उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का शनिवार शाम को निधन हो गया। उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कल्याण सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। कल्याण सिंह का जाने से राजनीति जगत में शोक की लहर फैल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिग्गज भाजपा नेता के निधन पर दुख जताया है। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैंने अपना बड़ा भाई और साथी खोया है।’
बता दें कि कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव आए इन्हीं में से एक दिलचस्प किस्सा है जब उन्हें एक रात के लिए मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। मामला 21 फरवरी 1998 का है। उस वक्त यूपी के राज्यपाल रोमेश भंडारी हुआ करते थे। रोमेश भंडारी ने रातोंरात कल्याण सिंह को पद से बर्खास्त कर दिया और जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। कहा जाता है कि जगदंबिका पाल ने सत्ता पान के लिए विपक्षी नेताओं से भी संपर्क साधा था। इस काम में रोमेश भंडारी ने खुले हाथ उनकी मदद की।
फैसले के विरोध में भाजपा के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में कई नेता धरने पर बैठ गए। रात को ही हाई कोर्ट में अपील की गई। 22 फरवरी के दिन जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। इसी बीच हाईकोर्ट ने राज्यपाल झटका देते हुए उनके आदेश को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कल्याण सिंह ही मुख्यमंत्री हैं।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद कल्याण सिंह सचिवालय पहुंचे तो जगदंबिका पाल पहले से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। किसी तरह से हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर उन्हें पद से हटाया गया और फिर कल्याण सिंह को सत्ता मिल पाई। लेकिन 26 फरवरी को कल्याण सिंह को फिर से बहुमत साबित करने को कहा गया। कल्याण सिंह ने बहुमत साबित कर दिया। जगदंबिका पाल कुछ घंटों के मुख्यमंत्री बनकर रह गए।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का शनिवार शाम को निधन हो गया। उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कल्याण सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। कल्याण सिंह का जाने से राजनीति जगत में शोक की लहर फैल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिग्गज भाजपा नेता के निधन पर दुख जताया है। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैंने अपना बड़ा भाई और साथी खोया है।’
बता दें कि कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव आए इन्हीं में से एक दिलचस्प किस्सा है जब उन्हें एक रात के लिए मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। मामला 21 फरवरी 1998 का है। उस वक्त यूपी के राज्यपाल रोमेश भंडारी हुआ करते थे। रोमेश भंडारी ने रातोंरात कल्याण सिंह को पद से बर्खास्त कर दिया और जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। कहा जाता है कि जगदंबिका पाल ने सत्ता पान के लिए विपक्षी नेताओं से भी संपर्क साधा था। इस काम में रोमेश भंडारी ने खुले हाथ उनकी मदद की।
फैसले के विरोध में भाजपा के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में कई नेता धरने पर बैठ गए। रात को ही हाई कोर्ट में अपील की गई। 22 फरवरी के दिन जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। इसी बीच हाईकोर्ट ने राज्यपाल झटका देते हुए उनके आदेश को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कल्याण सिंह ही मुख्यमंत्री हैं।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद कल्याण सिंह सचिवालय पहुंचे तो जगदंबिका पाल पहले से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। किसी तरह से हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर उन्हें पद से हटाया गया और फिर कल्याण सिंह को सत्ता मिल पाई। लेकिन 26 फरवरी को कल्याण सिंह को फिर से बहुमत साबित करने को कहा गया। कल्याण सिंह ने बहुमत साबित कर दिया। जगदंबिका पाल कुछ घंटों के मुख्यमंत्री बनकर रह गए।
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