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यूपी में अब नहीं लगेंगी ट्यूबवेल आधारित पेयजल परियोजनाएं…

उत्तर प्रदेश में अब ट्यूबवेल आधारित पेयजल परियोजनाएं नहीं लगाई जाएंगी। शासन ने बलिया समेत कई जनपदों में सतही जल आधारित परियोजनाओं को लगाने की मंजूरी देते हुए डीपीआर तलब की है। बलिया के साथ ही इसे प्रदेश में आगरा, मथुरा, हाथरस, उन्नाव, आंशिक रूप से फिरोजाबाद, प्रयागराज और चंदौली के ब्लॉकों में मंजूरी दी गई है। शासन से मंजूरी मिलने के बाद जल निगम की ओर से इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी गई है।

गिरते भूजल स्तर और भूगर्भ जल में हानिकारक तत्वों की बढ़ती मात्रा को देखते हुए जनपद में ट्यूबवेल आधारित पेयजल परियोजनाओं पर रोक लगाकर सतही जल आधारित पेयजल परियोजनाएं लगाने के लिए काफी समय से मंथन चल रहा था। ग्रामीण क्षेत्रों के भूगर्भ जल की गुणवत्ता को देखते हुए, शतत पेयजल उपलब्ध कराने के लिए तीन दिन पहले शासन की ओर से बलिया जनपद में सतही जल आधारित पेयजल परियोजनाओं की मंजूरी देते हुए इस संबंध में जल निगम को जल्द से जल्द डीपीआर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

बलिया के साथ ही आगरा, मथुरा, हाथरस, उन्नाव जनपद में पूर्ण रूप से और फिरोजाबाद के ब्लाक टुंडला, खैरागढ़ और कोटला, प्रयागराज के कोरांव मेजा, शंकरगढ़, मंडा और जसरा तथा चंदौली के नौगढ़ में इसे मंजूरी दी गई है। अब जनपद में ट्यूबवेल आधारित पेयजल परियोजना नहीं लगेंगी। इनकी डीपीआर पर शासन की ओर से विचार भी नहीं किया जाएगा। आगरा, मथुरा और हाथरस में पहले से ही खारे पानी की समस्या है। बलिया के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन आदि की समस्या है। शासन से निर्देश मिलने के बाद अब जल निगम की ओर से इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है।

गंगा और सरयू से लिफ्ट किया जाएगा पानी
सतही जल पेयजल परियोजना के लिए जल निगम की ओर से अब जनपद से होकर बहने वाली नदियों गंगा और सरयू से पानी लिफ्ट किया जाएगा। जहां पर ज्यादा पानी निकलने लायक होगा, वहीं पर इसके स्टोरेज के लिए एक स्थान बनाया जाएगा। यहां पानी का ट्रीटमेंट किया जाएगा। इसके बाद इस स्थान से पेयजल सप्लाई के लिए दूरी के अनुसार मेन पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इसके बाद गांवों में पानी की टंकिया बनाकर पानी को टंकी तक पहुंचाया जाएगा। टंकी से पेयजल का नियमानुसार वितरण किया जाएगा। गंगा और सरयू में कहां से पानी निकाला जाएगा, इसके सर्वे के लिए शासन से एलएंडटी कंपनी एक-दो दिन में बलिया पहुंचने वाली है।

इस तकनीकी का प्रयोग प्रदेश के बुंदेलखंड और मिर्जापुर आदि जनपदों के साथ पहाड़ों पर भी किया जाता है। वहां नदियां से पानी को लिफ्ट कर इसे टंकियों तक पहुंचाया जाता है। ट्रीटमेंट के बाद पेयजल की सप्लाई लोगों के घरों तक की जाती है।

इस संदर्भ में बलिया के जल निगम के एक्सईएन अंकुर श्रीवास्तव ने बताया कि शासन ने जनपद में ट्यूबवेल आधारित पेयजल परियोजनाओं पर रोक लगाते हुए सतही जल आधारित ग्राम समूह पेयजल परियोजना को मंजूरी दे दी है। अब गंगा और सरयू के पानी को ट्रीटमेंट के बाद इससे शुद्ध पेयजल की सप्लाई की जाएगी। पानी कहां से निकाला जाना है इसके सर्वे के लिए शासन से नामित एलएंडटी नामक कंपनी जल्द आने वाली है।