देवरिया
सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन देवरिया जिले के अनपढ़ युवकों ने ठगी का ऐसा तरीका निकाला, जिसे सुनकर बड़े-बड़े शातिरों का दिमाग भी चकरा जाए। ये ठग अपने हाथ में एमसिल लगाकर लोगों से हाथ मिलाते थे। एमसिल के चलते सामने वाले के हाथ का छाप ठगों के हाथ में लग जाता था। आरोपी उस छाप से अंगूठे का क्लोन बनाकर पैसा निकाल लेते थे। इस गिरोह में बिहार का भी एक युवक शामिल है। पुलिस के मुताबिक, साइबर ठगी का यह एक नया तरीका है। पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत चार युवकों को गिरफ्तार किया है।
एमसिल लगाकर मिलाते थे हाथ अंगुली दबा कर ले लेते थे निशान
पुलिस अधीक्षक डॉ. श्रीपति मिश्र ने बताया कि इस गिरोह के सदस्य पता लगाते थे कि किस व्यक्ति के बैंक खाते में ज्यादा पैसा है। फिर उससे दोस्ती करने के बहाने अपने हाथ में एमसिल लगाकर हाथ मिलाते थे। इनके हाथ मिलाने का तरीका भी अजीब था। गिरोह के सदस्य हाथ मिलाने के दौरान सामने वाले की अंगुली पकड़ते थे और फिर प्रेम प्रदर्शित करने के बहाने अंगुली कस के दबा देते थे। इनके हाथ में एमसिल लगे होने के चलते सामने वाले के हाथ का छाप ठगों के हाथ में आ जाता था।
गिरोह के सदस्य अंगूठे का निशान वाले व्यक्ति को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर या किसी अन्य बहाने से उनके आधार कार्ड का नंबर भी हासिल कर लेते थे। फिर आधार इनेबल बैंकिंग ऐप के माध्यम से आधार कार्ड और अंगूठे के क्लोन से उस व्यक्ति के खाते का पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफर कर देते थे। इस गिरोह ने अभी तक देवरिया में लगभग आधा दर्जन लोगों के साथ ठगी की है।
सरगना समेत 4 गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में गिरोह के सरगना अच्छेलाल, विशाल, प्रदीप निवासी कामधेनवा थाना रामपुर जिला देवरिया और सोनू यादव निवासी शंकरपुर थाना बैकुंठपुर जिला गोपालगंज बिहार को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 17 अंगूठे के क्लोन, 18 पैकेट एमसिल, 10 डिब्बा फेवीकोल, 22 आधार कार्ड , एक थंब इंप्रेशन मशीन एवं 52 हजार भी बरामद हुए हैं।
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असम में ठगी सीख कर बनाई थी अनपढ़ों की गैंग
गिरोह के सरगना अच्छेलाल ने बताया उसने स्कूल का मुंह भी नहीं देखा है। कुछ वर्ष पूर्व वह असम में वेल्डिंग का काम करने गया था। जहां असम के ही एक स्थानीय व्यक्ति से ठगी का यह नया तरीका सीखा। वहां से वापस देवरिया आकर उसने अनपढ़ युवकों की एक गैंग बनाई और ठगी करने लगा। इस गिरोह के सदस्य अपने गांव के लोगों एवं परिचितों को खासकर टारगेट बनाते थे, क्योंकि उनसे हाथ मिलाने में आसानी रहती थी।
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