बलिया जिले में कूड़ा निस्तारण के अभाव में शहर से निकलने वाले कूड़े को डालकर नगरपालिका ने गंगा के तटवर्ती इलाके महावीर घाट जाने वाली सड़क को ही डंपिंग ग्राउंड में तब्दील कर दिया है। इसके अलावा, कटहल नाले के माध्यम से शहर का कचरा सीधे गंगा नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। गैर जिम्मेदाराना तरीके से सड़क किनारे फेंके गए कचरे से तटवर्ती इलाका कचरा घर जैसा दिख रहा है। खुलेआम एनजीटी के आदेशों की अवहेलना कर गंगा नदी और आसपास के इलाकों में प्रदूषण फैलाया जा रहा है।शहर से प्रतिदिन करीब 50 टन कचरा निकलता है। नगरपालिका के पास कूड़ा निस्तारण की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। नगरपालिका कर्मी जहां भी खाली स्थान देखते हैं, उसी को कचरा घर बना देते हैं। हालांकि शहर से 16 किमी दूर बसंतपुर में कूड़ा निस्तारण केंद्र निर्माणाधीन है, लेकिन वह भी प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अपने उद्धार की राह देख रहा है। कटहल नाला और गंगा किनारे गिरने वाले कचरे से प्रदूषण बढ़ने के साथ ही बरसात के दिन में सड़क किनारे पड़े कूड़े से निकलने वाली संड़ाध से लोगों का राह चलना मुश्किल हो जाता है। वहीं, आसपास के मोहल्ले में रहने वाले लोगों को बीमारियां फैलने का भय बना है।नहीं चालू हुआ कचरा निस्तारण केंद्रनगर से निकलने वाले कचरे के निस्तारण के लिए शासन की पहल पर वर्ष 2006 में नगर से सटे बसंतपुर गांव में नगरपालिका के लिए कचरा निस्तारण केंद्र की आधारशिला रखी गई। निर्माण का जिम्मा सीएनडीएस को मिला। सीएनडीएस ने टेंडर एटूजेड कंपनी को दिया। एटूजेड ने एकार्ड कंपनी को पार्टनर बना लिया। दोनों कंपनियों के मध्य विवाद होने के बाद मामला ट्रिब्यूनल में चला गया। हालांकि वहां से सीएनडीएस के पक्ष में फैसला आया। इसके खिलाफ एटूजेड ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी। अदालत में मामला लंबित होने के कारण नगर पालिका को कूड़ा निस्तारण केंद्र ख्वाब बना हुआ है।
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