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36 एकड़ में फैले जंगल में है मंदिर-मस्जिद

अमितेश कुमार सिंह, गाजीपुरजंगलों से आए दिन लकड़ियों की तस्करी होने की खबरें आती रहती हैं। लकड़ियों की तस्करी की वजह से जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, लेकिन गाजीपुर में एक ऐसा ग्रीन लैंड (वन) है, जिससे लकड़ी बाहर ले जाने के बारे में लोग कल्पना भी नहीं करते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि वन में बने मंदिर और मस्जिद के देवता और पीर इस वन की रक्षा करते हैं।औषधिक गुणों वाले पौधें भी हैं इस वन मेंगाजीपुर का सोनहरिया वन करीब 36 एकड़ में फैला हुआ है। इस ग्रीन लैंड में विभिन्न प्रजाति के पेड़ -पौधें लगे हुए हैं। इस वन में कई दुर्लभ किस्म के औषधीय गुणों वाले पेड़ हैं। इस जंगल में आयुर्वेद के जानकार लोग भी आते हैं।

इन लोगों को आयुर्वेद के गुणों वाले पेड़-पौधे यहां मिल जाते हैं, जिसे वह रोगों के उपचार के लिए ले जाते हैं।नहीं करते जंगल की लकड़ियों का इस्तेमालस्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस जंगल के पेडों से अगर लकड़ी सूखकर/टूटकर आसपास के खेतों में गिर जाती है तो लोग अपनी खेती उतनी जगह को छोड़ कर उसके पीछे करते हैं। ऐसा इसलिए है कि मान्यताओं के अनुसार अगर ऐसा नहीं किया गया तो खेत के मालिकाना हक वाले व्यक्ति के साथ कोई अनहोनी घटित हो सकती है। ऐसी सूरत में लोग गिरी लकड़ी को उठा कर वापस जंगल मे ही फेंक देते हैं। इन लकड़ियों का इस्तेमाल मन्नत पूरी होने पर जंगल में भोजन प्रसाद बनाने वाले लोग कर लेते हैं।हिंदू-मुस्लिम आस्था का केंद्र है यह वनयह जंगल हिंदू-मुस्लिम आस्था का केंद्र भी है।

स्थानीय लोगों की मानें तो इस जंगल की रक्षा खुद दोनों समुदायों के इष्ट करते हैं। हिंदुओं के सिद्ध बाबा का मंदिर जंगल प्रवेश द्वार के करीब बना हुआ है। वहीं, मुस्लिम समुदाय के शहीद बाबा की मजार और मस्जिद जंगल के दूसरे हिस्से में बनी है। दोनों ही आस्था के केंद्र गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल हैं। दोनों ही धर्मों के लोग हिंदू-मुस्लिम के धार्मिक दूरियों को भुलाकर दोनों जगहों (मंदिर+मस्जिद) पर श्रद्धापूर्वक मत्था टेकते हैं।Ganga Expressway News: गंगा एक्सप्रेस-वे में उन्नाव के 76 गांव प्रभावित, अक्टूबर से शुरू हो सकता है कार्ययहीं के रहने वाले देवकीनंदन बताते हैं कि आज भी सिद्ध बाबा और शहीद बाबा के प्रताप में लोगों की आस्था का ही प्रतिफल है, जो इतने बड़े जंगल का हिस्सा बचा हुआ है। दोनों (सिद्ध बाबा+ शहीद बाबा) इस जंगल की रक्षा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं से जुड़े इस जगह पर लोग आस्था और आउटिंग दोनों कारणों से आते हैं।