मेडिकल कॉलेज में बुलाकर एमबीबीएस दाखिले के नाम पर 17 लाख की ठगी मामले की परत दर परत अब खुलने लगी है। वारदात में नोएडा के गिरोह का हाथ होने के बाद कुछ अहम खुलासे हुए हैं। पता चला है कि पीड़ित व्यक्ति व उसकी बेटी को मेडिकल कॉलेज में बुलाकर गिरोह के लोगों ने फर्जी काउंसलिंग कराई थी। इस दौरान सरगना सचिन ने खुद को पल्मोनॉजी विभाग का डीन जबकि अपने साथी राज विक्रम को प्रोफेसर बताया था। चौंकाने वाली बात यह कि यह पूरा खेल पल्मोनॉजी विभाग के एक कक्ष में हुआ, जिसमेें मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी भी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड सचिन सिंह है जो मौजूदा समय में फरार चल रहा है। दरअसल सचिन के संपर्क में ही न सिर्फ प्रयागराज बल्कि आगरा व झांसी मेडिकल कॉलेज के कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। जिन्हें मोटी रकम देकर उसने इस खेल में शामिल कर लिया था। सचिन व राज विक्रम आकर मेडिकल कॉलेज कर्मचारियेां से मिलते थे जो उन्हेें विभागीय कक्षों की चाबी सौंपते थे। इसके बाद यह पूरा खेल शुरू होता था। कोतवाली में दर्ज 17 लाख की ठगी मामले में के पीड़ित प्रतापगढ़ निवासी सुरेंद्र यादव व उनकी बेटी के साथ भी ऐसे ही खेल हुआ। सचिन व राजविक्रम शहर आए और फिर मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों की मदद से पल्मोनॉजी विभाग के कक्ष में जाकर बैठ गए। इस दौरान सचिन ने खुद को विभाग का डीन जबकि राज को प्रोफेसर बताया। इसके बाद पीड़ित की बेटी की फर्जी काउंसलिंग भी कराई।
60 हजार रुपये किराए पर लिया था ऑफिस
सूत्रों का यह भी कहना है कि फर्जीवाड़े के लिए इस गिरोह ने नोएडा के आलीशान इलाके में 60 हजार प्रति माह के किराये पर ऑफिस लिया था। उन्होंने नोएडा के आइथम टॉवर में द गाइडेंस नाम से अपना ऑफिस बनाया था। गिरोह का एक सदस्य सुनील 2008 में हुए मैक्स चिटफंड घोटाले में भी जेल गया था।
मेडिकल कॉलेज में बुलाकर एमबीबीएस दाखिले के नाम पर 17 लाख की ठगी मामले की परत दर परत अब खुलने लगी है। वारदात में नोएडा के गिरोह का हाथ होने के बाद कुछ अहम खुलासे हुए हैं। पता चला है कि पीड़ित व्यक्ति व उसकी बेटी को मेडिकल कॉलेज में बुलाकर गिरोह के लोगों ने फर्जी काउंसलिंग कराई थी। इस दौरान सरगना सचिन ने खुद को पल्मोनॉजी विभाग का डीन जबकि अपने साथी राज विक्रम को प्रोफेसर बताया था। चौंकाने वाली बात यह कि यह पूरा खेल पल्मोनॉजी विभाग के एक कक्ष में हुआ, जिसमेें मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी भी शामिल थे।
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड सचिन सिंह है जो मौजूदा समय में फरार चल रहा है। दरअसल सचिन के संपर्क में ही न सिर्फ प्रयागराज बल्कि आगरा व झांसी मेडिकल कॉलेज के कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। जिन्हें मोटी रकम देकर उसने इस खेल में शामिल कर लिया था। सचिन व राज विक्रम आकर मेडिकल कॉलेज कर्मचारियेां से मिलते थे जो उन्हेें विभागीय कक्षों की चाबी सौंपते थे। इसके बाद यह पूरा खेल शुरू होता था। कोतवाली में दर्ज 17 लाख की ठगी मामले में के पीड़ित प्रतापगढ़ निवासी सुरेंद्र यादव व उनकी बेटी के साथ भी ऐसे ही खेल हुआ। सचिन व राजविक्रम शहर आए और फिर मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों की मदद से पल्मोनॉजी विभाग के कक्ष में जाकर बैठ गए। इस दौरान सचिन ने खुद को विभाग का डीन जबकि राज को प्रोफेसर बताया। इसके बाद पीड़ित की बेटी की फर्जी काउंसलिंग भी कराई।
60 हजार रुपये किराए पर लिया था ऑफिस
सूत्रों का यह भी कहना है कि फर्जीवाड़े के लिए इस गिरोह ने नोएडा के आलीशान इलाके में 60 हजार प्रति माह के किराये पर ऑफिस लिया था। उन्होंने नोएडा के आइथम टॉवर में द गाइडेंस नाम से अपना ऑफिस बनाया था। गिरोह का एक सदस्य सुनील 2008 में हुए मैक्स चिटफंड घोटाले में भी जेल गया था।
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