सार
सराय इनायत थाना क्षेत्र के अंदावा के रहने वाले मूल चंद्र बिंद के बेटे अंकित का 19 मई को अंदावा के पास से अपहरण कर लिया गया था। परेशान घर वालों ने उसी दिन गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए टाल दिया था।
Prayagraj News : अंकित (फाइल फोटो)।
– फोटो : प्रयागराज
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सराय इनायत थाना क्षेत्र के अंदावा इलाके से अपहृत अंकित का शव रविवार शाम मिर्जापुर के ड्रमंडगंज के घने जंगल से बरामद हुआ। पुलिस पिछले 3 दिनों से आरोपियों को लेकर जंगल में शव ढूंढ़ रही थी। इस मामले में कोरांव में रहने वाले दो भाइयों समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अंकित की हत्या 30 लाख की फिरौती के लिए की गई थी।
सराय इनायत थाना क्षेत्र के अंदावा के रहने वाले मूल चंद्र बिंद के बेटे अंकित का 19 मई को अंदावा के पास से अपहरण कर लिया गया था। परेशान घर वालों ने उसी दिन गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए टाल दिया था। मामला गंभीर तब हो गया जब 25 अगस्त को मूलचंद्र के मोबाइल पर फोन आया कि 30 लाख रुपये पहुंचा दो नहीं तो बेटे अंकित की हत्या कर दी जाएगी। इसके बाद पुलिस एक्टिव हुई। तुरंत क्राइम ब्रांच और सर्विलांस टीम को लगाया गया।
शाम को अपहर्ताओं ने दोबारा मूलचंद को फोन किया। तब तक कॉल ट्रेस हो गई थी। पुलिस ने उसी दिन कोरांव के रहने वाले दो सगे भाइयों अर्जुन और भीम को पकड़ लिया। कुछ समय बाद उनके मौसेरे भाई दीपक को भी पकड़ लिया गया। पूछताछ में तीनों ने बताया कि उन लोगों ने अंकित को 20 अगस्त को ही मार दिया था। दीपक का बहनोई पुष्पराज भी उनके साथ शामिल था। अंकित का अपहरण करने के बाद वे उसे कोरांव के पचेहता गांव स्थित दीपक के घर पर ले गए। रात भर उसे घर पर ही रखा। सुबह चारों अंकित को लेकर ड्रमंडगंज के जंगल में पहुंचे।
वहां अंकित की गला दबाकर हत्या कर दी और पहाड़ी से शव जंगल में फेंक दिया। इसके बाद चारों वापस आ गए। 25 अगस्त को दीपक ने अपने एक दोस्त के मोबाइल से मूलचंद्र को फोन कर 30 लाख की फिरौती मांगी। कॉल ट्रेस कर पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई। आरोपियों के साथ पुलिस 25 अगस्त से ही अंकित के शव को खोज रही थी। रविवार की शाम जंगल से शव बरामद हो गया। पुलिस ने कोरांव के अर्जुन, भीम, दीपक और पुष्पराज को गिरफ्तार कर लिया है। मूलचंद के परिवार से तमाम लोग और पुलिस की एक टीम सूचना मिलते ही ड्रमंडगंज के लिए रवाना हो गई थी।
चारों आरोपियों को पहले से जानता था अंकित
कोरांव के रहने वाले अपहर्ताओं को अंकित अच्छी तरह से जानता था। इसी कारण जब उसे गाड़ी पर बैठाया गया तो उसने प्रतिरोध नहीं किया। दरअसल अंकित का ननिहाल बारा इलाके के जियाराम का पूरा में है। अपहर्ता दीपक की बहन भी उसी गांव में ब्याही है। इसी कारण दोनों परिवार एक दूसरे से परिचित थे। अपहर्ताओं को बारा से ही भनक मिली थी कि अंकित के पिता ने 70 लाख की जमीन बेची है। इन्हीं पैसों के कारण अंकित का अपहरण और फिर हत्या कर दी गई।
पुलिस ने 25 अगस्त को जब आरोपियों को ट्रेस कर लिया तो अंकित के घर वाले हैरान रह गए। वे सभी अपहर्ताओं को जानते थे। अंकित अक्सर अपने ननिहाल में जाता था। वहीं पड़ोस में दीपक भी अपनी बहन के घर आता जाता था। यहीं पर दीपक और उसके मौसेरे भाइयों अर्जुन और भीम को पता चला कि अंकित के पिता ने 70 लाख की जमीन बेची है। इसी के बाद तीनों ने अपहरण का प्लान बनाया।
दीपक ने इस योजना में अपने बहनोई पुष्पराज को भी शामिल किया। चारों से पुलिस ने जब पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि अपहरण तो कर लिया था लेकिन वे काफी डर गए थे। इसी कारण उन्होंने अगले दिन ही अंकित की हत्या कर दी। इसके बाद वे पता करते रहे कि अंकित के घर वाले क्या कर रहे हैं। 25 अगस्त तक जब सब कुछ सामान्य रहा तो उन्होंने मूलचंद्र को फोन कर 30 लाख की फिरौती मांगी।
दोस्त के मोबाइल से मांगी फिरौती
अंकित का अपहरण करने वाला दीपक बेहद शातिर है। दीपक ने अपनी एक दोस्त के मोबाइल से मूलचंद को फोन कर फिरौती मांगी थी। उसे लगा कि लड़की का फोन ट्रेस होने के बाद भी पुलिस कुछ कर नहीं पाएगी। लेकिन पुलिस ने जैसे ही लड़की से पूछताछ शुरू की उसने सब कुछ बता दिया। इसके बाद दीपक पकड़ लिया गया फिर उसकी निशानदेही पर अर्जुन और भीम भी पकड़े गए। दीपक का बहनोई पुष्पराज 2 दिन बाद पकड़ा गया। चारों आरोपियों ने जुर्म कबूल कर लिया है।
मां की अंतिम आस भी टूटी, कलपती रही
अंकित जिस दिन से गायब हुआ उसकी मां आरती के आंसू नहीं रुक रहे थे। जब तक अंकित की लाश नहीं मिली थी तब तक मां को एक आस थी शायद उसके कलेजे का टुकड़ा वापस आ जाए। तीन दिन से उसे सिर्फ यही लग रहा था कि अपहर्ताओं की पूरी कहानी झूठ निकले लेकिन रविवार की शाम जैसे ही अंकित का शव मिलने की खबर आई, मां चीख पड़ी। खबर मां पर बिजली बनकर गिरी और वह कुछ देर के लिए संज्ञा शून्य हो गई। घर पर रिश्तेदार भरे पड़े थे लेकिन आरती को सांत्वना देने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ी।
महज 12 साल का ही था अंकित। अपनी मां और पिता की आंखों का तारा। दो भाइयों में बड़ा अंकित झूंसी के एक स्कूल में कक्षा 6 का छात्र था। पूरा परिवार खुशियों से लबरेज था। कुछ समय पहले पिता ने 70 लाख की जमीन बेची थी। मूलचंद्र बिंद के घर में खुशियां ही खुशियां छाई थी। शायद किसी की नजर लगी और माता-पिता का सबसे दुलारा बेटा उन्हें छोड़कर चला गया।
बेटे के लिए काल बन गए 70 लाख रुपये
विक्रम चला कर अपने परिवार का पेट पालने वाले मूलचंद बिंद ने कुछ समय पहले 70 लाख की जमीन बेची तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों में उनके लखपति बनने और पैसों को लेकर तरह तरह की कहानियां बढ़ा चढ़ा कर बनाई जाने लगीं। अपहर्ताओं को जब यह पता चला तो उन्हें लगा कि मूलचंद से पैसा वसूला जा सकता है। जमीन के 70 लाख ही अंकित के लिए काल बन गया।
पिता को सुनाई थी अंकित की रिकॉर्डेड आवाज
अपहर्ताओं ने 25 अगस्त को जब 30 लाख की फिरौती के लिए मूलचंद्र को फोन किया तो वह घबरा गए थे। उन्होंने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं। अपहर्ताओं ने कहा कि तुमने 70 लाख की जमीन बेची है। पैसे नहीं दोगे तो अंकित को मार देंगे। इसके बाद मूलचंद्र ने अपहर्ताओं से कहा कि वह अंकित से बात कराएं। अपहर्ताओं ने तो अंकित को 20 अगस्त को ही मार दिया था लेकिन उसकी रिकॉर्डेड आवाज किसी दूसरे फोन में सेव किया था। उन्होंने मूलचंद्र को वही रिकॉर्डेड आवाज सुनाया था।
विस्तार
सराय इनायत थाना क्षेत्र के अंदावा इलाके से अपहृत अंकित का शव रविवार शाम मिर्जापुर के ड्रमंडगंज के घने जंगल से बरामद हुआ। पुलिस पिछले 3 दिनों से आरोपियों को लेकर जंगल में शव ढूंढ़ रही थी। इस मामले में कोरांव में रहने वाले दो भाइयों समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अंकित की हत्या 30 लाख की फिरौती के लिए की गई थी।
सराय इनायत थाना क्षेत्र के अंदावा के रहने वाले मूल चंद्र बिंद के बेटे अंकित का 19 मई को अंदावा के पास से अपहरण कर लिया गया था। परेशान घर वालों ने उसी दिन गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए टाल दिया था। मामला गंभीर तब हो गया जब 25 अगस्त को मूलचंद्र के मोबाइल पर फोन आया कि 30 लाख रुपये पहुंचा दो नहीं तो बेटे अंकित की हत्या कर दी जाएगी। इसके बाद पुलिस एक्टिव हुई। तुरंत क्राइम ब्रांच और सर्विलांस टीम को लगाया गया।
Prayagraj News : मिर्जापुर के जंगलों में छात्र के शव की खोजबीन करती पुलिस।
– फोटो : प्रयागराज
शाम को अपहर्ताओं ने दोबारा मूलचंद को फोन किया। तब तक कॉल ट्रेस हो गई थी। पुलिस ने उसी दिन कोरांव के रहने वाले दो सगे भाइयों अर्जुन और भीम को पकड़ लिया। कुछ समय बाद उनके मौसेरे भाई दीपक को भी पकड़ लिया गया। पूछताछ में तीनों ने बताया कि उन लोगों ने अंकित को 20 अगस्त को ही मार दिया था। दीपक का बहनोई पुष्पराज भी उनके साथ शामिल था। अंकित का अपहरण करने के बाद वे उसे कोरांव के पचेहता गांव स्थित दीपक के घर पर ले गए। रात भर उसे घर पर ही रखा। सुबह चारों अंकित को लेकर ड्रमंडगंज के जंगल में पहुंचे।
वहां अंकित की गला दबाकर हत्या कर दी और पहाड़ी से शव जंगल में फेंक दिया। इसके बाद चारों वापस आ गए। 25 अगस्त को दीपक ने अपने एक दोस्त के मोबाइल से मूलचंद्र को फोन कर 30 लाख की फिरौती मांगी। कॉल ट्रेस कर पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई। आरोपियों के साथ पुलिस 25 अगस्त से ही अंकित के शव को खोज रही थी। रविवार की शाम जंगल से शव बरामद हो गया। पुलिस ने कोरांव के अर्जुन, भीम, दीपक और पुष्पराज को गिरफ्तार कर लिया है। मूलचंद के परिवार से तमाम लोग और पुलिस की एक टीम सूचना मिलते ही ड्रमंडगंज के लिए रवाना हो गई थी।
Prayagraj News : मिर्जापुर पहाड़ी पर शव की खोजबीन करते पुलिसकर्मी।
– फोटो : प्रयागराज
चारों आरोपियों को पहले से जानता था अंकित
कोरांव के रहने वाले अपहर्ताओं को अंकित अच्छी तरह से जानता था। इसी कारण जब उसे गाड़ी पर बैठाया गया तो उसने प्रतिरोध नहीं किया। दरअसल अंकित का ननिहाल बारा इलाके के जियाराम का पूरा में है। अपहर्ता दीपक की बहन भी उसी गांव में ब्याही है। इसी कारण दोनों परिवार एक दूसरे से परिचित थे। अपहर्ताओं को बारा से ही भनक मिली थी कि अंकित के पिता ने 70 लाख की जमीन बेची है। इन्हीं पैसों के कारण अंकित का अपहरण और फिर हत्या कर दी गई।
पुलिस ने 25 अगस्त को जब आरोपियों को ट्रेस कर लिया तो अंकित के घर वाले हैरान रह गए। वे सभी अपहर्ताओं को जानते थे। अंकित अक्सर अपने ननिहाल में जाता था। वहीं पड़ोस में दीपक भी अपनी बहन के घर आता जाता था। यहीं पर दीपक और उसके मौसेरे भाइयों अर्जुन और भीम को पता चला कि अंकित के पिता ने 70 लाख की जमीन बेची है। इसी के बाद तीनों ने अपहरण का प्लान बनाया।
दीपक ने इस योजना में अपने बहनोई पुष्पराज को भी शामिल किया। चारों से पुलिस ने जब पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि अपहरण तो कर लिया था लेकिन वे काफी डर गए थे। इसी कारण उन्होंने अगले दिन ही अंकित की हत्या कर दी। इसके बाद वे पता करते रहे कि अंकित के घर वाले क्या कर रहे हैं। 25 अगस्त तक जब सब कुछ सामान्य रहा तो उन्होंने मूलचंद्र को फोन कर 30 लाख की फिरौती मांगी।
Prayagraj News : मिर्जापुर पहाड़ी पर शव की खोजबीन करते पुलिसकर्मी।
– फोटो : प्रयागराज
दोस्त के मोबाइल से मांगी फिरौती
अंकित का अपहरण करने वाला दीपक बेहद शातिर है। दीपक ने अपनी एक दोस्त के मोबाइल से मूलचंद को फोन कर फिरौती मांगी थी। उसे लगा कि लड़की का फोन ट्रेस होने के बाद भी पुलिस कुछ कर नहीं पाएगी। लेकिन पुलिस ने जैसे ही लड़की से पूछताछ शुरू की उसने सब कुछ बता दिया। इसके बाद दीपक पकड़ लिया गया फिर उसकी निशानदेही पर अर्जुन और भीम भी पकड़े गए। दीपक का बहनोई पुष्पराज 2 दिन बाद पकड़ा गया। चारों आरोपियों ने जुर्म कबूल कर लिया है।
मां की अंतिम आस भी टूटी, कलपती रही
अंकित जिस दिन से गायब हुआ उसकी मां आरती के आंसू नहीं रुक रहे थे। जब तक अंकित की लाश नहीं मिली थी तब तक मां को एक आस थी शायद उसके कलेजे का टुकड़ा वापस आ जाए। तीन दिन से उसे सिर्फ यही लग रहा था कि अपहर्ताओं की पूरी कहानी झूठ निकले लेकिन रविवार की शाम जैसे ही अंकित का शव मिलने की खबर आई, मां चीख पड़ी। खबर मां पर बिजली बनकर गिरी और वह कुछ देर के लिए संज्ञा शून्य हो गई। घर पर रिश्तेदार भरे पड़े थे लेकिन आरती को सांत्वना देने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ी।
महज 12 साल का ही था अंकित। अपनी मां और पिता की आंखों का तारा। दो भाइयों में बड़ा अंकित झूंसी के एक स्कूल में कक्षा 6 का छात्र था। पूरा परिवार खुशियों से लबरेज था। कुछ समय पहले पिता ने 70 लाख की जमीन बेची थी। मूलचंद्र बिंद के घर में खुशियां ही खुशियां छाई थी। शायद किसी की नजर लगी और माता-पिता का सबसे दुलारा बेटा उन्हें छोड़कर चला गया।
बेटे के लिए काल बन गए 70 लाख रुपये
विक्रम चला कर अपने परिवार का पेट पालने वाले मूलचंद बिंद ने कुछ समय पहले 70 लाख की जमीन बेची तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों में उनके लखपति बनने और पैसों को लेकर तरह तरह की कहानियां बढ़ा चढ़ा कर बनाई जाने लगीं। अपहर्ताओं को जब यह पता चला तो उन्हें लगा कि मूलचंद से पैसा वसूला जा सकता है। जमीन के 70 लाख ही अंकित के लिए काल बन गया।
पिता को सुनाई थी अंकित की रिकॉर्डेड आवाज
अपहर्ताओं ने 25 अगस्त को जब 30 लाख की फिरौती के लिए मूलचंद्र को फोन किया तो वह घबरा गए थे। उन्होंने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं। अपहर्ताओं ने कहा कि तुमने 70 लाख की जमीन बेची है। पैसे नहीं दोगे तो अंकित को मार देंगे। इसके बाद मूलचंद्र ने अपहर्ताओं से कहा कि वह अंकित से बात कराएं। अपहर्ताओं ने तो अंकित को 20 अगस्त को ही मार दिया था लेकिन उसकी रिकॉर्डेड आवाज किसी दूसरे फोन में सेव किया था। उन्होंने मूलचंद्र को वही रिकॉर्डेड आवाज सुनाया था।
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