प्रयागराजकोरोना की दूसरी लहर में महामारी का शिकार बने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के स्वतंत्र सिंह की जिंदगी उनके एक दोस्त ने बचा ली। अप्रैल महीने में स्वतंत्र कोरोना की चपेट में आ गए थे। हालात ये थे कि डॉक्टरों ने भी कह दिया कि उनकी जान नहीं बच सकती लेकिन उनके दोस्त अभिषेक सिंह सोनू को इस बात का भरोसा था कि उनके दोस्त की कोरोना से जान नहीं जाएगी। उन्होंने डॉक्टरों से इलाज जारी रखने को कहा और इसका नतीजा ये हुआ कि स्वतंत्र सिंह कोरोना महामारी को हराकर जीवित और स्वस्थ हैं।ऑक्सीजन लेबल पहुंचा था 35स्वतंत्र जान बचने का पूरा श्रेय अपने दोस्त अभिषेक को देते हैं। दरअसल, प्रतापपुर के रहने वाले स्वतंत्र सिंह की 10 अप्रैल को तबीयत खराब हुई और उन्होंने पास के एक हॉस्पिटल में जांच कराई तो टाइफाइड निकला। डॉक्टर ने कहा कि इन्हें कोविड-19 नहीं है, लेकिन लगातार स्वतंत्र का ऑक्सीजन लेवल गिर रहा था। सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
ऐसे में उनके परिवार के लोग घबरा गए थे। उन्होंने स्वतंत्र के जिगरी दोस्त अभिषेक सिंह सोनू को फोन किया। फोन से एक बुलावे पर पहुंचेफोन के एक बुलावे पर अभिषेक प्रयागराज के सलोरी से सीधे अपने दोस्त के पास पहुंच गए। वे उन्हें कई अस्पतालों में लेकर भागते रहे। हर जगह कोरोना पेशेंट अधिक होने की वजह से जगह नहीं मिली। इसके बाद उन्हें जौनपुर में एक हॉस्पिटल में जगह मिली। वहां पर स्वतंत्र की कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनका इलाज शुरू हुआ लेकिन हालत में सुधार नहीं हो रहा था। फिर उन्हें वाराणसी के एक हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। तब तक ऑक्सिजन लेवल 35 पहुंच चुका था। डॉक्टरों ने दे दिया जवाबडॉक्टरों की टीम ने बोल दिया कि अब बचने की कोई उम्मीद नहीं है। इन सबके दौरान स्वतंत्र के दोस्त अभिषेक साये की तरह उनके साथ लगे रहे। उन्होंने डॉक्टरों से इलाज जारी रखने के लिए कहा। उस समय प्रयागराज उत्तर प्रदेश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित था। अस्पतालों में जगह नहीं थी। श्मशान घाटों पर लाइनें लग रही थीं और चारों ओर हाहाकार मचा था। इन परिस्थितियों में भी अभिषेक अपने दोस्त के साथ लगे रहे। उन्होंने दवा देने से लेकर एक्सरसाइज कराने तक में अपने दोस्त की मदद की। दोस्ती ने बचा ली जिंदगीयह दोस्ती ही थी, जो स्वतंत्र सिंह को मौत के मुंह से खींच लाई। स्वतंत्र यह बताते हुए रो पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि अभिषेक ने मुझे नई जिंदगी है। उन्होंने सिर्फ मेरी नहीं बल्कि मेरे अगल-बगल के मरीजों की भी सेवा की। अभिषेक के परिवार के लोग उन्हें रोकते रहे लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और अपने दोस्त की सेवा में लगे रहे। अभिषेक के दोस्ती के प्रति इस लगन को सभी लोगों से सराहना मिल रही है। लोग उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। स्वतंत्र का पूरा परिवार अभिषेक को दुआएं दे रहा है।
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