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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकार्पण कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार 15 जुलाई को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 1583 करोड़ रुपये की 200 से अधिक योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास किया। इसमें बहुचर्चित रूद्राक्ष सेंटर से लेकर सड़क और भवन निर्माण की कई योजनाएं शामिल रहीं। भाजपा समर्थक बता रहे हैं कि प्रदेश ने अनेक प्रधानमंत्री दिए, लेकिन उन्होंने प्रदेश को कुछ नहीं दिया। लिहाजा उत्तर प्रदेश और विशेषकर पूर्वांचल विकास की दौड़ में पिछड़ा रह गया। पहली बार कोई प्रधानमंत्री इस क्षेत्र के विकास पर ध्यान दे रहा है। जबकि, विपक्ष की राय इससे अलग है।वाराणसी से पूर्व कांग्रेस सांसद डॉ. राजेश कुमार मिश्रा ने  से कहा कि चुनाव के अंतिम समय में इस तरह की योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास करके पीएम और सीएम केवल अपनी सत्ता बचाने की कोशिश कर रहे हैं। शायद वे भूल गए हैं कि इसी वाराणसी में मात्र दो महीने पहले कोरोना काल में ‘मौत का तांडव’ हो रहा था, लोगों को अस्पताल में बेड, दवाएं और डॉक्टर तक नहीं मिल पा रहे थे।

अगर प्रधानमंत्री को लगता है कि इस तरह की दिखावटी कोशिशों से जनता अपनों को खोने का दर्द भूल जाएगी तो यह उनकी गलतफहमी है।डॉ. मिश्रा के मुताबिक केंद्र सरकार की योजनाएं दिखावटी ज्यादा हैं। असलियत यह है कि वाराणसी के प्रारंभ बिंदु आदिकेश्वर घाट (जहां गंगा और वरुणा नदी का संगम होता है) में आज भी कोरोना पीड़ितों के शव और कफन सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। विकास के नाम पर भैंसासुर घाट, मणिकर्णिका घाट सहित कई प्रमुख जगहों पर तोड़-फोड़ की जा रही है। इससे एतिहासिक महत्व के मंदिर, घाट, पौराणिक वट वृक्ष नष्ट हो रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री केवल नाम के चक्कर में यह कार्य होने दे रहे हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि सैकड़ों करोड़ का कार्यक्रम कर मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन को पहले बनारस रेलवे स्टेशन का नाम दिया गया, बाद में इसे दुबारा मंडुवाडीह किया गया और एक बार फिर अब इसे बनारस रेलवे स्टेशन किया जा रहा है। केवल नाम बदलने के लिए सैकड़ों करोड़ के कार्यक्रम कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है, यह जनता की समझ से परे है। लोग सरकार की इस सोच पर हंस रहे हैं।