हाइलाइट्सगाजियाबाद में पीएम आवास योजना के घर फर्जी कागजात के आधार पर आवंटित किए जाने के मामले की सीबीआई जांच शुरू हो गई हैसीबीआई की टीम ने जीडीए अधिकारियों से मुलाकात करके पीएम आवास योजना से जुड़े हुए सभी तरह के कागजात की मांग की है सीबीआई जांच शुरू होने के बाद जीडीए और डूडा के अधिकारियों की टेंशन काफी बढ़ गई है क्योंकि डूडा दस्तावेजों का सत्यापन करती हैगाजियाबाद
गाजियाबाद में पीएम आवास योजना के घर फर्जी कागजात के आधार पर आवंटित किए जाने के मामले की सीबीआई जांच शुरू हो गई है। शुक्रवार को सीबीआई की टीम जीडीए पहुंची। अधिकारियों से मुलाकात करके पीएम आवास योजना से जुड़े हुए सभी तरह के कागजात की मांग की।
पीएम आवास योजना के ब्रोशर, अभी तक आए हुए शासनादेश, कब शासन की तरफ से भुगतान का शेड्यूल चेंज किया गया। इसके अलावा जिन लोगों को पीएम आवास योजना का आवंटन किया गया है, उनकी पूरी डिटेल और उनके द्वारा जमा किए गए दस्तावेज भी देने होंगे।
सीबीआई की टीम आई थी। वह आवंटन की प्रक्रिया जानना चाह रही थी। इसके लिए संबंधित अधिकारी के पास भेज दिया गया है। जो दस्तावेज उन्हें चाहिए, उसे उपलब्ध करवा दिया जाएगा। जांच के बाद ही गड़बड़ी का पता चल सकेगा।
कृष्णा करुणेश, वीसी, जीडीए
फिलहाल जीडीए की टीम सीबीआई की टीम द्वारा मांगे गए कागजात को एकत्रित करने में लगी हुई है। 2 से 3 कार्य दिवस में सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध करवाए जाने की बात कही जा रही है। सीबीआई जांच शुरू होने के बाद जीडीए और डूडा के अधिकारियों की टेंशन काफी बढ़ गई है, क्योंकि डूडा की तरफ से जमा किए गए दस्तावेज का सत्यापन किया जाता है। जीडीए इस सत्यापन के आधार पर ही लॉटरी के माध्यम से पीएम आवास योजना के लिए लाभार्थियों को भवनों का आवंटन करता है।
पीएमओ तक की गई थी शिकायत
पिछले दिनों लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर की तरफ से प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पीएम आवास योजना में रोहिंग्या और बांग्लादेशी समेत अन्य कई बाहरी लोगों को फर्जी तरीके से पीएम आवास आवंटित किए जाने की शिकायत की थी। संभावना जताई जा रही है कि इसी के आधार पर सीबीआई की तरफ से इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
सितंबर 2019 में भी आया था मामला
सितंबर 2019 में पीएम आवास योजना को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। तत्कालीन डीएम अजय शंकर पांडे ने मामले की जांच कराई थी। जांच के बाद 17 लोगों पर एफआईआर भी दर्ज करवाई गई थी। इसमें 5 लोग सर्वेयर कंपनी के कर्मचारी भी थे। साथ ही कंपनी पर डीएम की तरफ से पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
ऐसे होता है खेल
एक अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन मांगा जाता है। ऑनलाइन आवेदन में फर्जी कागजात जमा करवा दिए जाते हैं। सत्यापन सही तरीके से नहीं होने के बाद फर्जी कागजात लगाने वाले लोगों को आवंटन हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में पैसे का खेल चलता है। कई बार पात्र व्यक्ति को अपात्र घोषित कर दिया जाता है, जबकि अपात्र को पात्र घोषित किया जाता है।
जीडीए की भूमिका रहती है कम
जीडीए वीसी कृष्णा करुणेश का कहना है कि पीएम आवास योजना के आवंटन में जीडीए की भूमिका कम होती है। ऑनलाइन आवेदन जो आते हैं उसे सत्यापन के लिए डूडा के पास भेजा जाता है। वहां से पात्र लोगों की सूची आती है। उसके आधार पर जीडीए कमिटी के माध्यम से लॉटरी के जरिए भवनों का आवंटन कर देता है।
1000 से अधिक भवनों का हुआ है आवंटन
जीडीए के बनाए गए पीएम आवास योजना के 1000 से अधिक भवनों का आवंटन किया जा चुका है। इसमें मधुबन बापूधाम के 856 भवन और निवाड़ी के 206 भवन शामिल हैं। इसके अलावा कुछ प्राइवेट बिल्डर के भी पीएम आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले भवनों का भी आवंटन किया गया है।
सांकेतिक तस्वीर
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