लखीमपुर खीरी के बांकेगंज के दुधवा टाइगर रिजर्व में अमलतास के पेड़ से फौव्वारे की तरह झर-झर गिरता पानी इन दिनों कोतूहल का विषय बना हुआ है। भले ही यह आपको आश्चर्यजनक लगे, लेकिन यह सच है। वैज्ञानियों के मुताबिक यह कोई चमत्कार नहीं है, बल्कि वानस्पतिक प्रकिया है, जो यदा-कदा ही देखने को मिलती है।दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के मैलानी रेंज की जटपुरा बीट में फॉरेस्टर सुरेंद्र कुमार ने यह नजारा अपनी आंखों से देखा और इसका वीडियो भी बनाया है। सुरेंद्र कुमार जंगल में गश्त पर थे, उन्होनें बड़ी नहर के पनसब्बी पुल के पास एक अमलतास के पेड़ की पत्तियों और टहनियों से फौव्वारे की तरह पानी गिरते देखा तो दंग रह गए। कुछ समय तक वह उस पेड़ को अपलक निहारते रहे, लेकिन उन्हें अपनी आखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। सूखे मौसम में सुरेंद्र कुमार ने ऐसा नजारा पहली बार देखा था। उन्होंने अपने मोबाइल से इस नजारे का वीडियो बनाकर कई लोगों को भेजा, लेकिन ज्यादातर लोगों ने इसे चमत्कार ही बताया।इस बावत दुधवा टाइगर रिजर्व के पूर्व मुख्य वन संरक्षक व फील्ड निदेशक और मौजूदा समय में दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि यह एक वानस्पतिक प्रकिया है। जिसे गटेशन कहते हैं। जब कोई पेड़ अधिक पानी सोंख लेता है तो पेड़ में टर्गर प्रेशर बनता है और पेड़ की पत्तियों और टहनियों के सूक्ष्म छिद्रों से फौव्वारे की तरह पानी निकलना शुरू हो जाता है। पानी फौव्वारे की तरह निकलना कई दिनों तक जारी रहता है। अक्सर लोग इसे चमत्कार मान लेते हैं। जबकि यह एक वानस्पतिक प्रक्रिया है, जो यदा-कदा ही देखने को मिलती है।
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