिकायत प्राप्त होती है तो ग्रामीणों की समस्या का समाधान कराया जाSगा।
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