लगातार हो रही बरसात और बैराजों से पानी छोडे़ जाने के चलते देवरिया जिले की नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं। जिसकी वजह से बंधों पर दबाव बढ़ने लगा है। कई जगह बंधों से रिसाव भी हो रहा है। जिले की लगभग तीन हजार एकड़ फसल सरयू, राप्ती और गोर्रा नदी के पानी में पूरी तरह डूब गई है। ऐतिहासिक रामजानकी मार्ग पर सरयू नदी का पानी दबाव बना रहा है। जिससे यह मार्ग बंद कर दिया गया है। राप्ती और गोर्रा नदी का भयानक रूप देखकर रूद्रपुर कछार इलाके के लगभग दो सौ गांवों के लोग सुरक्षित स्थान तलाशने लगे हैं, अगर यही हाल रहा तो जिले की नदियां सन 1998 का इतिहास दोहरा सकती हैं।
लगातार बढ़ रहा है नदियों का जलस्तर
देवरिया जिले में चार प्रमुख नदियां बहती हैं। जिनमें सरयू ,राप्ती, गोर्रा और छोटी गंडक नदी प्रमुख हैं। छोटी गंडक तो आमतौर पर शांत रहती है। इस बार भी खतरे के निशान के नीचे है, लेकिन सरयू, राप्ती और गोर्रा लगभग हर साल तबाही मचाती है। इस वर्ष भी भारी बारिश और पहाड़ों से आने वाले पानी के चलते इन तीनों नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। शनिवार की सुबह सरयू नदी बरहज में खतरे के निशान 66.50 मीटर को पार कर 68.20 पर पहुंच गई। राप्ती नदी भेड़ी में खतरे के निशान 70. 50 मीटर को पार कर 72.10 मीटर और पिड़रा घाट में गोर्रा नदी का पानी खतरे के निशान 70.50 मीटर से 72.50 मीटर पर पहुंच गया, जबकि शुक्रवार की शाम को ये तीनों नदियां 10 सेमी नीचे थीं।
बांधों पर हो रहे रिसाव के चलते खतरे की जद में है डेढ़ सौ गांव
जलस्तर बढ़ने से राप्ती और गोर्रा के तटबंधों पर दो दर्जन से अधिक स्थानों पर रिसाव होने लगा है। शुक्रवार को गोर्रा नदी के पाण्डेय माझा-जोगिया बांध पर करनपुर गांव के पास पानी का रिसाव होने लगा। बाढ़ खण्ड द्वारा फ्लड फाइटिंग के बावजूद भी इस बंधे पर शीतल माझा गांव से लेकर करनपुर तक 11 जगह रिसाव शुरू हो गया। यही नहीं पचलड़ी चौराहा के पास रतनपुर मार्ग पर गोर्रा नदी का पानी की ओवर फ्लो की स्थिति में आ गया। बाढ़ विभाग और ग्रामीणों की काफी मशक्कत के बाद कुछ हद तक रिसाव पर काबू पाया जा सका।
गोर्रा नदी के दबाव से शीतल माझा, करनपुर, सिलहटा, पिड़रा घाट, गाजन डहरौली, भुसऊल, पिड़री, मल्लहपुरां समेत कई गांव खतरे की जद में हैं, जबकि राप्ती नदी तिघरा खैरवा, हड़हा, माझा नरायन, बनकटी, नीबा, मढ़ौरा समेत दर्जनों गांवों के पास लगातार दबाव बना रही है। फिलहाल राप्ती और गोर्रा नदी के पानी के दबाव से दोआबा के 52 गांव और कछार के 64 गांव डेंजर जोन में हैं।
तबाही मचाने को बेताब है सरयू नदी
सरयू नदी तो लगभग एक महीने से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, मगर पिछले तीन दिनों से नदी तबाही मचाने को बेताब दिख रही है। 14 घंटे में लगभग 10 सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ने के चलते बरहज कस्बे के जहां आधा दर्जन मुहल्लों में पानी घुस गया है। वहीं, कछार क्षेत्र के विशुनपुर देवार, परसिया देवार , भदिला समेत कई गांव मैरूण्ड है। पानी बढ़ने से हजार एकड़ के ऊपर फसल जलमग्न हो गई है। जिसके चलते पशुओं के चारे का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
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शुक्रवार को सरयू नदी का पानी ऐतिहासिक राम जानकी मार्ग तक पहुंच गया और सड़क पर दबाव बनाने लगा। जिसके चलते जगह-जगह रिसाव शुरू हो गया। फिलहाल राम जानकी मार्ग पर आवागमन बंद कर दिया गया है। ग्रामीणों के सहयोग से प्रशासनिक अमला रिसाव बंद करने में जुटा है। रिसाव के चलते राम जानकी मार्ग के अगल-बगल स्थित गांवों में अफरा-तफरी का माहौल है, क्योंकि राम जानकी मार्ग इन क्षेत्र के लिए बंधे का काम करता है। पानी के दबाव से अगर यह सड़क टूटी तो सरयू का पानी कई दर्जन गांवों में तबाही मचा सकता है।
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