महेवागंज/सुंदरवल (लखीमपुर खीरी)। फूलबेहड़ क्षेत्र में बाढ़ के बीच नाव की कमी लोगों को अखर रही है। मंगलवार को समय पर नाव न मिल पाने से बरात की विदाई में कई घंटे लग गए। शाम को नाव मिल पाने से नवदंपती की विदाई हुई।मेहंदी गांव निवासी मंशाराम की बेटी पिंकी की बरात सोमवार को निघासन क्षेत्र के खरवहिया गांव से आई थी। बरात में करीब 30 लोग थे। खमरिया गांव तक तो बराती कार और बाइक से पहुंच गए। मेहंदी गांव में जाने के लिए बाढ़ रोड़ा बन गई। नाव ही एकमात्र विकल्प था। दूल्हे सहित सभी बराती पहले नाव और फिर ट्रैक्टर से दुल्हन के घर पहुंचे। बरात की सभी रस्में पूरी हुईं। मंगलवार सुबह बरात की विदाई का समय हुआ। अब नाव की तलाश होने लगी। पता चला कि सोमवार को बाढ़ के पानी में लापता हुए एक युवक की तलाश में लगाई गई है। ग्रामीणों के मुताबिक, समय पर नाव न मिल पाने से विदाई में कई घंटे बीत गए। शाम करीब छह बजे किसी तरह नाव का इंतजाम हुआ। तब जाकर बराती और घरातियों ने राहत की सांस ली।उधर बड़ागांव में भी ऐसा ही माजरा लोगों के सामने आया। जब बड़ागांव निवासी पटवारी अपनी नई नवेली दुल्हन को लेकर नाव से घर पहुंचा। पटवारी ने बताया कि नाव के लिए उसे भी घंटों तटबंध पर इंतजार करना पड़ा।
महेवागंज/सुंदरवल (लखीमपुर खीरी)। फूलबेहड़ क्षेत्र में बाढ़ के बीच नाव की कमी लोगों को अखर रही है। मंगलवार को समय पर नाव न मिल पाने से बरात की विदाई में कई घंटे लग गए। शाम को नाव मिल पाने से नवदंपती की विदाई हुई।
मेहंदी गांव निवासी मंशाराम की बेटी पिंकी की बरात सोमवार को निघासन क्षेत्र के खरवहिया गांव से आई थी। बरात में करीब 30 लोग थे। खमरिया गांव तक तो बराती कार और बाइक से पहुंच गए। मेहंदी गांव में जाने के लिए बाढ़ रोड़ा बन गई। नाव ही एकमात्र विकल्प था। दूल्हे सहित सभी बराती पहले नाव और फिर ट्रैक्टर से दुल्हन के घर पहुंचे। बरात की सभी रस्में पूरी हुईं। मंगलवार सुबह बरात की विदाई का समय हुआ। अब नाव की तलाश होने लगी। पता चला कि सोमवार को बाढ़ के पानी में लापता हुए एक युवक की तलाश में लगाई गई है। ग्रामीणों के मुताबिक, समय पर नाव न मिल पाने से विदाई में कई घंटे बीत गए। शाम करीब छह बजे किसी तरह नाव का इंतजाम हुआ। तब जाकर बराती और घरातियों ने राहत की सांस ली।
उधर बड़ागांव में भी ऐसा ही माजरा लोगों के सामने आया। जब बड़ागांव निवासी पटवारी अपनी नई नवेली दुल्हन को लेकर नाव से घर पहुंचा। पटवारी ने बताया कि नाव के लिए उसे भी घंटों तटबंध पर इंतजार करना पड़ा।
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