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बरेली कॉलेज: सिस्टम से निराश कर्मचारियों ने संभाली विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की कमान

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वर्ष 2013 में तैयार हुआ था प्रस्ताव, शासन से स्वीकृति दिलाने के लिए कर्मचारियों ने खोला मोर्चा
चार साल पहले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी को लिखा था पत्र
बरेली। 184 साल की ऐतिहासिक विरासत को सहेजे बरेली कॉलेज को राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने की उम्मीद पर जनप्रतिनिधियों और अफसरों की अनदेखी भारी पड़ रही है। करीब पांच सालों से इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी है। इससे कॉलेज के हजारों विद्यार्थियों और शिक्षकों की उम्मीद अब टूटने लगी है। हालांकि निराशा के बावजूद करीब छह माह से कॉलेज के कर्मचारी लगातार धरना-प्रदर्शन कर शासन, प्रशासन से प्रस्ताव स्वीकृत कराने में जुटे हैं। बुधवार को हुई बैठक में कर्मचारियों ने एलान किया- कॉलेज का विश्वविद्यालय बनवाकर ही दम लेंगे।
बरेली कॉलेज छात्र संख्या के मामले में रुहेलखंड विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा कॉलेज है। जानकारी के मुताबिक संस्थागत और व्यक्तिगत परीक्षार्थियों को मिलाकर हर साल यहां करीब 70 हजार परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में शामिल होते हैं। रुहेलखंड विश्वविद्यालय पर 560 से अधिक कॉलेजों का दबाव है। बरेली से लेकर बिजनौर तक रुहेलखंड विश्वविद्यालय का परिक्षेत्र है। ऐसे में बरेली कॉलेज के विश्वविद्यालय बनने से रुहेलखंड विश्वविद्यालय पर दबाव काफी कम हो जाएगा।
कर्मचारी नेताओं के मुताबिक बरेली कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने की कवायद वर्ष 2013 में शुरू हुई थी। तब इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। उस वक्त तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार की सिफारिश पर प्रदेश सरकार ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट भी मांगी थी। कॉलेज ने रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी, लेकिन प्रस्ताव पर कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी। छह माह से कर्मचारी संगठन इसे लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं पर सुनवाई नहीं हो रही है।
नई कमेटी बनने पर फिर तैयार होगा प्रस्ताव
जानकारी के मुताबिक, 52 एकड़ के विशाल भूखंड पर बने ऐतिहासिक बरेली कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। तथ्य छिपाकर प्रबंध समिति बनाने के मामले में रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने प्रबंध समिति को अवैध करार कर दिया है। ऐसे में अब भंग प्रबंध समिति बरेली कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने का दोबारा प्रस्ताव तैयार नहीं कर सकती। नई प्रबंध समिति बनने पर ही फिर से प्रस्ताव तैयार हो सकता है।
2016 में स्मृति ईरानी को लिखा गया था पत्र
बरेली में पहले से रुहलेखंड विश्वविद्यालय है, लिहाजा जिले में एक और राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना पर आपत्ति दर्ज हुई थी। इस पर वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखक र बरेली विश्वविद्यालय को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा देने को कहा था। पत्र में उन्होंने बरेली कॉलेज की ऐतिहासिकता का भी जिक्र किया था। साथ ही, कॉलेज के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्तापकर शिक्षा की बात कही थी।
राज्य नहीं तो केंद्रीय विश्वविद्यालय का मिले दर्जा
अस्थायी कर्मचारी संगठन के मुताबिक वह डीम्ड के बजाय राज्य अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग शासन से कर रहे हैं। बताया कि पूर्व में तैयार हुए प्रस्ताव में कमेटी ने राज्य विश्वविद्यालय बनने से कॉलेज की आय और गुणवत्ता बढ़ने का जिक्र किया था। किन्हीं वजहों से प्रस्ताव शासन तक पहुंचकर अटक गया। केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल करने की गाइडलाइंस पर भी बरेली कॉलेज खरा उतरेगा।
संगठन पदाधिकारी बोले: गठित की जाए नई कमेटी

वर्ष 2013 में तैयार हुआ था प्रस्ताव, शासन से स्वीकृति दिलाने के लिए कर्मचारियों ने खोला मोर्चा

चार साल पहले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी को लिखा था पत्र

बरेली। 184 साल की ऐतिहासिक विरासत को सहेजे बरेली कॉलेज को राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने की उम्मीद पर जनप्रतिनिधियों और अफसरों की अनदेखी भारी पड़ रही है। करीब पांच सालों से इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी है। इससे कॉलेज के हजारों विद्यार्थियों और शिक्षकों की उम्मीद अब टूटने लगी है। हालांकि निराशा के बावजूद करीब छह माह से कॉलेज के कर्मचारी लगातार धरना-प्रदर्शन कर शासन, प्रशासन से प्रस्ताव स्वीकृत कराने में जुटे हैं। बुधवार को हुई बैठक में कर्मचारियों ने एलान किया- कॉलेज का विश्वविद्यालय बनवाकर ही दम लेंगे।

बरेली कॉलेज छात्र संख्या के मामले में रुहेलखंड विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा कॉलेज है। जानकारी के मुताबिक संस्थागत और व्यक्तिगत परीक्षार्थियों को मिलाकर हर साल यहां करीब 70 हजार परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में शामिल होते हैं। रुहेलखंड विश्वविद्यालय पर 560 से अधिक कॉलेजों का दबाव है। बरेली से लेकर बिजनौर तक रुहेलखंड विश्वविद्यालय का परिक्षेत्र है। ऐसे में बरेली कॉलेज के विश्वविद्यालय बनने से रुहेलखंड विश्वविद्यालय पर दबाव काफी कम हो जाएगा।

कर्मचारी नेताओं के मुताबिक बरेली कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने की कवायद वर्ष 2013 में शुरू हुई थी। तब इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। उस वक्त तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार की सिफारिश पर प्रदेश सरकार ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट भी मांगी थी। कॉलेज ने रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी, लेकिन प्रस्ताव पर कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी। छह माह से कर्मचारी संगठन इसे लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं पर सुनवाई नहीं हो रही है।
नई कमेटी बनने पर फिर तैयार होगा प्रस्ताव
जानकारी के मुताबिक, 52 एकड़ के विशाल भूखंड पर बने ऐतिहासिक बरेली कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। तथ्य छिपाकर प्रबंध समिति बनाने के मामले में रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने प्रबंध समिति को अवैध करार कर दिया है। ऐसे में अब भंग प्रबंध समिति बरेली कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने का दोबारा प्रस्ताव तैयार नहीं कर सकती। नई प्रबंध समिति बनने पर ही फिर से प्रस्ताव तैयार हो सकता है।
2016 में स्मृति ईरानी को लिखा गया था पत्र
बरेली में पहले से रुहलेखंड विश्वविद्यालय है, लिहाजा जिले में एक और राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना पर आपत्ति दर्ज हुई थी। इस पर वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखक र बरेली विश्वविद्यालय को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा देने को कहा था। पत्र में उन्होंने बरेली कॉलेज की ऐतिहासिकता का भी जिक्र किया था। साथ ही, कॉलेज के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्तापकर शिक्षा की बात कही थी।

राज्य नहीं तो केंद्रीय विश्वविद्यालय का मिले दर्जा
अस्थायी कर्मचारी संगठन के मुताबिक वह डीम्ड के बजाय राज्य अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग शासन से कर रहे हैं। बताया कि पूर्व में तैयार हुए प्रस्ताव में कमेटी ने राज्य विश्वविद्यालय बनने से कॉलेज की आय और गुणवत्ता बढ़ने का जिक्र किया था। किन्हीं वजहों से प्रस्ताव शासन तक पहुंचकर अटक गया। केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल करने की गाइडलाइंस पर भी बरेली कॉलेज खरा उतरेगा।
संगठन पदाधिकारी बोले: गठित की जाए नई कमेटी

पूर्व में जिला प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा था। राज्य/केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के सभी मापदंडों को कॉलेज पूरा करता है। जनप्रतिनिधियों को इसके लिए पहल करनी होगी। – जितेंद्र मिश्रा, अध्यक्ष बरेली कॉलेज कर्मचारी संघ

कॉलेज के विद्यार्थी और कर्मचारी हित के लिए हम पिछले छह माह से लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। मगर कॉलेज प्रशासन की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। – पूरन लाल, संगठन मंत्री बरेली कॉलेज कर्मचारी संघ

कॉलेज प्रबंध कमेटी को विश्वविद्यालय ने अवैध करार दिया है। नई कमेटी बनाकर फिर से संशोधित प्रस्ताव शासन के पास मंजूरी के लिए भेजा जाना चाहिए। – जेपी मौर्य, सचिव बरेली कॉलेज कर्मचारी संघ