हमीरपुरउत्तर प्रदेश के हमीरपुर में कोरोना संक्रमण काल में बुंदेलखंड रक्तदान समिति मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुई है। अब तक समिति के जरिए 707 मरीजों को खून मिलने से उन्हें नया जीवन मिला है।हमीरपुर शहर के रहने वाले अशोक निषाद गुरु नगर पालिका परिषद के चेयरमैन कुलदीप निषाद के छोटे भाई हैं। स्नातक की पढ़ाई करने के बाद इन्होंने समाजसेवा करने का फैसला किया। कोरोना संक्रमण काल में समिति से जुड़े लोगों की एक टीम बनाकर ऐसे लोगों का ब्योरा एकत्र कराया, जो असहाय और गरीब थे। साथ ही जिला अस्पताल में भी समिति के लोगों को मरीजों की खबर लेने के लिए लगाया गया। इस समिति में डेढ़ सौ लोग सदस्य के रूप में सेवाएं दे रहे हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।बुंदेलखंड रक्तदान समिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुरु ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में ग्रामीण इलाकों से गंभीर बीमारी में इलाज कराने अस्पताल आई गरीब महिलाओं को ना सिर्फ भर्ती कराया गया, बल्कि खून की कमी होने पर तत्काल खून भी उपलब्ध कराया गया। अरतरा गांव की सरोज महिला के शरीर में छह यूनिट खून की कमी होने पर चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए थे। ऐसे में खून तत्काल उपलब्ध कराकर उसे बचाया जा सका।
कोरोना की दूसरी लहर में पूरी टीम ने मरीजों के लिए दवाइयां और अन्य सामग्री भी मुहैया करायी है।समिति के सौ सदस्यों ने भी पचास बार किया रक्तदानबुंदेलखंड रक्तदान समिति के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि समिति के सौ सदस्यों ने कोरोना संक्रमण काल में पचास बार रक्तदान किया है। मध्य प्रदेश के छतरपुर, ग्वालियर और यूपी के कानपुर, लखनऊ, झांसी, बांदा पहुंचकर मरीजों को नया जीवन देने के लिए रक्तदान किया गया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा वह स्वयं ही बीस बार रक्तदान किया है, जबकि समिति के रोहित राजावत, आशीष सिंह, सिद्धार्थ सिंह, आनंद साहू ने भी मरीजों को मैसेज आते ही रक्तदान किया है। इसके अलावा गरिमा ओमर, अर्चना नामदेव, गोल्डी, प्रतीक्षा, हर्षिता, प्रांशी, मुन्नी, सीमा यादव, विनीता और सुचित्रा ने भी मरीजों के लिए रक्तदान किया है।
हमीरपुर पुलिस ने किया पीठ थपथपाने वाला काम, नशे में धुत पड़े शराबी सर्राफा व्यवसायी को भेजा अस्पताल, परिवार को सौपें गहनेसमिति की पहल पर बेंगलुरु से आकर युवक ने किया रक्तदानसमिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक ने बताया कि समिति से जुड़े तमाम लोग बाहर नौकरी करते हैं। हमीरपुर में अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए खून की जरूरत पड़ी तो बेंगलुरु से रिषभ ने यहां आकर खून दिया था। ग्वालियर के डबरा से यज्ञेश दुबे, लखनऊ से अजय श्रीवास्तव, कानपुर से आदर्श सचान, फतेहपुर से अशोक कुमार और बांदा से पुलिस उपनिरीक्षक वीरेन्द्र त्रिपाठी ने भी यहां मरीजों को बचाने के लिए रक्तदान किया। अस्पताल में भर्ती एक गरीब मरीज को खून दान देने के बाद ही यहां अशोक गुरु ने शादी की साल गिरह मनाई थी। उनके साथ समिति के पचास युवकों ने भी रक्तदान किया था।
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