प्रवर्तन निदेशालय के लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय में संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह अब राजनीति के मैदान में उतर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि सेवानिवृत्ति का आवेदन मंजूर होते ही वह भगवा दल की सदस्यता ले सकते हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि पार्टी सिंह को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट भी दे सकती है। बीटेक और पुलिस, मानवाधिकार व सामाजिक न्याय में पीएचडी सिंह उत्तर प्रदेश से प्रतिनियुक्ति पर ईडी से साल 2009 में जुड़े थे। तब वह राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के तौर पर सेवा दे रहे थे।
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने बताया कि सिंह ने सरकारी सेवा से सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है। हालांकि, यह आवेदन अभी स्वीकार नहीं किया गया है। उनकी बहन आभा सिंह ने एक ट्वीट में लिखा, ‘मेरे भाई राजेश्वर सिंह को बधाई कि उन्होंने देश की सेवा करने के लिए ईडी से समयपूर्व सेवानिवृत्ति लेने का फैसला लिया है। देश को आपकी जरूरत है।’ उल्लेखनीय है कि आभा सिंह एक अधिवक्ता हैं और मुंबई में रहती हैं। इस ट्वीट में उन्होंने सिंह के साथ अपनी फोटो भी पोस्ट की।
कई हाई प्रोफाइल मामलों की कर चुके हैं जांच
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से आने वाले राजेश्वर सिंह को ईडी कैटर में स्थायी रूप से साल 2015 में जगह मिली थी। उल्लेखनीय है कि सिंह को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामला, 2010 राष्ट्रमंडल खेल में कथित अनियमितताओं की जांच के हाई प्रोफाइल मामले सौंपे गए थे। इसके अलावा पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम व उनके बेटे कार्ति चिदंबरम, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा के खिलाफ धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के आरोपों की जांच करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।
जून 2018 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय एक खुफिया रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में सिंह को दुबई से आई फोनकॉल की जानकारी थी। दावा किया गया था कि इस रिपोर्ट के देश की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) ने तैयार किया था और वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग को सौंपी थी। उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व विभाग के तहत ही काम करता है। ईडी के तत्कालीन निदेशक करनाल सिंह ने इस संबंध में जारी एक बयान में जांच की बात कही थी और सिंह को एक जिम्मेदार अधिकारी बताया था।
सरकार ने इस मामले में सिंह के खिलाफ एक पत्र लिखने पर जांच शुरू की थी। इस पत्र में उन्होंने तत्कालीन राजस्व सचिव हसमुख अधिया पर सवाल उठाए थे कि क्या उन्होंने घोटालेबाजों और उनके सहयोगियों का साथ देकर मुझसे दुश्मनी की है। इस पत्र को लेकर सिंह को राजस्व विभाग की ओर से नोटिस भी जारी किया गया था, जिसके जवाब में सिंह ने खेद प्रकट किया था और अपना पक्ष बयान किया था। सूत्रों के अनुसार यह पत्र करनाल सिंह के पास तो गया था लेकिन अधिया तक कभी नहीं पहुंचाया गया।
राजेश्वर सिंह के खिलाफ ईडी, सीबीआई और सीवीसी जैसी एजेंसियों ने कुछ कथित अनियमितताओं को लेकर जांच की थी और इसे लेकर एक रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। अदालत ने यह कहा ता कि आरोपों में कोई आधार नहीं है और इसके साथ ही जांच बंद कर दी थी। अपने यूनिफॉर्म करियर के दौरान कई एनकाउंटर को अंजाम देने वाले राजेश्वर सिंह का विवाह आईपीएस अधिकारी लक्ष्मी सिंह के साथ हुआ है। बता दें कि लक्ष्मी सिंह फिलहाल लखनऊ रेंज में इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
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