आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने नया आरोप लगाया है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भारी मात्रा में जमीन खरीद रहा था। खरीदी जा रही भूमि के कुछ हिस्से पर मंदिर के एक हिस्से का निर्माण होना था, तो कुछ हिस्से पर उन लोगों को बसाया जाना था जिनकी भूमि राम मंदिर के उपयोग में ली जा रही थी और बदले में उन्हें अन्यत्र बसाया जाना था। लेकिन इस पूरी खरीद में ट्रस्ट ने आवश्यक प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया। यहां तक कि जिस भूमि को खरीदा जाना था, उसकी कानूनी स्थिति पता करने की कोशिश तक नहीं की गई। आरोप है कि इसी गड़बड़ी के कारण इतना बड़ा घोटाला हो गया और ट्रस्ट के प्रमुख सदस्यों को इसका पता तक नहीं चला।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भूमि खरीद की जिम्मेदारी ट्रस्ट के ही एक सदस्य को दे रखी थी। ट्रस्ट में कानून और प्रशासन की बेहतर समझ रखने वाले वरिष्ठ लोगों के होने के बावजूद स्थानीय उपलब्धता के चलते इसकी जिम्मेदारी इस सदस्य को दी गई थी। इस सदस्य ने भूमि खरीद के लिए अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय पर भरोसा किया और उनकी सुझाई गई भूमि को खऱीद के लिए हरी झंडी दे दी। मेयर के साथ होने के कारण किसी भी भूमि की कानूनी स्थिति पता करने की औपचारिकता भी नहीं पूरी की गई।
इस भरोसे का परिणाम हुआ कि मेयर के करीबी रवि मोहन तिवारी और एक अन्य करीबी ने आसपास की भूमि अपने नाम पर खरीदकर और बाद में इसे भारी ऊंची कीमतों पर ट्रस्ट को बेच दिया। बताया जाता है कि इस स्तर पर घोटाले की जानकारी ट्रस्ट के ही सदस्यों तक को नहीं थी। अयोध्या मंदिर के पास उपलब्ध सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री किसी भी कार्य के लिए नहीं की जा सकती थी। लेकिन कथित तौर पर मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे ने फर्जी रजिस्ट्री के माध्यम से इस पर अपना कब्जा कर लिया और बाद में इसे ट्रस्ट को दो करोड़ रुपये मे्ं बेच दिया। बताया जा रहा है कि ट्रस्ट के सदस्य क ऋषिकेश उपाध्याय पर भरोसे का परिणाम हुआ कि इस सरकारी भूमि को भी ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्री कर दी गई और पूरी खरीद-फरोख्त के पहले भूमि की जांच तक नहीं की गई।
यहां खपाया जा रहा था पैसा
आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने शनिवार को आरोप लगाया है कि रविमोहन तिवारी और हरीश पाठक ने सुल्तान अंसारी के साथ मिलकर ट्रस्ट को भूमि बेचकर जो भारी मात्रा में धन अर्जित किया था, वह पैसा उन्होंने बाद में अन्य जगह पर भूमि खरीदने में लगा दिया जिसके दस्तावेज उनके पास हैं। आरोप है कि हरीश पाठक, कुसुम पाठक, रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने फर्जी तरीके से दो करोड़ की भूमि ट्रस्ट को 18.50 करोड़ रुपये में 18 मार्च को बेची थी। इससे मिला पैसा उन्होंने अप्रैल महीने में 10 करोड़ रुपये में भूमि खरीद में इस्तेमाल किया। संजय सिंह का आरोप है कि इतना बड़ा भूमि घोटाला केवल स्थानीय लोगों के कारण नहीं हुआ है। इसका पैसा भाजपा के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस घोटाले की जांच कर उन लोगों के चेहरे हिंदू जनता के सामने लाने चाहिए, जिनके पास तक इस घोटाले का पैसा पहुंच रहा था।
आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने नया आरोप लगाया है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भारी मात्रा में जमीन खरीद रहा था। खरीदी जा रही भूमि के कुछ हिस्से पर मंदिर के एक हिस्से का निर्माण होना था, तो कुछ हिस्से पर उन लोगों को बसाया जाना था जिनकी भूमि राम मंदिर के उपयोग में ली जा रही थी और बदले में उन्हें अन्यत्र बसाया जाना था। लेकिन इस पूरी खरीद में ट्रस्ट ने आवश्यक प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया। यहां तक कि जिस भूमि को खरीदा जाना था, उसकी कानूनी स्थिति पता करने की कोशिश तक नहीं की गई। आरोप है कि इसी गड़बड़ी के कारण इतना बड़ा घोटाला हो गया और ट्रस्ट के प्रमुख सदस्यों को इसका पता तक नहीं चला।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भूमि खरीद की जिम्मेदारी ट्रस्ट के ही एक सदस्य को दे रखी थी। ट्रस्ट में कानून और प्रशासन की बेहतर समझ रखने वाले वरिष्ठ लोगों के होने के बावजूद स्थानीय उपलब्धता के चलते इसकी जिम्मेदारी इस सदस्य को दी गई थी। इस सदस्य ने भूमि खरीद के लिए अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय पर भरोसा किया और उनकी सुझाई गई भूमि को खऱीद के लिए हरी झंडी दे दी। मेयर के साथ होने के कारण किसी भी भूमि की कानूनी स्थिति पता करने की औपचारिकता भी नहीं पूरी की गई।
इस भरोसे का परिणाम हुआ कि मेयर के करीबी रवि मोहन तिवारी और एक अन्य करीबी ने आसपास की भूमि अपने नाम पर खरीदकर और बाद में इसे भारी ऊंची कीमतों पर ट्रस्ट को बेच दिया। बताया जाता है कि इस स्तर पर घोटाले की जानकारी ट्रस्ट के ही सदस्यों तक को नहीं थी। अयोध्या मंदिर के पास उपलब्ध सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री किसी भी कार्य के लिए नहीं की जा सकती थी। लेकिन कथित तौर पर मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे ने फर्जी रजिस्ट्री के माध्यम से इस पर अपना कब्जा कर लिया और बाद में इसे ट्रस्ट को दो करोड़ रुपये मे्ं बेच दिया। बताया जा रहा है कि ट्रस्ट के सदस्य क ऋषिकेश उपाध्याय पर भरोसे का परिणाम हुआ कि इस सरकारी भूमि को भी ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्री कर दी गई और पूरी खरीद-फरोख्त के पहले भूमि की जांच तक नहीं की गई।
यहां खपाया जा रहा था पैसा
आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने शनिवार को आरोप लगाया है कि रविमोहन तिवारी और हरीश पाठक ने सुल्तान अंसारी के साथ मिलकर ट्रस्ट को भूमि बेचकर जो भारी मात्रा में धन अर्जित किया था, वह पैसा उन्होंने बाद में अन्य जगह पर भूमि खरीदने में लगा दिया जिसके दस्तावेज उनके पास हैं। आरोप है कि हरीश पाठक, कुसुम पाठक, रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने फर्जी तरीके से दो करोड़ की भूमि ट्रस्ट को 18.50 करोड़ रुपये में 18 मार्च को बेची थी। इससे मिला पैसा उन्होंने अप्रैल महीने में 10 करोड़ रुपये में भूमि खरीद में इस्तेमाल किया। संजय सिंह का आरोप है कि इतना बड़ा भूमि घोटाला केवल स्थानीय लोगों के कारण नहीं हुआ है। इसका पैसा भाजपा के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस घोटाले की जांच कर उन लोगों के चेहरे हिंदू जनता के सामने लाने चाहिए, जिनके पास तक इस घोटाले का पैसा पहुंच रहा था।
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