किसान संगठनों ने नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में चुनावी मैदान में भाजपा से दो-दो हाथ करने की ठान ली है। किसान पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में भाजपा के खिलाफ प्रचार अभियान शुरू करने जा रहे हैं। इसकी औपचारिक घोषणा पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली राष्ट्रीय महापंचायत में की जाएगी।
किसान नेता हन्नान मौला ने कहा कि यूपी के मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत में किसान संगठन मिशन यूपी, पंजाब और उत्तराखंड की घोषणा की जाएगी। चुनाव के दौरान इन राज्यों में किसानों और आम लोगों को बताया जाएगा कि सरकार के फैसलों के कारण किसानों की किस तरह से हालत खराब है। आज केंद्र की भाजपा सरकार के कारण ही किसान लोगों को सड़क पर उतर कर अपने हक की लड़ाई लड़ना पड़ रही है। इस महापंचायत में करीब पांच लाख से ज्यादा किसान जुटेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सितंबर को प्रस्तावित किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए पंजाब के 32 किसान संगठनों के अलावा हरियाणा के किसान संगठन और भाकियू के पदाधिकारी मंच पर रहेंगे। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों से भी किसान संगठनों के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया जाएगा। मंच पर राजनैतिक दलों के नेताओं को स्थान देने के सवाल पर भाकियू और संयुक्त किसान मोर्चा में अभी मंथन चल रहा है। बताया जाता है कि अधिकांश किसान संगठन के पदाधिकारी चाहते हैं कि मंच पर केवल किसान संगठनों के पदाधिकारियों को ही जगह मिले, जिससे यह संदेश नहीं जाए कि विपक्षी राजनैतिक दलों के सहयोग से किसान महापंचायत का आयोजन हुआ है।
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