हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पा चुके भगोड़े 50 हजार के इनामी को बलिया पुलिस ने शुक्रवार को गायघाट डाकबंगले से गिरफ्तार कर लिया। अभियुक्त 16 वर्ष पहले जेल से छह माह के लिए पैरोल पर घर आया था तब से वाराणसी जेल में हाजिर नहीं हुआ। न्यायालय से कई बार नोटिस और वारंट जारी किया गया था। गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ और एसओजी की टीम लगाई गई थी।हल्दी थाना क्षेत्र के गायघाट निवासी अनिल सिंह पुत्र शिवशंकर सिंह बीएसएफ में सैनिक के पद पर जम्मू-कश्मीर में तैनात था। तैनाती के दौरान छह जनवरी 1994 में अपने विंग के एचओडी की हत्या कर दी थी। न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अनिल 12 साल की सजा काट चुका था, सजा के दो साल ही शेष थे। अनिल ने अपने वकील के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर छह माह का पैरोल मांगा था। हाईकोर्ट ने 12 अक्तूबर 2005 से 13 अप्रैल 2006 तक का पैरोल स्वीकृत किया था।
12 अक्तूबर 2005 को वाराणसी स्थित सेंट्रल जेल से आने के बाद वह पुन: हाजिर नहीं हुआ। अप्रैल 2006 से ही उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। 16 साल से वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। इसी बीच शुक्रवार को मुखबिर की सूचना पर थानाध्यक्ष राजकुमार सिंह, उपनिरीक्षक शैलेंद्र पांडेय आदि ने गायघाट डाकबंगले से उसे गिरफ्तार कर लिया। थानाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने बताया कि इसकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ व एसओजी की टीम कई वर्षों से लगी थी। भगोड़े अनिल पर बलिया एसपी की तरफ से 25 हजार और वाराणसी पुलिस की ओर से 25 हजार का इनाम घोषित था।
हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पा चुके भगोड़े 50 हजार के इनामी को बलिया पुलिस ने शुक्रवार को गायघाट डाकबंगले से गिरफ्तार कर लिया। अभियुक्त 16 वर्ष पहले जेल से छह माह के लिए पैरोल पर घर आया था तब से वाराणसी जेल में हाजिर नहीं हुआ। न्यायालय से कई बार नोटिस और वारंट जारी किया गया था। गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ और एसओजी की टीम लगाई गई थी।
हल्दी थाना क्षेत्र के गायघाट निवासी अनिल सिंह पुत्र शिवशंकर सिंह बीएसएफ में सैनिक के पद पर जम्मू-कश्मीर में तैनात था। तैनाती के दौरान छह जनवरी 1994 में अपने विंग के एचओडी की हत्या कर दी थी। न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अनिल 12 साल की सजा काट चुका था, सजा के दो साल ही शेष थे। अनिल ने अपने वकील के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर छह माह का पैरोल मांगा था। हाईकोर्ट ने 12 अक्तूबर 2005 से 13 अप्रैल 2006 तक का पैरोल स्वीकृत किया था।
12 अक्तूबर 2005 को वाराणसी स्थित सेंट्रल जेल से आने के बाद वह पुन: हाजिर नहीं हुआ। अप्रैल 2006 से ही उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। 16 साल से वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। इसी बीच शुक्रवार को मुखबिर की सूचना पर थानाध्यक्ष राजकुमार सिंह, उपनिरीक्षक शैलेंद्र पांडेय आदि ने गायघाट डाकबंगले से उसे गिरफ्तार कर लिया। थानाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने बताया कि इसकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ व एसओजी की टीम कई वर्षों से लगी थी। भगोड़े अनिल पर बलिया एसपी की तरफ से 25 हजार और वाराणसी पुलिस की ओर से 25 हजार का इनाम घोषित था।
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