सऊदी अरब में बेटे की मौत पर वहां की सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे की रकम रोकने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम मऊ को ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया है। सऊदी अरब के बादशाह ने रियाद दूतावास के जरिए जिलाधिकारी को 60 लाख 60 हजार 606 रुपये याची हाफिज नौशाद अहमद व शाहिदा बानो को देने के लिए भेजा है। यह मुआवजा याची के बेटे मोहम्मद फैज की सड़क दुर्घटना में हुई मौत पर दिया गया है। मगर डीएम ने उत्तराधिकार प्रमाणपत्र दिखाने के नाम पर मुआवजे की रकम का भुगतान रोक दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने याची से कहा है कि वह 9अगस्त 20 से अबतक के ब्याज के लिए डी एम को अर्जी दें और वह ब्याज की गणना कर भुगतान करें। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति आर एन तिलहरी की खंडपीठ ने हाफिज नौशाद अहमद व अन्य की याचिका पर दिया है। इससे पहले याची के बेटे की बकाया तनख्वाह दूतावास के जरिए आई थी।एक मात्र वारिस माता पिता को जिलाधिकारी ने भुगतान कर दिया था।मुआवजे के मामले में डी एम ने 14अक्तूबर 20को याची के उत्तराधिकार की रिपोर्ट रियाद दूतावास को भेजी थी।जिसपर दूतावास ने रुपये डी एम को भेजे और वह भुगतान नहीं कर रहा है।जिसे लेकर याचिका दायर की गई थी।कोर्ट ने कहा ऋण व प्रतिभूति के मामले में उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।मुआवजे के भुगतान पर यह लागू नहीं होता।इसलिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं है।
सऊदी अरब में बेटे की मौत पर वहां की सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे की रकम रोकने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम मऊ को ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया है। सऊदी अरब के बादशाह ने रियाद दूतावास के जरिए जिलाधिकारी को 60 लाख 60 हजार 606 रुपये याची हाफिज नौशाद अहमद व शाहिदा बानो को देने के लिए भेजा है। यह मुआवजा याची के बेटे मोहम्मद फैज की सड़क दुर्घटना में हुई मौत पर दिया गया है। मगर डीएम ने उत्तराधिकार प्रमाणपत्र दिखाने के नाम पर मुआवजे की रकम का भुगतान रोक दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई।
कोर्ट ने याची से कहा है कि वह 9अगस्त 20 से अबतक के ब्याज के लिए डी एम को अर्जी दें और वह ब्याज की गणना कर भुगतान करें। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति आर एन तिलहरी की खंडपीठ ने हाफिज नौशाद अहमद व अन्य की याचिका पर दिया है। इससे पहले याची के बेटे की बकाया तनख्वाह दूतावास के जरिए आई थी।
एक मात्र वारिस माता पिता को जिलाधिकारी ने भुगतान कर दिया था।मुआवजे के मामले में डी एम ने 14अक्तूबर 20को याची के उत्तराधिकार की रिपोर्ट रियाद दूतावास को भेजी थी।जिसपर दूतावास ने रुपये डी एम को भेजे और वह भुगतान नहीं कर रहा है।जिसे लेकर याचिका दायर की गई थी।कोर्ट ने कहा ऋण व प्रतिभूति के मामले में उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।मुआवजे के भुगतान पर यह लागू नहीं होता।इसलिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं है।
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