उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (यूपीएसईएसएसबी) की ओर से पीजीटी की जारी की गई आंसर की के कई उत्तरों को विशेषज्ञों ने गलत बताया है। उनका दावा है कि कई सवालों में भी भ्रामक स्थिति है। कुछ तो ऐसे भी सवाल हैं, जिनके दो-दो उत्तर सही हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रमोद कुमार मिश्र ने इस महत्वपूर्ण परीक्षा में इस तरह की गड़बड़ियों को हिंदी का अपमान बताया है।
प्रश्न संख्या छह में पूछा गया है कि रीतिकाल को सर्वप्रथम श्रृंगार काल नाम रखने का सुझाव किसने दिया, प्रश्न 23 निम्न में से कौन सा शब्द उत्तर का विलोम नहीं है, प्रश्न 24 “फूल म रै पै मरे न बासू” यह प्रसिद्ध उक्ति किस कवि की है। दावा है कि इसमें आयोग का उत्तर गलत है। इसी तरह प्रश्न 34 ” निम्नलिखित में अव्ययीय भाव समास का उदाहरण है (रातोंरात, कपड़छन, मनमाना, ठकुरसुहाती) इसमें दो विकल्प सही हैं। प्रश्न 78 एक तत्सम शब्द है (डाकिनी, तेल, न्योछावर, तर्जनी) इसमें तीन विकल्प तत्सम हैं। प्रश्न 95 संत साहित्य के संबंध में कौन सा कथन उचित नहीं प्रतीत होता है। इसमें बोर्ड का उत्तर गलत है। प्रश्न 98 शैशव के सुंदर प्रभात का मैंने नवविकास देखा। यौवन की मादक लाली में यौवन का हुलास देखा पंक्तियां किसके द्वारा लिखी गई हैं। इसमें बोर्ड का उत्तर गलत है।
इसी तरह 121 नंबर प्रश्न है, भारत के गवर्नर जनरल को पद की व्यवस्था का प्राविधान सर्वप्रथम किससे द्वारा किया गया में आयोग ने चार्टर एक्ट 1853 को सही माना है जो कि गलत है, सही उत्तर चार्टर एक्ट 1833 का दावा किया गया है। प्रश्न 73 में पूछा गया है कि न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति प्राप्त है। सही उत्तर सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों दोनों को प्राप्त है जबकि आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय सही माना है।
डा. प्रमोद कुमार मिश्र ने कुछ प्रश्नों को जिक्र करने के साथ अपने दावे को तथ्य के साथ सही बताया है। उनके अनुसार प्रश्न संख्या-12 में पूछा गया है कि ‘छोटी हल्की गोल और किनारेदार थाली दिखाओ’- वाक्य में अपेक्षित है? साक्ष्य के साथ उनका दावा है कि इस प्रश्न का कोई भी विकल्प सही नहीं है। इसी तरह प्रश्न संख्या-17 में पूछा गया है कि ‘किस वाक्य में एकवचन का प्रयोग हुआ है’? उनके मुताबिक इस प्रश्न के उत्तर में दो विकल्प सही हैं।
प्रश्न संख्या-19 में उल्लिखित पंक्तियों के रचनाकार के नाम का उत्तर भी आयोग ने गलत दिया है। प्रश्न संख्या-26 में श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना का शुद्ध शीर्षक ‘श्रीरामचरितमानस’ है, ‘रामचरितमानस’ नहीं। उनका दावा है कि प्रश्न संख्या-27 के तीन उत्तर सही हैं। प्रश्न संख्या-42 में उपन्यास और उनके लेखकों के सुमेलन के क्रम में भैयादास की माड़ी-भीष्म साहनी लिखा है, जबकि भीष्म साहनी की रचना का नाम ‘मैयादास की माड़ी’ है, न कि ‘भैयादास की माड़ी’। इस प्रकार इसमें दो उत्तर सही होने का दावा किया है।
इसके अलावा प्रश्न संख्या-44 में ‘फूल मरै पै मरै न बासू’ पंक्ति के लेखन का नाम आयोग ने कबीरदास को माना है, जबकि उनका दावा है कि यह प्रसिद्ध पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी की है। प्रश्न संख्या-53 के उत्तर को भी गलत होने का दावा किया है। इसमें पूछा गया कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल का है, जबकि चयन बोर्ड ने हजारी प्रसाद द्विवेदी का कथन माना है। ऐसे ही प्रश्न संख्या-58 का उत्तर ‘ब्रज’ होगा जबकि आयोग ने अवधी दिया है।
डा. प्रमोद कुमार मिश्र ने दर्जन भर से अधिक और प्रश्नों व बोर्ड की उत्तरमाला में दिए गए उत्तर में भी दोष माना है। मामले पर चयन बोर्ड के उप सचिव नवल किशोर का कहना है कि विषय विशेषज्ञों ने पेपर सेट किए हैं। इसमें किसी तरह की आपत्ति होने पर आनलाइन आपत्ति दाखिल करने का मौका अभ्यर्थियों को दिया गया है। विषय विशेषज्ञ की समिति को अगर अभ्यर्थियों की आपत्ति सही लगेगी तो उत्तर संशोधित कर अंक जोड़ा जाएगा।
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