‘कुछ इलाहाबाद में सामां नहीं बहबूद के, यां धरा क्या है ब-जुज़ अकबर के और अमरूद के’ कहने वाले नामवर शायर अकबर इलाहाबादी को क्या मालूम था कि जो शहर कभी उनके नाम से जाना जाता था, जिसकी चिट्ठियों में पते की जगह सिर्फ अकबर इलाहाबादी लिखा होता था, उसके इस दुनिया से रुखसत होने के बाद कोई निशानी बाकी नहीं रहेगी। 16 नवंबर 1846 को इलाहाबाद में पैदा हुए अकबर अदालत में एक छोटे मुलाजिम थे, लेकिन बाद में कानून का अच्छा ज्ञान प्राप्त करने के बाद वह सेशन जज बने और इसी पद से रिटायर हुए।
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