पंकज मिश्रा, हमीरपुर
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में मराठाकालीन मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू कर दी गई है। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है, जिसे बालाजी बाजीराव ने बनवाया था। मंदिर की विशेषता है कि यहां विराजमान राधा-श्रीकृष्ण और हनुमान जी की मूर्तियां सूरज की पहली किरण पड़ते ही चमक उठती हैं।
हमीरपुर शहर के हाथी दरवाजा मुहाल में यमुना नदी के तट पर राधा-कृष्ण का मंदिर स्थित है। ये मंदिर मराठाकाल में बना था। मंदिर में विराजमान राधा-कृष्ण की अष्टधातु की मूर्तियों की अपनी खास विशेषता है। श्रीकृष्ण की मनोरम मूर्तियों का रंग सुबह और शाम बदलता है। आसपास के इलाकों के अलावा नजदीक के ग्रामों से भी लोग इस मंदिर में आकर माथा टेकते हैं। रिटायर्ड शिक्षक लखनलाल जोशी ने बताया कि यह मंदिर अद्भुत नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। जहां सूरज की पहली किरण से भगवान की मूर्तियां चमक उठती हैं। बताया कि मराठाकालीन में सर्वाधिक मदिर बनाए गए थे। पूर्व प्रधान बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है।
किसी जमाने में अंग्रेज अधिकारी अपने परिवार के साथ मंदिर आकर पूजा करते थे। अंग्रेज अफसरों के समय मंदिर में कई निर्माण कार्य भी हुए थे। इधर श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई हैं। पुजारी हरि नारायण द्विवेदी ने बताया कि जन्माष्टमी की रात कोरोना गाइड लाइन का पालन कराते हुए कार्यक्रम सम्पन्न कराए जाएंगे। श्रीकृष्ण के लिए 56 प्रकार का भोग तैयार होगा। बताया कि यहां मंदिर में विशेष प्रकार से जन्माष्टमी पर्व मनाए जाने की परम्परा है।
संवत 1723 में बाजीराव पेशवा ने पूजा-अर्चना के लिए बनवाया था मंदिर
मंदिर के पुजारी हरि नारायण द्विवेदी ने बताया कि संवत 1723 में यहां के शासक बालाजी बाजीराव पेशवा थे। उन्होंने यमुना और बेतवा नदियों के बीच बसे इस नगर में पूजा अर्चना के लिए मंदिर बनवाने का फैसला किया था। मंदिर में श्रीराम भक्त हनुमान जी की प्रतिमा ठीक पूरब दिशा में विराजमान है। वहीं, उत्तर दिशा में राधा-कृष्ण की मूर्तियां विराजमान हैं। हनुमान जी की मूर्ति के सामने शिवलिंग और पार्वती की मूर्ति बिना गुंबद वाले मठ के अंदर स्थापित है। मंदिर का मठ भी पूरी तरह से अंडाकार है। जिसे कहीं से भी देखा जाए तो एक जैसा नजर आता है।
मिट्टी, चूना और पत्थर से ही निर्मित है पूरा मठ और मंदिर
मराठाकाल में भवन और मंदिर के निर्माण में सीमेंट और सरिया के प्रयोग का प्रचलन नहीं था। उस जमाने में कारीगर कंकरीट, चूना, मिट्टी और पत्थर से ही भवनों का निर्माण करते थे। पुजारी ने बताया कि मराठाकाल में बने इस मंदिर में अद्भुत कारीगरी के नमूने हैं। मठ और मंदिर को बने कई सदियां गुजर गई हैं, लेकिन ये आज भी कहीं से कमजोर नहीं हुआ। मंदिर और मठ में लोहे की कीली नहीं ठोंकी जा सकती है। ये मठ इतना मजबूत है कि लोहे की कीली ठोंकते ही वह या तो टूट जाती है या फिर टेढ़ी हो जाती है। लोगों की मदद से मंदिर और मठ की पेंट से रंगाई पुताई कराई जाती है। स्थानीय लोगों की मदद से मंदिर परिसर में इंटरलाकिंग की व्यवस्थायें भी की गई है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए PM ने की थी तारीफ, खुद आवास के लिए भटक रही महिला डायरेक्टर
बजरंगबली करते हैं पहरेदारी, मंदिर में नहीं पड़ता ताला
पुजारी ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए ये मंदिर हर समय खुला रहता है। मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्ति की रक्षा के लिए हनुमान जी रात में पहरेदारी करते हैं। इसीलिए मंदिर में कभी कोई चोरी नहीं हुई है। एक बार किसी ने चोरी करने का साहस भी किया था तो श्रीराम भक्त हनुमान जी के चमत्कार से चोर उल्टे पांव वापस भागा गया था। बताया कि सैकड़ों साल गुजर गए हैं, लेकिन उन्होंने कभी ये नहीं सुना कि इस मंदिर में कभी कोई चोरी की घटना हुई है। इसीलिए आज तक मंदिर में ताला नहीं पड़ा है। गलत विचार से मंदिर के चबूतरे पर आने वाले को श्रीराम भक्त हनुमान जी तत्काल दंड देकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराते हैं।
More Stories
Lucknow की ‘लेडी डॉन’ ने आईएएस की पत्नी बनकर महिलाओं से ठगी की, 1.5 करोड़ रुपये हड़पे
Rishikesh में “अमृत कल्प” आयुर्वेद महोत्सव में 1500 चिकित्सकों ने मिलकर बनाया विश्व कीर्तिमान, जानें इस ऐतिहासिक आयोजन के बारे में
Jhansi पुलिस और एसओजी की जबरदस्त कार्रवाई: अपहृत नर्सिंग छात्रा नोएडा से सकुशल बरामद