उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए चलने वाले श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के छात्र धरने पर बैठे हुए हैं। छात्रों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन धीरे-धीरे स्कूल को बंद करने के प्रयास में जुटा हुआ है और इसके लिए 9वीं से लेकर 12वीं तक के क्लास पहले ही बंद कर दिए गए हैं।
दृष्टिबाधित छात्रों के इस विद्यालय को आधी फंडिंग सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय से मिलती है। यहां पढ़ाई कर रहे छात्रों और पूर्व छात्रों का आरोप है कि स्कूल की जमीन बहुत कीमती है, इसलिए इसको चलाने वाला ट्रस्ट यहां बिजनस करने की तैयारी में लगा हुआ है। पूर्व छात्र अभय शर्मा ने बताया कि ट्रस्ट में शामिल लोगों की निगाहें जमीन पर टिक गई हैं।
छात्रों ने लेटर लिखकर बताया कि स्कूल के संस्थापक सदस्यों की मृत्यु के बाद परिसर का उपयोग बिजनस ऐक्टिविटी के लिए होता है। कभी हॉस्टल को स्टोर रूम बना दिया जाता है, तो कभी खेल के मैदान का गाड़ियों की पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन बातों का विरोध करने पर छात्रों को अनुशासनहीन करार दिया जाता है।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि पूर्वांचल क्षेत्र में दृष्टिबाधित स्टूडेंट्स के लिए एकमात्र स्कूल है। जून 2019 में 9वीं से 12वीं तक के क्लास बंद कर दिए गए। लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से कोई प्रयास नहीं किया गया। वहीं स्कूल के मैनेजर नीरज दुबे ने कहा कि 2018 से ही केंद्र सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता नहीं आने और कोविड की वजह से 9वीं से 12वीं तक के क्लास बंद करने पड़े। 8वीं तक पढ़ाई हो रही है और स्कूल को बंद करने जैसी कोई बात नहीं है।
सांकेतिक तस्वीर
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