मुरादाबादउत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कर्मभूमि एक्सप्रेस से उतारे गए बच्चों ने पुलिस के सामने अपनी व्यथा कही है। उन्होंने बताया कि बाढ़ के पानी में उनके खेत डूब गए हैं। घर में खाने को कुछ नहीं हैं। परिवार चलाने के लिए उन्हें पढ़ाई छोड़कर काम करने के लिए पंजाब जाना पड़ रहा है। बच्चों ने बताया कि वहां जो भी काम मिलेगा वह करने को तैयार हैं। हालांकि, अभी उन्हें होटल पर काम करने के बारे में बताया गया है।बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले बच्चों को पुलिस ने बीच रास्ते में ट्रेन से उतार लिया था। इससे बच्चे काफी परेशान हो गए थे। उन्होंने बताया कि कटिहार जिले के कुछ क्षेत्रों में गंगा और अन्य नदियों का पानी आ गया है। खेत डूब गए हैं। घरो में खाने को कुछ नहीं हैं। परिवार में मां-बाप के अलावा छोटे भाई बहन हैं। पास के गांव का दुलाल शर्मा पंजाब में काम करता है। उसने कहा कि अमृतसर में किसी होटल या फैक्ट्री में काम दिला देंगे। इस पर किशोरों ने उसके साथ अमृतसर जाने के लिए ट्रेन पकड़ ली।मुरादाबादः मानव तस्करी की आशंका में मुरादाबाद जीआरपी ने ट्रेन से उतारे 32 बच्चे, पूछताछ जारीबच्चों ने बताया कि उनका टिकट दुलाल शर्मा ने टिकट कटाया था। गांव में बताया था कि 8 हजार रुपये हर महीने वेतन मिलेगा। वहीं एक किशोर ने बताया कि वह गांव के स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ाई करता है। पेट की भूख मिटाने के लिए वह पढ़ाई छोड़कर पंजाब कमाने जा रहा था। इसी तरह से पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर आदि जगहों के किशोर भी जा रहे थे। इनके पास खेती के लिए कोई जमीन नहीं हैं। कोरोना संक्रमण के बाद गांव में कोई काम नहीं हैं। ऐसे हालात में परिवार का पेट भरने के लिए कुछ नहीं बचा है। इसलिए बच्चे काम करने चंडीगढ़ और लुधियाना जा रहे हैं। काम दिलाने के लिए ले जाने वाले ने ही ट्रेन का टिकट लिया था। इन बच्चों में दिनाजपुर पश्चिम बंगाल, कटिहार बिहार, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के 7 बाल श्रमिक शामिल हैं।
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