इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के 19 हफ्ते के अनचाहे गर्भ को गिराने की अनुमति की मांग में दाखिल पीड़िता की याचिका पर मेडिकल जांच बोर्ड गठित किया है। कोर्ट ने लाला लाजपत राय मेमोरियल अस्पताल मेरठ के प्राचार्य को चार विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम द्वारा अगस्त मे ही नियत तिथि पर पीड़िता की मेडिकल जांच करने तथा प्रथम अपर जिला जज मेरठ को सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है और वह जांच रिपोर्ट दो सितंबर को हाईकोर्ट में पेश करेंगे। कोर्ट ने एसएसपी बुलंदशहर को मेडिकल कॉलेज आने जाने के दौरान पीड़िता व उसके साथ के लोगों की पूरी सुरक्षा करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई तीन सितंबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने पीड़िता की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 24 हफ्ते के गर्भ पात की अनुमति देता है। ऐसा पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किया गया है। पीड़िता ने सरकार से अनुमति मांगी थी, किन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई तो हाईकोर्ट की शरण ली है। जुलाई 2021 मे बुलंदशहर सरकारी अस्पताल में मेडिकल जांच की गई थी। कुल 19 हफ्ते का गर्भ पाया गया है। याची इस अनचाहे गर्भ को गिराना चाहती है। जिसको लेकर याचिका दायर की है। कहा गया है कि इस घटना से पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा है इसलिए गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए।
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