हाईकोर्ट में नियुक्त सरकारी वकीलों की अदालतों में उपस्थिति को लेकर राज्य सरकार ने निर्देश जारी किया है। गत दिनों इस मामले में हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर सरकारी वकीलों को तत्परता से ड्यूटी करने की चेतावनी दी है। ऐसा न करने वालों को कार्रवाई की चेतावनी दी है। प्रमुख सचिव न्याय ने सभी राज्य विधि अधिकारियों को सुनवाई के समय निर्धारित ड्यूटी वाली कोर्ट में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि किसी सरकारी वकील के अनुपस्थित रहने पर कोर्ट को परेशानी हुई तो उसकी आबद्धता समाप्त कर दी जाएगी।
गत दिनों एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अदालत को अपेक्षित जवाब नहीं दे पाए। हालांकि कोर्ट में कई सरकारी वकीलों की ड्यूटी लगी थी मगर एक को छोड़कर अन्य कोई अदालत में उपस्थित नहीं था। इस पर अदालत ने प्रमुख सचिव न्याय को तलब कर लिया। उस समय कोर्ट को बताया गया था कि वहां छह राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। आदेश पर प्रमुख सचिव न्याय ने कोर्ट में उपस्थित होकर सात दिन में एक्शन लेने और उचित व्यवस्था करने का आश्वासन दिया।
विशेष सचिव राकेश कुमार शुक्ल ने इसी के बाद आदेश जारी कर सभी राज्य विधि अधिकारियों को सुनवाई के समय कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया ताकि कोर्ट को कोई असुविधा न होने पाए। इससे पहले राज्य सरकार ने कोरोना काल में बहस करने और बहस न करने वाले सभी सरकारी वकीलों की फीस में 20 से 30 फीसदी की कटौती करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट प्रशासन ने भी एक कोर्ट में एक साथ केवल छह अधिवक्ताओं के ही मौजूद रहने का निर्देश देते हुए कहा था कि केवल दो ही सरकारी वकील कोर्ट सुनवाई में मौजूद रहेंगे।
बताते हैं कि इसी छूट का फायदा उठाकर कई सरकारी वकील कोर्ट में नहीं आते। बहस करने वाले वकीलों पर ही कोर्ट को सहयोग देने का बोझ रहता है। आपराधिक अपील पर बिना तैयारी ठीक से बहस नहीं हो सकती लिहाजा कोर्ट ने कहा कि बारी-बारी अन्य सरकारी वकील केस तैयार कर सहयोग दें।
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