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मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में हो रही है आनंद रस की वर्षा….

मथुरा के ठा. श्री द्वारिकाधीश मंदिर में सावन के महीने का उल्लास बरस रहा है। धर्म और अध्यात्म का केंद्र मानी जाने वाली मथुरा नगरी में वैसे तो सभी पर्व और उत्सव बहुत आनंद के साथ मनाए जाते हैं, लेकिन सावन में होने वाले उत्सवों की बात ही कुछ और है।

भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में पुष्टिमार्गीय संप्रदाय का विश्व प्रसिद्ध ठा. श्री द्वारिकाधीश मंदिर स्थित है। द्वारिकाधीश मंदिर में सावन के महीने में भव्य हिंडोले और अद्भुत घटाएं सजाई जा रही हैं। 25 जुलाई से हिंडोलो और घटाओं का शुरू हुआ क्रम 24 अगस्त तक चलेगा। इसके बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी और नंदोत्सव का पर्व मनाया जाएगा।

बाल रूप में होती है ठाकुर जी की पूजा
कोरोना के कारण भले ही बृज भूमि में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई हो और संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक गाइडलाइन लागू कर दी गई हो, लेकिन अति प्राचीन विश्व विख्यात ठा. श्री द्वारिकाधीश मंदिर की परंपराओं को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े जतन के साथ निभाया जा रहा है। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट के अनुसार, पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के मंदिर में प्रभु की बाल छवि के रूप में सेवा की जाती है। उन्होंने बताया कि यह मान्यता है कि ठाकुर जी यानी कि बालक बाहर नहीं जा सकते, इसलिए सावन के महीने में हिंडोले और अलग-अलग घटाएं उनके समक्ष सजाई जाती हैं।

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मंदिर में सजेंगे 22 हिंडोले और नौ घटाएं
राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि 6 अगस्त को सबसे पहले केसरी घटा सजेगी और इसके बाद अलग-अलग दिनों में लाल, हरी, आसमानी, काली और सफेद घटाओं के दर्शन होंगे। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार अलग-अलग दिनों में फल, फूल और पत्तियों के अलावा मखमल, जरी और गोटा आदि के अलग-अलग आकर्षक रंगों के हिंडोले सजाए जाएंगे। सावन के महीने में द्वारिकाधीश मंदिर में रक्षाबंधन के दिन राखी मनोरथ भी आयोजित किया जाएगा। सावन के महीने के इन विशेष उत्सवों की श्रंखला 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और 31 अगस्त को नंदोत्सव पर्व पर जाकर समाप्त होगी।