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यूपीपीएससी और यूपीएसएसएससी के बीच घनचक्कर बने प्रतियोगी छात्र

सहायक सांख्यिकी अधिकारी (एएसओ) के एक हजार से अधिक पदों पर भर्ती फंसी हुई है। एससओ के पदों पर भर्ती की जिम्मेदारी पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पास थी, लेकिन अब इन पदों पर भर्ती का जिम्मा उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) को सौंप दिया गया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि यूपीएसएसएससी विज्ञापन जारी करने और परीक्षा कराने में विलंब कर रहा है। परीक्षा के इंतजार में ओवरएज हो रहे अभ्यर्थियों के लिए चयन के अवसर घट रहे हैं। अभ्यर्थियों ने यूपीपीएससी में ज्ञापन देकर मांग की है कि यूपीपीएससी पूर्व की भांति एएसओ के पदों पर भर्ती कराए।

अभ्यर्थी रजनीश प्रजापति, अभिषेक कुमार मिश्र, धर्मेंद्र कुमार वर्मा, नवल कुमार मिश्र, सत्य प्रकाश सिंह, विनय कुमार जायसवाल आदि का दावा है कि यूपीपीएससी को कुछ दिनों पहले एएसओ के 700 पदों पर भर्ती के लिए अधियाचन मिला था, लेकिन आयोग ने अधियाचन शासन को वापस कर दिया। यूपीपीएससी का तर्क है कि वह केवल उन्हीं भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करता है, जिनकी ग्रेड-पे 4600 रुपये या इससे अधिक है। इससे कम ग्रेड-पे वाले पदों पर भर्ती की जिम्मेदारी अब यूपीएसएसएससी के पास है और एएसओ पद की ग्रेड-पे 4200 रुपये है। अभ्यर्थियों का कहना है कि यूपीएसएसएससी ने वर्ष 2019 में एएसओ एवं शोध अधिकारी के 904 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था, लेकिन आज तक परीक्षा नहीं करा सका।

वहीं, यूपीपीएससी ने एसएसओ के पदों पर भर्ती के लिए आखिरी परीक्षा 11 नवंबर 2018 को आयोजित की थी और जुलाई-अगस्त 2019 में अंतिम चयन परिणाम जारी कर दिया था। 2019 में ही अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल गई थी। अभ्यर्थी अब यूपीपीएससी और यूपीएसएसएससी के बीच घनचक्कर बने हुए हैं। यूपीपीएससी परीक्षा कराने को तैयार नहीं है और यूपीएसएसएससी परीक्षा कराने में देरी कर रहा है। इंतजार में अभ्यर्थी ओवरएज हुए जा रहे हैं। अभ्यर्थियों ने यूपीपीएससी में ज्ञापन देकर मांग की है कि आयोग पूर्व की भांति एएसओ, लोअर समेत उन सभी पदों पर भर्ती के लिए परीक्षाओं का आयोजन करे, जिनकी ग्रेड-पे 4200 रुपये निर्धारित है।