पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के हिरनों की दो प्रजातियों में बदलाव देखा जा रहा है। दोनों प्रजातियों के हिरनों के शरीर पर स्पॉट देखे जा रहे हैं, जोपहले नहीं होते थे। यह बदलाव किस वजह से है। इसको लेकर वन्यजीव विशेषज्ञ और वन अफसरों की राय अलग-अलग है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों प्रजातियों के आपसी समागम के कारण ऐसा हुआ है, वहीं कुछ का कहना है कि यह इनवारयमेंटल इफ्ेक्ट की बदौलत है। फिलहाल अब पीटीआर में संकर प्रजाति के यह हिरन शोध का विषय बन चुके हैं।पीटीआर में हिरन की पांच प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें बारहसिंघा, सांभर, चीतल, काकड़ और पाड़ा शामिल हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या चीतल प्रजाति की है। काकड़ प्रजाति की संख्या सबसे कम है। पिछले कुछ समय से पीटीआर में हिरन की दो प्रजातियों के रंग-रूप और चाल-ढाल में बदलाव की बात सामने आई। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बिलाल मियां ने ऐसे ही कुछ ऐसे हिरनों की तस्वीरें पिछले दो सालों में अपने कैमरे में कैद कीं, जो कि पीटीआर में पाए जाने वाले हिरनों से भिन्न थीं। ये तस्वीरें पीटीआर के कुछ वन अफसरों को दिखाईं तो ये पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों बताए गए। इनके शरीर के ऊपरी हिस्से में स्पॉट पाए गए, जोकि मात्र चीतल प्रजाति के शरीर पर ही पाए जाते हैं। (संवाद)
वर्ष 2014-15 में भी दिखे थे ऐसे हिरन
यह बदलाव कोई नया नहीं है, वर्ष 2014-15 में भी पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों में ऐसा बदलाव देखा गया था। उस दौरान पीटीआर में तैनात रहे एसडीओ डीपी सिंह ने पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों को देखने के बाद इसमें खासी दिलचस्पी ली थी। कुछ स्पॉट वाले हिरनों की तस्वीरेें भी ली थीं। उस दौरान यह बात उच्चाधिकारियों तक भी पहुंची। अफसरों ने दिलचस्पी दिखाई, मगर स्थानांतरण के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
बदलाव की वजह को लेकर विशेषज्ञों की राय जुदा
हिरन प्रजाति के आपसी समागम से आया बदलाव
वर्ष 2015 में पीटीआर में हिरन की पाड़ा और काकड़ प्रजाति के शरीर पर स्पॉट देखे गए थे। जबकि यह स्पॉट केवल चीतल प्रजाति के शरीर पर ही पाए जाते हैं। मेरा मानना है कि चीतल से इन दोनों प्रजातियों के साथ हुई ब्रीडिंग के चलते ही यह बदलाव देखा जा रहा है।डीपी सिंह, सेवानिवृत उप प्रभागीय वनाधिकारी, पीटीआर
वन्यजीवों की के बीच इंटरस्पशीज ब्रीडिंग संभव
जंगली जानवरों के बीच इंटरस्पशीज ब्रीडिंग की खबरें हैं। मैंने कई ऐसे जानवरों को देखा है, मगर इस तरह से उत्पन्न होने वाली नस्लों में निश्वित रूप से प्रजनन की क्षमता नहीं होती है। डॉ. आरके सिंह, वन्यजीव विशेषज्ञ, कानुपर
हॉग और बार्किंग में देखे जा रहे बदलाव
हिरन प्रजाति में इंटरस्पशीज ब्रीडिंग हो सकती है। हॉग और बार्किंग प्रजाति के हिरनों के शरीर पर धब्बे दे जा रहे हैं। चूंकि यहां चीतल बहुतायत में है, जबकि हॉग और बार्किंग प्रजाति कम है। ऐसे में यह संभव है, मगर यह एक शोध का विषय है।उमेश चंद्र राय, उप प्रभागीय वनाधिकारी, माला
दो प्रजातियों के शरीर पर देखे जा रहे स्पॉट, पीटीआर में पाई जाती हैं हिरनों की पांच प्रजातियां
पीलीभीत। पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के हिरनों की दो प्रजातियों में बदलाव देखा जा रहा है। दोनों प्रजातियों के हिरनों के शरीर पर स्पॉट देखे जा रहे हैं, जोपहले नहीं होते थे। यह बदलाव किस वजह से है। इसको लेकर वन्यजीव विशेषज्ञ और वन अफसरों की राय अलग-अलग है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों प्रजातियों के आपसी समागम के कारण ऐसा हुआ है, वहीं कुछ का कहना है कि यह इनवारयमेंटल इफ्ेक्ट की बदौलत है। फिलहाल अब पीटीआर में संकर प्रजाति के यह हिरन शोध का विषय बन चुके हैं।
पीटीआर में हिरन की पांच प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें बारहसिंघा, सांभर, चीतल, काकड़ और पाड़ा शामिल हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या चीतल प्रजाति की है। काकड़ प्रजाति की संख्या सबसे कम है। पिछले कुछ समय से पीटीआर में हिरन की दो प्रजातियों के रंग-रूप और चाल-ढाल में बदलाव की बात सामने आई। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बिलाल मियां ने ऐसे ही कुछ ऐसे हिरनों की तस्वीरें पिछले दो सालों में अपने कैमरे में कैद कीं, जो कि पीटीआर में पाए जाने वाले हिरनों से भिन्न थीं। ये तस्वीरें पीटीआर के कुछ वन अफसरों को दिखाईं तो ये पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों बताए गए। इनके शरीर के ऊपरी हिस्से में स्पॉट पाए गए, जोकि मात्र चीतल प्रजाति के शरीर पर ही पाए जाते हैं।
यह बदलाव कोई नया नहीं है, वर्ष 2014-15 में भी पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों में ऐसा बदलाव देखा गया था। उस दौरान पीटीआर में तैनात रहे एसडीओ डीपी सिंह ने पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों को देखने के बाद इसमें खासी दिलचस्पी ली थी। कुछ स्पॉट वाले हिरनों की तस्वीरेें भी ली थीं। उस दौरान यह बात उच्चाधिकारियों तक भी पहुंची। अफसरों ने दिलचस्पी दिखाई, मगर स्थानांतरण के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
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