उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक शिवमंदिर के अतीत में सैकड़ों साल पुराना इतिहास छिपा है। यह मंदिर बागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है, जो कसौदन समाज के लिए एक तीर्थ स्थल माना जाता है। यहां सावन मास में पूजा-अर्चना की धूम मची रहती है।
हमीरपुर शहर से करीब 41 किमी दूर सायर गांव में बागेश्वर मंदिर स्थित है। जिसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। मंदिर में शिवलिंग भी विशेष प्रकार का है। जिसे देखने से ही मन को बड़ी शांति मिलती है। मंदिर का दृश्य भी मनोरम और बड़ा ही अद्भुत है। हर कोई इसे देख आश्चर्यचकित हो जाता है।
समाजसेवी अम्बिका प्रसाद के मुताबिक, बरगद के पेड़ की डाली और जड़ों के बीच एक मंदिर का रूप ये स्थान लिए है। इसी स्थान पर भगवान शिव का अद्भुत शिवलिंग स्थापित है। यह एक ऐसा मंदिर है, जहां समाज के ही लोग मंदिर की देखरेख करते हैं। सावन मास में कश्मीर, महाराष्ट्र और राजस्थान के अलावा तमाम महानगरों से भी कसौदन समाज के लोग इस शिवलिंग की विशेष प्रकार की पूजा और अनुष्ठान करते हैं।
कश्मीरी व्यापारियों के काफिले के साथ आया था शिवलिंग
लोकतंत्र सेनानी सलाउद्दीन ने बताया कि सैकड़ों साल पहले कसौदन समाज के लोग कश्मीर से व्यापार के सिलसिले से पलायन किया था। बड़ी संख्या में लोग बैल गाड़ियों से कश्मीर से निकले थे। समाज के लोग अपने इष्टदेव शिवलिंग भी लेकर आए थे। ये लोग सायर गांव में कई दिनों तक डेरा डाले रहे। जब समाज के लोग आगे जाने के तैयारी की और शिवलिंग को बैलगाड़ी में रखने की कोशिश की तो शिवलिंग उस स्थान से नहीं हटा। इससे समाज के लोग हैरत में पड़ गए।
कसौदन समाज के व्यापारियों ने कई बार उठाने की कोशिश की, लेकिन शिवलिंग स्थान से नहीं हिला। तब उसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित करा दिया गया। यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराने के साथ ही कसौदन समाज को लोग हर साल कश्मीर से आकर विशेष पूजा-अर्चना करते है।
मंदिर से मुकुट चोरी करने वाले का हो गया था नाश
भारतीय सेना से नायब सूबेदार के पद से रिटायर्ड होकर सायर गांव में रह रहे रामप्रसाद पाल ने बताया कि बागेश्वर मंदिर बड़ा ही अद्भुत है। इसमें साक्षात भोलेनाथ का वास है।
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बताया कि कई दशक पहले कुछ लोगों ने मंदिर में धावा बोलकर मुकुट चोरी किया था। चोरी के बाद उसका पूरा परिवार ही नाश हो गया था। इसके अलावा एक विशेष सम्प्रदाय के लोगों ने मंदिर में आक्रमण किया था। जिस पर उसका समूल नाश हो गया था। रिटायर्ड नायब सूबेदार ने बताया कि बागेश्वर मंदिर में एक बड़ा ढोल है। जिसे होली के दिन बजाए जाने की परम्परा है। विशेष पर्वों में यहां धनुष लीला का मंचन के साथ भंडारे का आयोजन भी होता है। बताया कि यह मंदिर आसपास के दर्जनों इलाकों के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है।
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