जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जे के लिए राजनैतिक दलों में जबरदस्त खींचतान मची है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि एक प्रत्याशी के पक्ष में लामबंद 36 जिला पंचायत सदस्य को जिले से बाहर ले जाया गया है। उनके मोबाइल भी बंद हैं। दूसरे प्रत्याशी सारे जतन करने के बाद भी उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐन चुनाव के वक्त उन्हें लाया जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए तीन जुलाई को अफीम कोठी में सुबह 11 बजे से मतदान होगा। निर्वाचित 57 सदस्य अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। जिला पंचायत में अपना बोर्ड बनाने के लिए भाजपा, सपा और जनसत्तादल लोकतांत्रिक ने पूरी ताकत झोंक दी है।
बसपा ने पहले ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से अपने को अलग कर लिया है। चुनाव से पहले सदस्यों को अपने पाले में करने के लिए सियासी दिग्गजों में खींचतान मची है। अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए 29 सदस्यों के बहुमत की जरूरत होगी।इस बीच जिले में तेजी से यह चर्चा हो रही है कि एक प्रत्याशी के पक्ष में 36 सदस्य सप्ताह भर से जिले से बाहर हैं। ऐसे में अन्य प्रत्याशी उनसे संपर्क ही नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि अपनी जीत का दावा सभी कर रहे हैं। सत्ताधारी भाजपा के खेमे में इन दिनों जीत को लेकर रात-दिन मंथन चल रहा है। जिला पंचायत सदस्यों को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता भी डेरा डाले हुए हैं।
गिरधारी सिंह ने डीएम-एसपी से की थी शिकायत
भाजपा पंचायत चुनाव के जिला संयोजक गिरधारी सिंह ने डीएम और एसपी से मिलकर जिले के 36 जिला पंचायत सदस्यों के गायब होने की शिकायत की थी। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने अभी तक न तो कोई पहल की है और न ही सदस्यों की वापसी हुई है। फिर किंगमेकर की भूमिका में प्रमोद तिवारीसियासत की नब्ज को करीब से टटोलने के बाद दांव खेलने में माहिर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। जिला पंचायत के चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ पांच जिला पंचायत सदस्य होने के बाद भी भाजपा और सपा को रोकने के लिए उन्होंने गोट बिछा दी है।
अब वह अपनी रणनीति में कितने सफल हो पाते हैं, इसका पता तीन जुलाई को मतदान के बाद चलेगा। सूबे में भले ही कांग्रेस का ग्राफ गिरा है, मगर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी का दबदबा बरकरार है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ने वाले सिर्फ पांच सदस्यों को जीत मिली थी। परिणाम आने के बाद उन्होंने सात और सदस्यों को साध लिया। बुधवार को लालगंज में मौजूद बारह सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से उसी व्यक्ति को अपना वोट देने की बात कही, जिसे प्रमोद तिवारी अपना समर्थन देंगे।इससे यह साफ हो गया है कि 12 सदस्यों को लेकर प्रमोद तिवारी एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं। वर्ष 2011 में प्रमोद कुमार मौर्या को अध्यक्ष बनवाने में भी प्रमोद तिवारी का अहम योगदान था। सपा समर्थित प्रत्याशी घनश्याम यादव को रोकने के लिए प्रमोद तिवारी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। उनके प्रयास से ही क्षेत्रीय दलों ने एकजुट होकर बसपा प्रत्याशी प्रमोद कुमार मौर्य को जीत दर्ज कराई थी। इस बार चुनाव में प्रमोद तिवारी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के साथ नजर आ रहे हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जे के लिए राजनैतिक दलों में जबरदस्त खींचतान मची है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि एक प्रत्याशी के पक्ष में लामबंद 36 जिला पंचायत सदस्य को जिले से बाहर ले जाया गया है। उनके मोबाइल भी बंद हैं। दूसरे प्रत्याशी सारे जतन करने के बाद भी उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐन चुनाव के वक्त उन्हें लाया जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए तीन जुलाई को अफीम कोठी में सुबह 11 बजे से मतदान होगा।
निर्वाचित 57 सदस्य अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। जिला पंचायत में अपना बोर्ड बनाने के लिए भाजपा, सपा और जनसत्तादल लोकतांत्रिक ने पूरी ताकत झोंक दी है। बसपा ने पहले ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से अपने को अलग कर लिया है। चुनाव से पहले सदस्यों को अपने पाले में करने के लिए सियासी दिग्गजों में खींचतान मची है। अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए 29 सदस्यों के बहुमत की जरूरत होगी।
इस बीच जिले में तेजी से यह चर्चा हो रही है कि एक प्रत्याशी के पक्ष में 36 सदस्य सप्ताह भर से जिले से बाहर हैं। ऐसे में अन्य प्रत्याशी उनसे संपर्क ही नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि अपनी जीत का दावा सभी कर रहे हैं। सत्ताधारी भाजपा के खेमे में इन दिनों जीत को लेकर रात-दिन मंथन चल रहा है। जिला पंचायत सदस्यों को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता भी डेरा डाले हुए हैं।
भाजपा पंचायत चुनाव के जिला संयोजक गिरधारी सिंह ने डीएम और एसपी से मिलकर जिले के 36 जिला पंचायत सदस्यों के गायब होने की शिकायत की थी। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने अभी तक न तो कोई पहल की है और न ही सदस्यों की वापसी हुई है। फिर किंगमेकर की भूमिका में प्रमोद तिवारीसियासत की नब्ज को करीब से टटोलने के बाद दांव खेलने में माहिर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। जिला पंचायत के चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ पांच जिला पंचायत सदस्य होने के बाद भी भाजपा और सपा को रोकने के लिए उन्होंने गोट बिछा दी है।
अब वह अपनी रणनीति में कितने सफल हो पाते हैं, इसका पता तीन जुलाई को मतदान के बाद चलेगा। सूबे में भले ही कांग्रेस का ग्राफ गिरा है, मगर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी का दबदबा बरकरार है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ने वाले सिर्फ पांच सदस्यों को जीत मिली थी। परिणाम आने के बाद उन्होंने सात और सदस्यों को साध लिया। बुधवार को लालगंज में मौजूद बारह सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से उसी व्यक्ति को अपना वोट देने की बात कही, जिसे प्रमोद तिवारी अपना समर्थन देंगे।इससे यह साफ हो गया है कि 12 सदस्यों को लेकर प्रमोद तिवारी एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं। वर्ष 2011 में प्रमोद कुमार मौर्या को अध्यक्ष बनवाने में भी प्रमोद तिवारी का अहम योगदान था। सपा समर्थित प्रत्याशी घनश्याम यादव को रोकने के लिए प्रमोद तिवारी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। उनके प्रयास से ही क्षेत्रीय दलों ने एकजुट होकर बसपा प्रत्याशी प्रमोद कुमार मौर्य को जीत दर्ज कराई थी। इस बार चुनाव में प्रमोद तिवारी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के साथ नजर आ रहे हैं।
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