मुजफ्फरनगर में चल रहा है किसानों की बड़ी महापंचायत 15 राज्यों के हजारों किसान महापंचायत में शामिल हुए यूपी चुनावों के मद्देनजर जाट-मुस्लिम राजनीति पर नजर लखनऊ/मुजफ्फरनगर
नरेंद्र मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। एक साल से ज्यादा समय हो गया किसानों को धरना-प्रदर्शन करते हुए पर अब तक इसका समाधान नहीं निकल पाया है। रविवार को एक बार फिर यूपी के मुजफ्फनगर में कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की महापंचायत चल रही है। इसमें 15 राज्यों से हजारों किसान शामिल हुए। अगले साल यूपी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत लगातार कहते आ रहे हैं कि किसान इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जमकर सबक सिखाएंगे।
मुजफ्फरनगर जाटलैंड का हिस्सा तो है ही, शहर के जिस जीआईसी ग्राउंड में महापंचायत चल रही है, वह मुस्लिम बहुल इलाका है। महापंचायत के दौरान की एक तस्वीर वायरल हो रही है। इस फोटो में बस सवार प्रदर्शनकारी किसान हैं, जिन्हें एक मुस्लिम शख्स जलपान करा रहा है। इस तस्वीर से पता चलता है कि 2013 में यहां जो भयानक दंगे हुए थे, उसके जख्म अब भर गए हैं। जाट और मुस्लिमों का भाईचारा इन दंगों की भेंट चढ़ गया था, पर अब ऐसा लगता है कि मन के घाव धीरे-धीरे भरने लगे हैं। जाटलैंड में किसानों के शक्ति प्रदर्शन के बीच यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या राकेश टिकैत एक बार फिर जाट-मुस्लिम पॉलिटिक्स साधने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में इस तरह की कोशिश नाकामयाब हो चुकी है।
महापंचायत में किसानों की भीड़
दंगों के बाद अजीत सिंह से नाराज हुआ जाट
आज पूरे देश भर में घूम-घूमकर महापंचायत और रैलियां करने वाले राकेश टिकैत कभी बीजेपी के कट्टर समर्थक हुआ करते थे। राकेश टिकैत के भाई और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत कई मौकों पर कह चुके हैं कि राष्ट्रीय लोकदल का साथ छोड़कर किसानों ने बड़ी गलती की। दरअसल ऐसा 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद ही हो गया था। चौधरी चरण सिंह के जमाने से ही आरएलडी अध्यक्ष अजीत सिंह को जाटों के समर्थन की आदत लग चुकी थी। जाटों को लेकर उनकी भी करीब वैसी ही धारणा रही, जैसी अमेठी को लेकर राहुल गांधी की 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले तक रही। दंगों के दौरान यूपी में अखिलेश यादव की सपा सरकार रही और जाटों को लगने लगा कि अजीत सिंह ने मुश्किल दिनों में खुलकर साथ नहीं दिया। उनको सबक सिखाने के मकसद से वे बीजेपी के साथ हो लिए।
Muzaffarnagar Mahapanchayat: मुजफ्फरनगर पहुंचे किसानों को नाश्ता परोसते मुस्लिम युवक… यह तस्वीर बताती है 2013 दंगों के जख्म अब भर चुके हैं
जाट-मुस्लिम के बीच दूरी का बीजेपी ने उठाया था फायदा
पश्चिमी यूपी में एक दौर ऐसा था जब जाट और मुस्लिम समुदाय बेहद करीब थे। लेकिन वेस्ट यूपी की इस शुगर बेल्ट में 2013 के सांप्रदायिक दंगों के बाद दोनों समुदायों के बीच कड़वाहट आ गई। इसके बाद हुए चुनावों में बीजेपी को सीधा फायदा मिला। 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वेस्ट यूपी में आरएलडी की जाट-मुस्लिम केमिस्ट्री को तोड़ते हुए नया समीकरण साधा। यह सिलसिला 2019 लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा। लेकिन अब किसान आंदोलन की अगुआई कर रही भारतीय किसान यूनियन (BKU) अब जाट-मुस्लिम समुदाय की खाई को पाटने का काम कर रही है। बीकेयू के पदाधिकारी जाट और मुस्लिम दोनों समाज से आते हैं।
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