बरेली कॉलेज में गबन के मामले में बाकी आरोपी भी जमानत लेने के प्रयास में14 आरोपी हैं गबन के मामले में, सिर्फ एक को ही गिरफ्तार कर पाई पुलिस
बरेली। बरेली कॉलेज में पांच करोड़ के गबन के मामले में प्रबंध समिति के सचिव देवमूर्ति और पूर्व प्राचार्य डॉ. सोमेश यादव को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है। बताया जा रहा है कि दो और आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगा रखी है। वैसे इस मामले में पुलिस ने 14 आरोपी बनाए थे लेकिन इनमें से सिर्फ उपाध्यक्ष काजी अलीमुद्दीन को गिरफ्तार कर पाई थी।बरेली कॉलेज के कर्मचारियों की शिकायत पर तत्कालीन मंडलायुक्त रणवीर प्रसाद के निर्देश पर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. राजेश प्रकाश ने बरेली कॉलेज में हुए गबन की जांच की थी जिसके बाद सात दिसंबर 2018 को अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में इस केस की विवेचना क्राइम ब्रांच को दे दी गई। इंस्पेक्टर सुरेंद्र कटियार ने विवेचना में पाया कि दो करोड़ के काम बगैर टेंडर के ही करा दिए गए। सांठगांठ कर बिल भी पास कर दिए गए। इसके बाद इंस्पेक्टर ने प्रबंध समिति के सचिव देवमूर्ति, उपाध्यक्ष काजी अलीमुद्दीन, पूर्व प्राचार्य सोमेश यादव और अजय शर्मा और ठेकेदार मसूद समेत 14 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था।पुलिस ने 15 मार्च को एकाएक बरेली कॉलेज प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष काजी अलीमुद्दीन को गिरफ्तार किया तो सनसनी फैल गई। इसके बाद कई दिन तक पुलिस दावा करती रही कि इस मामले में बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए भी लगातार उनके घरों पर दबिश दी जा रही है लेकिन कुछ दिन तक चलने के बाद यह सिलसिला ठंडा हो गया। सभी आरोपियों को फरार घोषित कर पुलिस शांत बैठ गई। तीन महीने बाद भी इस मामले में और कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी। इसी बीच सचिव देवमूर्ति और पूर्व प्राचार्य सोमेश यादव को दो जून को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई। बताया जा रहा है कि पूर्व प्राचार्य अजय शर्मा और ठेकेदार भी अग्रिम जमानत लेने की कोशिश में हैं।
बरेली कॉलेज में पांच करोड़ के गबन के मामले में प्रबंध समिति के सचिव देवमूर्ति और पूर्व प्राचार्य डॉ. सोमेश यादव को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है। बताया जा रहा है कि दो और आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगा रखी है। वैसे इस मामले में पुलिस ने 14 आरोपी बनाए थे लेकिन इनमें से सिर्फ उपाध्यक्ष काजी अलीमुद्दीन को गिरफ्तार कर पाई थी।
बरेली कॉलेज के कर्मचारियों की शिकायत पर तत्कालीन मंडलायुक्त रणवीर प्रसाद के निर्देश पर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. राजेश प्रकाश ने बरेली कॉलेज में हुए गबन की जांच की थी जिसके बाद सात दिसंबर 2018 को अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में इस केस की विवेचना क्राइम ब्रांच को दे दी गई। इंस्पेक्टर सुरेंद्र कटियार ने विवेचना में पाया कि दो करोड़ के काम बगैर टेंडर के ही करा दिए गए। सांठगांठ कर बिल भी पास कर दिए गए। इसके बाद इंस्पेक्टर ने प्रबंध समिति के सचिव देवमूर्ति, उपाध्यक्ष काजी अलीमुद्दीन, पूर्व प्राचार्य सोमेश यादव और अजय शर्मा और ठेकेदार मसूद समेत 14 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था।
पुलिस ने 15 मार्च को एकाएक बरेली कॉलेज प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष काजी अलीमुद्दीन को गिरफ्तार किया तो सनसनी फैल गई। इसके बाद कई दिन तक पुलिस दावा करती रही कि इस मामले में बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए भी लगातार उनके घरों पर दबिश दी जा रही है लेकिन कुछ दिन तक चलने के बाद यह सिलसिला ठंडा हो गया। सभी आरोपियों को फरार घोषित कर पुलिस शांत बैठ गई। तीन महीने बाद भी इस मामले में और कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी। इसी बीच सचिव देवमूर्ति और पूर्व प्राचार्य सोमेश यादव को दो जून को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई। बताया जा रहा है कि पूर्व प्राचार्य अजय शर्मा और ठेकेदार भी अग्रिम जमानत लेने की कोशिश में हैं।
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