एक माह के ग्रीष्मावकाश के बाद सोमवार से हाईकोर्ट खुल जाएगा। मुकदमों की सुनवाई के लिए 16 अदालतें बैठेंगी, जिनमें सिर्फ वर्चुअल सुनवाई होगी। सामान्यत: हाईकोर्ट में ग्रीष्म अवकाश एक जून से होता है, लेकिन कोविड का संक्रमण बढ़ने के कारण मई में ही ग्रीष्मावकाश घोषित कर दिया गया था। वहीं दूसरी ओर सोमवार से दीवानी अदालतें भी खुल जाएंगी, लेकिन इन अदालतों में भी मुकदमों की सुनवाई वर्चुअल मोड में होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुरू हो सकती है मुकदमों की लाइव स्ट्रीमिंग
इलाहाबाद हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण शुरू किया जा सकता है। हाईकोर्ट प्रशासन इस पर विचार कर रहा है। सुप्रीमकोर्ट की ई कमेटी ने भी मुकदमों की सुनवाई के सीधे प्रसारण पर उच्च न्यायालयों से सुझाव मांगे है। एक अधिवक्ता की ओर से दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के वकील ने पीठ को बताया कि इस मुद्दे पर प्रशासनिक स्तर से विचार चल रहा है। सुप्रीमकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश से सुझाव मांगे हैं। जिस पर विचार चल रहा है। अधिवक्ता और विधि संवाददाता अरीबुद्दीन व चार अन्य विधि छात्रों की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की पीठ ने सुनवाई की। हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए अधिवक्ता आशीष मिश्र ने पीठ को बताया कि सुप्रीमकोर्ट की ई कमेटी ने इस संबंध में पांच दिन पूर्व दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उसके तहत मुकदमों की सुनवाई के सीधे प्रसारण के मुदे पर विचार और सुझाव देने की प्रक्रिया शुरू की गई है।याचिका में यह भी मांग की गई है कि पत्रकारों को भी कोर्ट रूम में जाने की अनुमति दी जाए और उनका इंट्री पास बनाया जाए। कोर्ट रूम से लाइव अपडेट की अनुमति दी जाए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट की ओर से इसके जवाब में कहा गया कि कोर्ट में जाने पर कोई रोक नहीं है। याचिका पर छह सप्ताह के बाद 27 जुलाई को सुनवाई होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों में सुनवाई के लिए जारी किया दिशा निर्देश
हाईकोर्ट प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद प्रदेश की सभी जिला अदालतों, अधीनस्थ अधिकरणों में मुकदमों की सुनवाई के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। महानिबंधक आशीष गर्ग की अधिसूचना के अनुसार न्यूनतम स्टाफ व अधिकतम आठ न्यायिक अधिकारियों से रोटेशन के आधार पर जरूरी मामलों की सुनवाई करने को कहा गया है। ये न्यायालय अतिआवश्यक नए मुकदमे, जमानत प्रार्थनापत्र, अवमुक्ति अर्जी, सीआरपीसी की धारा 164 के बयान, रिमांड, आपराधिक अर्जियों का निस्तारण, निषेधाज्ञा और जरूरी सिविल मामलों की सुनवाई करेंगे।नए मुकदमों की सुनवाई जरूरी होने की अर्जी स्थानीय स्तर पर तय की जाएगी। सभी आदेश सीआईएस पर अपलोड किए जाएंगे। बंधपत्र आदि स्वीकार करने का तंत्र स्थानीय स्तर पर तय होगा। जिला जज पेन्डेमिक गाइडलाइंस के तहत सुनिश्चित करेंगे कि 33 फीसदी से अधिक स्टाफ कोर्ट परिसर न आए। इस गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करने का निर्देश भी दिया गया है। संवाद
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