हाइलाइट्स:उत्तर प्रदेश में चुनावों से पहले मुकेश सहनी की वीआईपी ने मारी एंट्रीसन ऑफ मल्लाह के नाम से चर्चित सहनी बिहार सरकार में हैं मंत्रीयूपी में निषाद समुदाय के लिए मुकेश सहनी ने की आरक्षण की मांगअभी किसी से गठबंधन नहीं, 150 विधानसभा सीटों पर करेंगे फोकसलखनऊउत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए जोर-आजमाइश तेज हो गई है। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पहले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। इस बीच बिहार की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी यूपी में सक्रिय हो गई है। बताते चलें कि बिहार में जेडीयू-बीजेपी की गठबंधन सरकार में मुकेश सहनी की वीआईपी सहयोगी की भूमिका में है। निषादों ने ललकारा है बिहार ही नहीं…पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे। उन्होंने गोमतीनगर में पार्टी का प्रदेश कार्यालय शुरू किया। कार्यकर्ताओं को यूपी में पार्टी को मजबूत करने का संकल्प भी दिलाया। सन ऑफ मल्लाह के नाम से चर्चित मुकेश सहनी के एयरपोर्ट पहुंचने पर ‘आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं’ और ‘निषादों ने ललकारा है बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश भी हमारा है’ के नारे लगाए गए। सहनी ने इस दौरान कहा कि अगर हम मजबूत होते हैं तो हमारा समाज आगे बढ़ेगा। Sanjay Nishad: 2022 में डेप्युटी CM की डिमांड, कौन हैं डॉक्टर संजय निषाद…पूर्वांचल में क्यों अहम NISHAD पार्टी? जानिएविकासशील इंसान पार्टी का प्रदेश कार्यालय शुरूयूपी में विधानसभा चुनाव से पहले छोटे दलों की सक्रियता बढ़ गई है। इससे पहले मुकेश सहनी का अमौसी एयरपोर्ट पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। इस दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी लौटन राम निषाद, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजाराम, राष्ट्रीय महासचिव रमेश केवट, युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष साहनी, राष्ट्रीय सचिव कमलेश केवट सहित पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश के नेता मौजूद थे।असदुद्दीन ओवैसी का ऐलान, UP में ओमप्रकाश राजभर के साथ लड़ेंगे चुनावBSP Politics: कांशीराम का मिशन अतीत! ‘बहनजी’ की बीएसपी में बिछड़े सभी बारी-बारी…सेकंड लाइन लीडरशिप का संकटबीजेपी के साथ गठबंधन के लिए रखी शर्तमुकेश सहनी की वीआईपी बिहार में जेडीयू और बीजेपी की एनडीए गठबंधन सरकार में पार्टनर है। बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत वीआईपी को 11 सीटें मिली थीं। इनमें से पार्टी ने 4 सीटें जीतीं और मुकेश सहनी को नीतीश कैबिनेट में जगह मिली। आरक्षण नहीं, गठबंधन नहीं के नारे के साथ मुकेश सहनी यूपी में बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी कर रहे हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में सहनी ने कहा, ‘बीजेपी के साथ किसी अलायंस पर तभी फैसला लिया जाएगा जब निषादों को आरक्षण की हमारी मांग पूरी की जाएगी। बिहार में निषादों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं था। इसी तरह यूपी में भी निषादों के मुद्दों को उठाने वाला कोई नहीं है।’बीजेपी से सीक्रेट डील या फिर महागठबंधन की तैयारी…2022 में किस तरफ हैं मायावती?BSP: कांशीराम के जमाने से जुड़े थे लालजी और राम अचल राजभर…एक झटके में ‘बहनजी’ ने किया बाहर…समझें पूरी सियासत’अभी 150 सीटों पर बढ़ाएंगे वोट बेस’जब मुकेश सहनी से संजय निषाद की निषाद पार्टी की यूपी में मौजूदगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा था तो लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के टिकट पर और उससे पहले समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपने बेटे को नहीं लड़ाना चाहिए था।’ हालांकि सहनी ने यह भी कहा कि संजय निषाद से उनकी कोई दुश्मनी नहीं है, क्योंकि दोनों लोग एक ही मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं। यूपी में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी या बीएसपी से अलायंस की संभावना पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में अक्टूबर के बाद फैसला होगा। तब तक के लिए 150 विधानसभा सीटों पर फोकस करते हुए हम पार्टी का वोट बेस बढ़ाएंगे।UP Chunav: ओम प्रकाश राजभर ने डॉ. संजय निषाद की कर दी ‘बेइज्जती, बोले- भीख क्यों मांग रहे, हम सीएम बना देंगेUP Assembly Election: एकला चलो…क्या मायावती के फैसले से होगा योगी को फायदा?पूर्वांचल में निषाद वोट अहम, वीआईपी की भी नजर वीआईपी की यूपी में सक्रियता को निषाद वोटों के लिए दावेदारी के रूप में देखा जा रहा है। गंगा के किनारे वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में निषाद समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। वर्ष 2016 में गठित निषाद पार्टी का खासकर निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा असर माना जाता है। गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, वाराणसी, जौनपुर, संत कबीरनगर, मऊ, बलिया और भदोही समेत 16 जिलों में निषाद समुदाय के वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाने की हैसियत रखते हैं। संजय निषाद दावा करते रहे हैं कि प्रदेश की 100 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर निषाद वोट जिताने या हराने की ताकत रखता है। हाल ही में उन्होंने बीजेपी से 2022 के लिए खुद को डेप्युटी सीएम चेहरा बनाने की मांग रखी थी। मुकेश सहनी का भले ही अभी यूपी में जनाधार ना हो लेकिन उनकी पार्टी वीआईपी की एंट्री ने नई संभावनाओं को जरूर जन्म दे दिया है।(टाइम्स ऑफ इंडिया से मिले इनपुट के साथ)मुकेश सहनी ने लखनऊ में खोला पार्टी कार्यालय
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