पंकज मिश्रा, हमीरपुर
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर शहर से यमुना पुल पार एक गांव में सैकड़ों साल पुराना श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर अब ढहने के मुहाने पर आ गया है। यहां खंडित मूर्ति स्थापित है। जिसे सुबह होते ही हर कोई श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करने जाता है।
कानपुर-सागर नेशनल हाइवे-34 के आनूपुर मोड़ गांव के निकट पश्चिम दिशा में स्थित बीबीपुर गांव में लक्ष्मीनारायण का मंदिर है। ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। जिसके इतिहास में कई राज छिपे हैं। मौजूदा में ये मंदिर खंडहर की शक्ल ले चुका है। यहां के बुजुर्ग रमाकांत बाजपेई ने बताया कि छोटेलाल बाजपेई के पुरुखों ने लक्ष्मीनारायण का मंदिर बनवाया था। मंदिर में विराजमान लक्ष्मीनारायण की अद्भुत मूर्ति स्थापित है। मंदिर के ठीक पीछे गौरीशंकर बाबा का मंदिर और सामने मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर भी स्थित है।
मंदिर के पास ही सैकड़ों साल पुराना एक अस्सी फीट गहरा कुआं भी है। यह स्थल बीस फीट के दायरे में है। शिवाकांत बाजपेई ने बताया कि किसी जमाने में लोग कुएं के पानी से लक्ष्मीनारायण की मूर्ति का जलाभिषेक करते थे। गांव के पुरुष, महिलाएं और किशोरियां सुबह होते ही मंदिर में खंडित मूर्ति का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना करती हैं। बताया कि करीब पैंतीस साल पहले बारिश के समय लोग मूर्ति का जलाभिषेक करना भूल गए, तब मंदिर के पास ही आकाशीय बिजली गिरी थी। गांव के लोग कांप उठे थे। उसी समय कुछ लोग बारिश के बीच मंदिर जाकर पूजा-अर्चना कर लक्ष्मीनारायण से माफी मांगी थी।
मूर्ति चुराने वाले का हुआ था सर्वनाश
बताया कि जहानाबाद के देवमऊ गांव का एक व्यक्ति बीबीपुर के पास यमुना नदी पार सिकरोढ़ी गांव ससुराल पैदल होते गया था। ससुराल से लौटने के दौरान इस मंदिर से लक्ष्मीनारायण की मूर्ति को चुराकर वह अपने घर ले गया था। अगले ही दिन उन्हें दंड भी मिला। बताया जाता है कि मूर्ति चुराने वाले का जवान बेटा अचानक मर गया, जबकि तीसरे ही दिन पत्नी की भी मौत हो गई थी।
सपने में चेतावनी से चोर ने मांगी थी माफी
पत्नी और बेटे की आकस्मिक मौत के बाद स्वप्न में लक्ष्मीनारायण ने चोर को चेतावनी दी कि उसे जहां ले लाये हो वही तुरंत पहुंचाओ, वर्ना पूरे इस परिवार में कोई जीवित नहीं बचेगा। तब मूर्ति को चुपके से मंदिर लाया गया था और वही पर रखकर चोर ने माफी भी मांगी थी। इसी बीच छोटेलाल बाजपेई ने उन्हें देख लिया था। चोर ने उनके पैरों में सिर रखकर कहा कि मूर्ति चुराने पर उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
चोर ने मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा को दिए थे चांदी के 25 सिक्के
छोटेलाल बाजपेई के पुत्र रमाकांत बाजपेई का कहना है कि चोर ब्राह्मण जाति का था। जिसकी एक आंख खराब थी। जिसे 24 घंटे में दंड मिला था। बताते हैं कि लक्ष्मीनारायण की मूर्ति की दोबारा स्थापना कराने को चोर ने चांदी के 25 सिक्के दिए थे। जिसे एक व्यक्ति ने हड़प लिए थे। मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा का पैसा हड़पने का दंड भी मूलचंद बाजपेई को भारी कीमत चुकानी पड़ी। पूरे जीवन भर वह चारपाई से उठ भी नहीं पाया था।
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प्राणप्रतिष्ठा दौरान खंडित हुई थी मूर्ति
गांव के बुजुर्ग रमाकांत बाजपेई ने बताया कि मंदिर में गिरते ही नारायण की मूर्ति खंडित हो गई थी, लेकिन लक्ष्मी की मूर्ति सही सलामत रही। पंडित छोटेलाल बाजपेई ने दोनों मूर्तियों को एक साथ कर मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा विधि-विधान से करवायी, तभी से मंदिर में पूजा-अर्चना होने लगी। इस मूर्ति के चमत्कार की किस्से गांव के हर व्यक्ति के जुबान पर है। गांव के कुछ लोगों ने मंदिर की जर्जर छत की मरम्मत भी कराई है।
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