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पूर्व सांसद उमाकांत यादव के पुत्र रविकांत यादव को हाईकोर्ट से झटका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली पूर्व विधायक उमाकांत यादव, इनके बेटे रविकांत यादव व अन्य के खिलाफ गिरोहबंद कानून के तहत दर्ज आपराधिक मामले की विवेचना दूसरे थाने की पुलिस को स्थानांतरित करने की मांग अस्वीकार कर दी है और विवेचनाधिकारी को निष्पक्ष विवेचना करने का निर्देश दिया है। यह भी कहा है कि ऐसी कोई आपराधिक घटना होने को झूठी करार देने के याची के आरोपों की भी  तहकीकात की जाए। याची का आरोप था कि जिस थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई है, वही विवेचना भी कर रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि दूसरे थाने की पुलिस विवेचना कर रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने रविकांत यादव की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।याची का कहना था कि वह राजनीतिक दल से जुड़ा है, इसलिए पुलिस ने उसे फर्जी फंसाया  है। थाना इंचार्ज ने जो एफआईआर दर्ज कराई है, वास्तव में ऐसी घटना हुई ही नहीं। पुलिस ने उसकी गाड़ी रोकी और गाली देते हुए मुकदमे में फंसा दिया। उसके पास लाइसेंसी रायफल थी। फायर भी नहीं हुआ और पुलिस ने खोखा बरामद कर लिया। कोर्ट ने कहा पुलिस पर दुर्भावनापूर्ण कार्य करने का आरोप लगाया गया है किंतु कोई तथ्य नहीं दिया गया है। यह भी नहीं बताया कि किस राजनीतिक दल से जुडे़ हैं और पुलिस क्यों फंसा रही है। मामले के अनुसार आजमगढ़ के दीदारगंज थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ याची को पकड़ने के लिए सादी वर्दी में खडे थे। याची की फार्च्यूनर कार ने पुलिस वाहन को बगल से टक्कर मारी। कई लोगों ने असलहे के साथ पुलिस को घेर लिया। एसएचओ ने अपना और टीम का परिचय दिया। किंतु याची व उसके साथी गाली देने लगे, धक्का दिया। पुलिस टीम के पोजीशन लेने पर फायर कर भागने की कोशिश में याची पकड़ा गया और उसके साथी भागने में सफल रहे। शस्त्र व गाड़ी जब्त कर ली गई। गिरोहबंद कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसकी विवेचना पुलिस कर रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली पूर्व विधायक उमाकांत यादव, इनके बेटे रविकांत यादव व अन्य के खिलाफ गिरोहबंद कानून के तहत दर्ज आपराधिक मामले की विवेचना दूसरे थाने की पुलिस को स्थानांतरित करने की मांग अस्वीकार कर दी है और विवेचनाधिकारी को निष्पक्ष विवेचना करने का निर्देश दिया है। यह भी कहा है कि ऐसी कोई आपराधिक घटना होने को झूठी करार देने के याची के आरोपों की भी  तहकीकात की जाए। याची का आरोप था कि जिस थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई है, वही विवेचना भी कर रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि दूसरे थाने की पुलिस विवेचना कर रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने रविकांत यादव की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

याची का कहना था कि वह राजनीतिक दल से जुड़ा है, इसलिए पुलिस ने उसे फर्जी फंसाया  है। थाना इंचार्ज ने जो एफआईआर दर्ज कराई है, वास्तव में ऐसी घटना हुई ही नहीं। पुलिस ने उसकी गाड़ी रोकी और गाली देते हुए मुकदमे में फंसा दिया। उसके पास लाइसेंसी रायफल थी। फायर भी नहीं हुआ और पुलिस ने खोखा बरामद कर लिया। कोर्ट ने कहा पुलिस पर दुर्भावनापूर्ण कार्य करने का आरोप लगाया गया है किंतु कोई तथ्य नहीं दिया गया है। यह भी नहीं बताया कि किस राजनीतिक दल से जुडे़ हैं और पुलिस क्यों फंसा रही है। 

मामले के अनुसार आजमगढ़ के दीदारगंज थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ याची को पकड़ने के लिए सादी वर्दी में खडे थे। याची की फार्च्यूनर कार ने पुलिस वाहन को बगल से टक्कर मारी। कई लोगों ने असलहे के साथ पुलिस को घेर लिया। एसएचओ ने अपना और टीम का परिचय दिया। किंतु याची व उसके साथी गाली देने लगे, धक्का दिया। पुलिस टीम के पोजीशन लेने पर फायर कर भागने की कोशिश में याची पकड़ा गया और उसके साथी भागने में सफल रहे। शस्त्र व गाड़ी जब्त कर ली गई। गिरोहबंद कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसकी विवेचना पुलिस कर रही है।