रामपुर
हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन ने मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी से जमीन लेने की कार्यवाही तेज़ कर दी है। राजस्व अभिलेखों में कोर्ट का आदेश दर्ज करा दिया गया। गुरुवार को ज़मीन कब्ज़े की कार्यवाही के चलते प्रशासन की टीम जौहर यूनिवर्सिटी पहुंची। तहसीलदार ने बताया कि जौहर यूनिवर्सिटी के वीसी सुल्तान मोहम्मद खान ने दखलनामे पर साइन नहीं करे। वहीं, जौहर यूनिवर्सिटी के वीसी सुल्तान मोहम्मद खान ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि ज़मीन के मामले में वीसी साइन के लिए अधिकृत ही नहीं है, वो साइन नही कर सकता है।
बता दें कि यूनिवर्सिटी को जौहर ट्रस्ट संचालित करता है और ट्रस्ट के नाम ही यह जमीन है। ट्रस्ट के अध्यक्ष सांसद आजम खान हैं और यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति हैं। वह डेढ़ साल से सीतापुर जेल में बंद हैं।
हाई कोर्ट ने दो दिन पहले जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन जगदम्बा प्रसाद गुप्ता द्वारा दिए गए फैसले को सही ठहराया था। अपर जिलाधिकारी ने इसी साल 16 जनवरी को फैसला दिया था कि जौहर यूनिवर्सिटी को संचालित करने वाले मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने शर्तों और नियमों का उल्लंघन किया है। जौहर ट्रस्ट ने शासन से 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने के लिए अनुमति ली थी। तब कहा था कि ट्रस्ट चैरिटी का कार्य करता है। इस पर शासन ने कुछ शर्तों के साथ अनुमति दे दी थी।
16 जनवरी को दिया था आदेश
मामले में अपर जिलाधिकारी की अदालत में वाद दायर कर दिया गया। 16 जनवरी 2021 को अपर जिलाधिकारी ने शर्तों का उल्लंघन करने पर यूनिवर्सिटी की 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन राज्य सरकार में निहित करने के आदेश कर दिए। इस फैसले के विरोध में ट्रस्ट हाई कोर्ट चला गया। छह सितंबर को हाई कोर्ट ने ट्रस्ट की याचिका खारिज करते हुए अपर जिलाधिकारी के फैसले को सही ठहराया। हाई कोर्ट का आदेश मिलते ही प्रशासन भी सक्रिय हो गया।
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दो गवाहों की दखल से कार्यवाही पूरी की जाएगी
मौके पर पहुंचे तहसीलदार प्रमोद कुमार ने बताया कि हाई कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद कब्जे और दखल के लिए यूनिवर्सिटी आए थे। वीसी साहब ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। अब दो गवाहों की दखल से कार्यवाही पूरी कर ली जाएगी, जो नियम है।
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