यूपी बोर्ड द्वारा छात्रों के नौवीं व ग्यारहवीं का रिजल्ट मांगे जाने के बाद बड़ी संख्या में स्कूलों ने नंबर देने में खेल कर दिया। स्कूलों ने छमाही ,वार्षिक परीक्षा में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को पास करने का तरीका खोज निकाला। परीक्षार्थियों को सीधे फोन करके दो बार हैलो-हैलो किया और दो सवाल पूछकर उनके सभी विषयों का मूल्यांकन पूराकर अंक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए। यही नहीं स्कूलों ने छात्रों के मोबाइल पर फोन करके छात्रों से कुछ सवाल पूछकर सभी विषयों में अंक देकर उन्हें पास भी कर दिया। ग्रामीण इलाकों के अधिकांश स्कूलों में 2020 में पूरे वर्ष कक्षाएं नहीं चलीं, तो पढ़ाई भी नहीं हुई। इसके बाद भी इन स्कूलों की ओर से मनमाने तरीके से वेबसाइट पर नंबर अपलोड कर दिए गए। अब यही नंबर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के छात्रों को परीक्षा की वैतरणी पार कराएंगे। शहर के एक नामी स्कूल के प्रधानाचार्य से जब बोर्ड की ओर से मांगे गए अंकों के बारे में बात की गई तो उनका था कि जो परीक्षाएं नहीं कराई गई थीं, उनके भी अंक विद्यालय की ओर से वेबसाइट पर भेज दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि घर बैठे बच्चों से मोबाइल पर दो सवाल पूछकर उन्हें नंबर दे दिए गए। शिक्षा विभाग एक बड़े अधिकारी की मानें तो यूपी बोर्ड से जुडे अधिकांश स्कूलों में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट की प्री बोर्ड, छमाही की परीक्षाएं नहीं कराई गईं। स्कूलों ने परीक्षा के बिना ही बोर्ड की ओर से मांगे गए अंक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए। इससे पहले नौवीं, ग्यारहवीं की परीक्षा भी स्कूलों ने नहीं कराई थी। स्कूलों ने बिना परीक्षा के ही नौवीं, ग्यारहवीं के अंक भेज दिए। स्कूलों की ओर से मनमाने तरीके से अंक भेजे जाने के बाद मेधावी छात्रों का कहना है कि मोबाइल पर दो सवाल पूछकर ही नंबर देने से उनके हित प्रभावित होंगे।कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश सरकार ने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाएं निरस्त कर दी हैं। परीक्षा निरस्त करने की आधिकारिक घोषणा से पहले बोर्ड सचिव की ओर से प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के छात्रों के प्री बोर्ड, छमाही के अंक के साथ एक वर्ष पहले की परीक्षाओं अर्थात नौवीं और ग्यारहवीं के छमाही, वार्षिक परीक्षा के अंक मांगे गए थे। बोर्ड द्वारा अंक मांगे जाने के बाद स्कूलों ने बिना किसी परीक्षा के एक मोबाइल कॉल पर छात्रों की परीक्षा लेकर बोर्ड को नंबर भेज दिए।
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यूपी बोर्ड द्वारा छात्रों के नौवीं व ग्यारहवीं का रिजल्ट मांगे जाने के बाद बड़ी संख्या में स्कूलों ने नंबर देने में खेल कर दिया। स्कूलों ने छमाही ,वार्षिक परीक्षा में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को पास करने का तरीका खोज निकाला। परीक्षार्थियों को सीधे फोन करके दो बार हैलो-हैलो किया और दो सवाल पूछकर उनके सभी विषयों का मूल्यांकन पूराकर अंक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए। यही नहीं स्कूलों ने छात्रों के मोबाइल पर फोन करके छात्रों से कुछ सवाल पूछकर सभी विषयों में अंक देकर उन्हें पास भी कर दिया।
ग्रामीण इलाकों के अधिकांश स्कूलों में 2020 में पूरे वर्ष कक्षाएं नहीं चलीं, तो पढ़ाई भी नहीं हुई। इसके बाद भी इन स्कूलों की ओर से मनमाने तरीके से वेबसाइट पर नंबर अपलोड कर दिए गए। अब यही नंबर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के छात्रों को परीक्षा की वैतरणी पार कराएंगे। शहर के एक नामी स्कूल के प्रधानाचार्य से जब बोर्ड की ओर से मांगे गए अंकों के बारे में बात की गई तो उनका था कि जो परीक्षाएं नहीं कराई गई थीं, उनके भी अंक विद्यालय की ओर से वेबसाइट पर भेज दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि घर बैठे बच्चों से मोबाइल पर दो सवाल पूछकर उन्हें नंबर दे दिए गए।
शिक्षा विभाग एक बड़े अधिकारी की मानें तो यूपी बोर्ड से जुडे अधिकांश स्कूलों में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट की प्री बोर्ड, छमाही की परीक्षाएं नहीं कराई गईं। स्कूलों ने परीक्षा के बिना ही बोर्ड की ओर से मांगे गए अंक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए। इससे पहले नौवीं, ग्यारहवीं की परीक्षा भी स्कूलों ने नहीं कराई थी। स्कूलों ने बिना परीक्षा के ही नौवीं, ग्यारहवीं के अंक भेज दिए। स्कूलों की ओर से मनमाने तरीके से अंक भेजे जाने के बाद मेधावी छात्रों का कहना है कि मोबाइल पर दो सवाल पूछकर ही नंबर देने से उनके हित प्रभावित होंगे।
कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश सरकार ने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाएं निरस्त कर दी हैं। परीक्षा निरस्त करने की आधिकारिक घोषणा से पहले बोर्ड सचिव की ओर से प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के छात्रों के प्री बोर्ड, छमाही के अंक के साथ एक वर्ष पहले की परीक्षाओं अर्थात नौवीं और ग्यारहवीं के छमाही, वार्षिक परीक्षा के अंक मांगे गए थे। बोर्ड द्वारा अंक मांगे जाने के बाद स्कूलों ने बिना किसी परीक्षा के एक मोबाइल कॉल पर छात्रों की परीक्षा लेकर बोर्ड को नंबर भेज दिए।
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