इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर की कंपनी रोटोमैक ग्लोबल प्रा.लि. सहित 69 कंपनियों व इनके डायरेक्टरों, ऑडीटरों व अधिकारियों के खिलाफ चल रहे सीरियस फ्रॉड केस में आरोपी विश्वनाथ गुप्ता को राहत दी है। कोर्ट ने याची गुप्ता को 50 हजार के मुचलके पर गिरफ्तारी के समय अग्रिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। याची का कहना था कि आरएफएल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी व डाल्फिन ड्वेलिंग के बीच नेशनल कंपनी लॉ अधिकरण प्रयागराज में चल रहे विवाद में समझौता हो गया है।
याची पर विक्रम कोठारी के पक्ष में फर्जी मेमोरंडम तैयार कर कंपनी का पैसा हड़पने का आरोप है। कोर्ट ने सम्मन जारी किया है। उसकी गिरफ्तारी की जा सकती है। मुख्य आरोपी सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण पा चुके हैं। उसके खिलाफ केस नहीं बनता, जिस पर कोर्ट ने सशर्त अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है। कहा है कि शर्त का उल्लंघन करने पर सत्र न्यायालय में अर्जी देकर संरक्षण विखंडित कराया जा सकेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने विश्वनाथ गुप्ता की अर्जी पर दिया है।
अर्जी पर अधिवक्ता कात्यायनी व तान्या तथा सहायक सालिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने पक्ष रखा। सत्र न्यायालय में न जाकर सीधे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की पोषणीयता के मुद्दे पर याची के अधिवक्ता का कहना था कि धारा 438 में साफ लिखा है यदि हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है तो उसी व्यक्ति की अर्जी सत्र न्यायालय में नहीं सुनी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि कानून का आशय यह है कि यदि हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है तो उसे पहले सत्र न्यायालय में अर्जी दाखिल करने के लिए वापस नहीं भेजा जायेगा। कोर्ट ने सीधे हाईकोर्ट में दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी की सुनवाई की और कहा कि शासकीय अधिवक्ता कार्यालय को पहले ही नोटिस दी गई है।
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