प्रेमिका को बदनाम करने की नीयत से उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल करने के आरोपी प्रेमी की जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि याची ने गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर फेसबुक पोस्ट में अपराध की सीमा लांघी, ऐसा आचरण समाज विरोधी क्रियाकलाप है।कोर्ट ने सीजेएम प्रयागराज या संबंधित मजिस्ट्रेट को यदि आरोप निर्मित न किया हो तो तत्काल संज्ञान लेने व छह माह में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है। साथ ही जिला जज से सुनवाई पूरी करने की सभी सुविधाएं मुहैया कराने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मानव शर्मा उर्फ मनीष शर्मा की अर्जी पर दिया है।
सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट डालने व दुराचार के आरोपी याची का कहना था कि दोनों के लंबे रिश्ते रहे है। वह उच्च शिक्षा के लिए रूस चली गई और रिश्ते खत्म कर लिए। वह बेगुनाह है। दुराचार का आरोप निराधार है। उसने फेसबुक पर कोई अश्लील फोटो नहीं डाली है। उसे जमानत पर रिहा किया जाए।कोर्ट ने एसएचओ धूमनगंज को केस डायरी के साथ तलब किया, तो आरोप के साक्ष्य केस डायरी में पाए गए। धमकी देते वीडियो के साथ सीडी भी है। फेसबुक पर डाली फोटोग्राफ भी है। कोर्ट ने कहा कि याची इस हद तक आगे बढ़ गया कि उसे पता ही नहीं चला कि अपराध की सीमा में प्रवेश कर गया है। यह समाज के लिए सही नहीं है। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
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