पुश्तैनी गांव के मुसलमानों में लोकप्रिय थे कल्याण सिंह कल्याण की इंसानियत और न्यायप्रियता से प्रभावित थे मुस्लिम कल्याण सिंह की पहचान प्रखर हिंदूवादी नेता के रूप में होती थीअलीगढ़
यूं तो कल्याण सिंह हिंदुत्व के पैरोकार के तौर पर पूरे देश में मशहूर हुए थे। वह राम मंदिर आंदोलन के झंडाबरदार नेताओं में शामिल थे। पर अपनी इंसानियत और न्यायप्रियता के कारण वह पुश्तैनी गांव के मुसलमानों की भी आंखों के तारे थे। लोगों के बीच ‘बाबूजी’ के नाम से मशहूर कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को रविवार शाम अलीगढ़ स्थित उनके पैतृक गांव मढौली लाया गया।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर का नरौरा स्थित राजघाट पर सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। कल्याण सिंह की पहचान प्रखर हिंदूवादी नेता के रूप में होती थी। लेकिन अपने मानवीय गुणों और न्यायप्रियता की वजह से वह अपने गांव के मुसलमानों के बीच भी खासे लोकप्रिय थे।
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‘डरे सहमे मुस्लिमों को गांव छोड़कर जाने से रोका’
अतरौली के पास पिंडरावल के रहने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार के सदस्य हैदर अली ने कल्याण सिंह के मानवीय मूल्यों और मुसलमानों का ख्याल रखने की उनकी भावना को याद किया। असद ने वर्ष 1991 में अयोध्या विवाद को लेकर देश में व्याप्त सांप्रदायिक तनाव के बीच घटी एक घटना के बारे में बताया ‘बाबूजी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के फौरन बाद अपने गांव आए थे। जब वह गांव आए तो उन्होंने कुछ डरे-सहमे मुस्लिम परिवारों को देखा जो अपना घर-बार छोड़कर दूसरे स्थान पर जा रहे थे। बाबू जी ने फौरन उन्हें रोका और कहा कि उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है और वह गांव छोड़कर कतई न जाएं।’
‘मुस्लिमों का बाल बांका हुआ तो अफसर होंगे जिम्मेदार’
असद के मुताबिक, कल्याण सिंह ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों को बुलाया और कहा कि अगर किसी भी मुस्लिम परिवार का बाल भी बांका हुआ तो संबंधित पुलिस अफसर जवाबदेह होंगे। असद ने बताया कि कल्याण सिंह से जुड़ा ऐसा मामला कोई अकेला नहीं है। अलीगढ़ शहर के सिविल लाइंस स्थित उनके बंगले के आसपास बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार रहते थे और बाबूजी के उन सभी परिवारों से बहुत स्नेह भरे संबंध थे।
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नहीं भूल पाऊंगा कल्याण की न्यायप्रियता: जावेद
छर्री के नवाब के प्रपौत्र और बड़े कारोबारी जावेद ने भी कुछ ऐसी ही यादें साझा कीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 1991 में बुलंदशहर में उनके परिवार की एक संपत्ति को कुछ स्थानीय अधिकारियों ने अवैध रूप से जब्त कर लिया था। जब वह अपने पिता के साथ इसकी शिकायत लेकर कल्याण सिंह के पास गए तो उन्होंने फौरन जांच के आदेश दिए और भरोसा दिलाया कि उनके साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी। जावेद ने कहा कि वह इस बात को कभी नहीं भूल सकते कि उनके साथ कितनी मुस्तैदी से इंसाफ किया गया।
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