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प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने प्रस्ताव तैयार करने के दिए निर्देश
मुंबई और बंगलूरू के लिए हवाई यात्रा करने वालों में 70 फीसदी मुसाफिर दूसरे जिलों के
बरेली। बरेली एयरपोर्ट पर दो विमान खड़े होने की व्यवस्था न होने से नई फ्लाइट के संचालन में आ रही अड़चन जल्द दूर होने की उम्मीद है। प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी ने बरेली एयरपोर्ट पर एक और एप्रन बनाए जाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। एप्रन बनने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों और देश के प्रमुख शहरों के लिए डोमेस्टिक फ्लाइट का संचालन शुरू होने की संभावना है।
प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने मंगलवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर विजबिलिटी अध्ययन कराने का सुझाव दिया। मुलाकात के दौरान बरेली एयरपोर्ट में एक अतिरिक्त एप्रन बनाने को कहा ताकि दो विमान एक साथ खड़े हो सकें। एयरपोर्ट प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक अभी एक ही एप्रन है, जो त्रिशूल एयरबेस के अधीन है। सुरक्षा कारणों की वजह से वहां रात में एयर बस को खड़ा नहीं किया जा रहा है। लिहाजा दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू के लिए विमान सिर्फ दिन में ही उड़ान भर रहे हैं।
उम्मीद जताई है कि अगर दूसरा एप्रन एयरपोर्ट प्रशासन के अधीन रहा तो वहां रात्रि में भी विमान ठहर सकेंगे। जो सुबह अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करेंगे। इससे हवाई सेवा, जो अभी छह घंटे तक ही सीमित है, वह सुबह से शाम पांच बजे तक करीब 11 घंटे उपलब्ध हो जाएगी। इसके अलावा गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी समेत प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी हवाई सेवा मुहैया होने की उम्मीद है।
सुबह जाकर शाम को घर वापसी की चाहत
दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों के लिए फ्लाइट शुरू होने के बाद कारोबारी लगातार एक ही दिन में बरेली से जाकर लौटने के लिए हवाई सेवा उपलब्ध कराने की लगातार मांग कर हैं। बताते हैं कि रात्रि में ठहराव न होने की वजह से बरेली से सीधे फ्लाइट की उड़ान मुमकिन न होने से आगमन और प्रस्थान के शेड्यूल के तहत ही उड़ान हो रही है। नया एप्रन बनने से लोगों को राहत मिल सकती है।
रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद मिला रन-वे
बरेली से मुंबई और बंगलूरू के लिए एटीआर प्लेन के बजाय एयरबस संचालन का प्रस्ताव तैयार होने के बाद उड़ान के लिए रन-वे की समस्या थी। एयरपोर्ट के अधिकारी और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से त्रिशूल एयरबेस के रन-वे का इस्तेमाल करने की पहल शुरू हुई। करीब चार माह के प्रयास के बाद आखिरकार रक्षा मंत्रालय से अनुमति मिलने पर रन-वे का प्रयोग हुआ और मुंबई, बंगलूरू के लिए हवाई सेवा शुरू हुई।
बरेली से पांच गुना ज्यादा हैं दूसरे जिलों के यात्री
बरेली एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए हवाई सेवा शुरू होने पर बरेली से 70 प्रतिशत और दूसरे जिलों से 30 प्रतिशत एयर ट्रैफिक मिल रहा है। एटीआर विमान की सीटों के सापेक्ष 70 से 75 फीसदी प्रतिदिन एयर ट्रैफिक है। वहीं, मुंबई और बंगलूरू के लिए स्थिति बिल्कुल उलट है। इन स्थानों के लिए 70 फीसदी यात्री दूसरे जिलों के हैं। इंडिगो प्रतिनिधि साकेत के मुताबिक प्रतिदिन 80 से 85 फीसदी एयर ट्रैफिक मिल रहा है।
उत्तराखंड से सबसे ज्यादा मिल रहे हैं यात्री
इंडिगो प्रतिनिधि ने बताया कि बरेली उत्तराखंड का गेट-वे बन गया है। बरेली से मुंबई और बंगलूरू के लिए 20 फीसदी तो उत्तराखंड से सर्वाधिक 40 फीसदी एयर ट्रैफिक मिल रहा है। शेष 40 फीसदी में पीलीभीत, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, बदायूं, कासगंज, रामपुर आदि जिलों के यात्री बरेली से मुंबई और बंगलूरू की यात्रा कर रहे हैं।
रक्षाबंधन के बाद कई दिन सीटें रहीं फुल
रक्षाबंधन के बाद से करीब पांच दिन तक मुंबई के लिए करीब 95 फीसदी और बंगलूरू के लिए सौ फीसदी सीटें फुल रहीं। हालांकि, त्योहार के बाद एयर ट्रैफिक कम होने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन 12 और 14 अगस्त से शुरू हुईं दोनों ही शहरों के लिए फ्लाइट कभी भी 80 फीसदी से कम यात्री लेकर नहीं उड़ीं। एयर ट्रैफिक बेहतर होने की वजह से जल्द लखनऊ तक उड़ान की कवायद चल रही है।
प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने प्रस्ताव तैयार करने के दिए निर्देश
मुंबई और बंगलूरू के लिए हवाई यात्रा करने वालों में 70 फीसदी मुसाफिर दूसरे जिलों के
बरेली। बरेली एयरपोर्ट पर दो विमान खड़े होने की व्यवस्था न होने से नई फ्लाइट के संचालन में आ रही अड़चन जल्द दूर होने की उम्मीद है। प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी ने बरेली एयरपोर्ट पर एक और एप्रन बनाए जाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। एप्रन बनने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों और देश के प्रमुख शहरों के लिए डोमेस्टिक फ्लाइट का संचालन शुरू होने की संभावना है।
प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने मंगलवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर विजबिलिटी अध्ययन कराने का सुझाव दिया। मुलाकात के दौरान बरेली एयरपोर्ट में एक अतिरिक्त एप्रन बनाने को कहा ताकि दो विमान एक साथ खड़े हो सकें। एयरपोर्ट प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक अभी एक ही एप्रन है, जो त्रिशूल एयरबेस के अधीन है। सुरक्षा कारणों की वजह से वहां रात में एयर बस को खड़ा नहीं किया जा रहा है। लिहाजा दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू के लिए विमान सिर्फ दिन में ही उड़ान भर रहे हैं।
उम्मीद जताई है कि अगर दूसरा एप्रन एयरपोर्ट प्रशासन के अधीन रहा तो वहां रात्रि में भी विमान ठहर सकेंगे। जो सुबह अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करेंगे। इससे हवाई सेवा, जो अभी छह घंटे तक ही सीमित है, वह सुबह से शाम पांच बजे तक करीब 11 घंटे उपलब्ध हो जाएगी। इसके अलावा गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी समेत प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी हवाई सेवा मुहैया होने की उम्मीद है।
सुबह जाकर शाम को घर वापसी की चाहत
दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों के लिए फ्लाइट शुरू होने के बाद कारोबारी लगातार एक ही दिन में बरेली से जाकर लौटने के लिए हवाई सेवा उपलब्ध कराने की लगातार मांग कर हैं। बताते हैं कि रात्रि में ठहराव न होने की वजह से बरेली से सीधे फ्लाइट की उड़ान मुमकिन न होने से आगमन और प्रस्थान के शेड्यूल के तहत ही उड़ान हो रही है। नया एप्रन बनने से लोगों को राहत मिल सकती है।
रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद मिला रन-वे
बरेली से मुंबई और बंगलूरू के लिए एटीआर प्लेन के बजाय एयरबस संचालन का प्रस्ताव तैयार होने के बाद उड़ान के लिए रन-वे की समस्या थी। एयरपोर्ट के अधिकारी और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से त्रिशूल एयरबेस के रन-वे का इस्तेमाल करने की पहल शुरू हुई। करीब चार माह के प्रयास के बाद आखिरकार रक्षा मंत्रालय से अनुमति मिलने पर रन-वे का प्रयोग हुआ और मुंबई, बंगलूरू के लिए हवाई सेवा शुरू हुई।
बरेली से पांच गुना ज्यादा हैं दूसरे जिलों के यात्री
बरेली एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए हवाई सेवा शुरू होने पर बरेली से 70 प्रतिशत और दूसरे जिलों से 30 प्रतिशत एयर ट्रैफिक मिल रहा है। एटीआर विमान की सीटों के सापेक्ष 70 से 75 फीसदी प्रतिदिन एयर ट्रैफिक है। वहीं, मुंबई और बंगलूरू के लिए स्थिति बिल्कुल उलट है। इन स्थानों के लिए 70 फीसदी यात्री दूसरे जिलों के हैं। इंडिगो प्रतिनिधि साकेत के मुताबिक प्रतिदिन 80 से 85 फीसदी एयर ट्रैफिक मिल रहा है।
उत्तराखंड से सबसे ज्यादा मिल रहे हैं यात्री
इंडिगो प्रतिनिधि ने बताया कि बरेली उत्तराखंड का गेट-वे बन गया है। बरेली से मुंबई और बंगलूरू के लिए 20 फीसदी तो उत्तराखंड से सर्वाधिक 40 फीसदी एयर ट्रैफिक मिल रहा है। शेष 40 फीसदी में पीलीभीत, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, बदायूं, कासगंज, रामपुर आदि जिलों के यात्री बरेली से मुंबई और बंगलूरू की यात्रा कर रहे हैं।
रक्षाबंधन के बाद कई दिन सीटें रहीं फुल
रक्षाबंधन के बाद से करीब पांच दिन तक मुंबई के लिए करीब 95 फीसदी और बंगलूरू के लिए सौ फीसदी सीटें फुल रहीं। हालांकि, त्योहार के बाद एयर ट्रैफिक कम होने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन 12 और 14 अगस्त से शुरू हुईं दोनों ही शहरों के लिए फ्लाइट कभी भी 80 फीसदी से कम यात्री लेकर नहीं उड़ीं। एयर ट्रैफिक बेहतर होने की वजह से जल्द लखनऊ तक उड़ान की कवायद चल रही है।
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