गाजियाबादकभी समय था जब पार्कों और ग्रीन बेल्ट के देखरेख से लेकर पौधरोपण करने की जिम्मेदारी केवल सरकारी संस्थाओं का काम समझा जाता था। कोरोना संकट में ऑक्सिजन के लिए मची हाहाकार ने लोगों का प्रकृति के प्रति नजरिया ही बदल दिया है।अब सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा आम जनता भी पौधरोपण करने में दिलचस्पी ले रही है। खासकर वे पौधे विशेष तौर से लगाए जा रहे हैं, जो सबसे ज्यादा ऑक्सिजन देते हैं और वातावरण शुद्ध रखते हैं। इनमें पीपल, नीम और जामुन शामिल हैं।कोरोना संकट में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनकी याद में गाजियाबाद की शिप्रा सनसिटी एओए और स्थानीय पार्षद ने मिलकर स्मृति वाटिका पार्क बनाया है। यहां हर तरफ केवल ऑक्सिजन देने वाले पीपल, नीम और जामुन के पौधे ही लगाए गए हैं।डिमांड के साथ कीमत भी बढ़ीपीपल, नीम और जामुन की डिमांड बढ़ने के साथ इनकी कीमत भी बढ़ गई है।
वैशाली सेक्टर-4 में नर्सरी चलाने वाले रघुनाथ कहते हैं कि पिछले साल की तुलना में नीम, पीपल, जामुन और अशोक के पौधों की कीमत में 20 से 30 रुपयों तक की बढ़ोतरी हुई है। जो पौधे मात्र 100 से 120 रुपये तक में मिला करते थे, आज उनकी कीमत 140 से 170 रुपये तक हो गई है।20 दिन में लगाए 1000 से ज्यादा पौधेपार्षद हिमांशु चौधरी ने बताया कि अपने वॉर्ड में उन्होंने ग्रीन बेल्ट को सुंदर और हरा-भरा बनाने का काम शुरू किया है। इसकी शुरुआत कुछ दिन पहले ही साहिबाबाद गांव के प्रवेश द्वार से की है। वहीं वॉर्ड-99 के पार्षद अभिनव जैन ने बताया कि सोसायटियों के सहयोग से वह इंदिरापुरम में अलग-अलग जगह पर अभी तक 20 दिन में 1000 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं। इसमें सभी एओए और वहां के रेजिडेंट का सहयोग भी मिल रहा है।पारसनाथ, एटीएस एडवांटेज, एसपीएस के निवासियों के साथ शनिवार को भी पौधरोपण किया गया। नर्सरी संचालक रघुनाथ ने बताया कि रोजाना नीम, पीपल और जामुन के 8 से 10 पीस की बिक्री हो रही है। इसके अलावा गिलोय, तुलसी, और अधिकतर इनडोर प्लांट की भी डिमांड हो रही है। जिनकी कीमत 200 से शुरू होकर 1200 तक है।
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