पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सिर्फ बाघ, तेंदुआ, भालू ही नहीं, बल्कि सांपों का एक अद्भुत संसार भी बसता है। वन्यजीव संरक्षण पर कार्य कर रही संस्था टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी के मुताबिक पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अब तक सांपों की 16 प्रजातियां चिह्नित की जा चुकी है। इनमें अजगर से लेकर चुटकी में आ जाने वाला 170 मिमी आकार का कॉमन ब्लाइंड सांप भी मौजूद है। इसके अलावा अन्य दुर्लभ प्रजाति के सांपों का भी कुनबा रहता है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व अपनी जैव विविधता और बेहतर जलवायु की वजह से वन्यजीवों के लिए काफी मुफीद साबित हो रहा है। यही वजह है कि यहां वन्यजीवों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। सिर्फ बाघों की ही बात करें तो पीटीआर चार साल में बाघों की संख्या दोगुनी होने को लेकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर टीएक्सटू अवार्ड भी हासिल कर चुका है। वन्यजीवों के अलावा यहां पक्षियों और तितलियों की कुछ ऐसी प्रजातियां पाई जाती हैं जो शेड्यूल वन की श्रेणी में आती हैं। पीटीआर और उसके आसपास क्षेत्र में सरीसृप वर्ग के जीव भी पाए जाते हैं। इन दिनों पीटीआर और उसके आसपास के आबादी वाले क्षेत्रों में सांपों के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया है। हालांकि इससे लोगों में डर का माहौल बन गया है, वहीं वन विभाग के लिए इन सांपों को बचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है।
पीटीआर व आसपास 16 प्रजातियां हो चुकी चिह्नित
पीटीआर और आसपास के इलाकों में विभिन्न तरह के सांपों की 16 प्रजातियां चिह्नित हो चुकी हैं। वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी संस्था टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद अख्तर मियां खान ने बताया कि इन 16 प्रजातियां को 2003 से लेकर 2020 तक के बीच चिह्नित किया गया है। इनमेें शेड्यूल वन की श्रेणी में शामिल विशालकाय अजगर से लेकर महज 170 मिलीमीटर लंबा कॉमन ब्लाइंड स्नेेक भी शामिल है। जहरीले सांपों में नाग, रसेल वाइपर और करैत को चिह्नित किया गया है। उनके मुताबिक 16 प्रजातियों में कुछ तो पीटीआर में पाई गई हैं, जबकि कुछ प्रजातियां आबादी, बागों और खेतों में पाई गई। उनके मुताबिक अभी तक किंग कोबरा के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
दुर्लभ रेड कोरल कुकरी भी है मौजूद
पीटीआर में दुर्लभ प्रजाति का रेड कोरल कुकरी सांप भी पाया जाता है। हालांकि वन विभाग द्वारा 2004-05 में देखा गया था, मगर टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी ने इसे 2020 में खोजकर चिह्नित किया। सोसायटी अध्यक्ष मोहम्मद अख्तर मियां खान के मुताबिक वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची चार के तहत सूचीबद्ध यह सांप रात्रिचर होने के साथ लाल और चमकीले ऑरेंज कलर का होता है। यह अधिकांशत: वनों में पाया जाता है। इसका प्रमुख भोजन उल्लू है।
पीलीभीत। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सिर्फ बाघ, तेंदुआ, भालू ही नहीं, बल्कि सांपों का एक अद्भुत संसार भी बसता है। वन्यजीव संरक्षण पर कार्य कर रही संस्था टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी के मुताबिक पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अब तक सांपों की 16 प्रजातियां चिह्नित की जा चुकी है। इनमें अजगर से लेकर चुटकी में आ जाने वाला 170 मिमी आकार का कॉमन ब्लाइंड सांप भी मौजूद है। इसके अलावा अन्य दुर्लभ प्रजाति के सांपों का भी कुनबा रहता है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व अपनी जैव विविधता और बेहतर जलवायु की वजह से वन्यजीवों के लिए काफी मुफीद साबित हो रहा है। यही वजह है कि यहां वन्यजीवों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। सिर्फ बाघों की ही बात करें तो पीटीआर चार साल में बाघों की संख्या दोगुनी होने को लेकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर टीएक्सटू अवार्ड भी हासिल कर चुका है। वन्यजीवों के अलावा यहां पक्षियों और तितलियों की कुछ ऐसी प्रजातियां पाई जाती हैं जो शेड्यूल वन की श्रेणी में आती हैं। पीटीआर और उसके आसपास क्षेत्र में सरीसृप वर्ग के जीव भी पाए जाते हैं। इन दिनों पीटीआर और उसके आसपास के आबादी वाले क्षेत्रों में सांपों के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया है। हालांकि इससे लोगों में डर का माहौल बन गया है, वहीं वन विभाग के लिए इन सांपों को बचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है।
पीटीआर व आसपास 16 प्रजातियां हो चुकी चिह्नित
पीटीआर और आसपास के इलाकों में विभिन्न तरह के सांपों की 16 प्रजातियां चिह्नित हो चुकी हैं। वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी संस्था टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद अख्तर मियां खान ने बताया कि इन 16 प्रजातियां को 2003 से लेकर 2020 तक के बीच चिह्नित किया गया है। इनमेें शेड्यूल वन की श्रेणी में शामिल विशालकाय अजगर से लेकर महज 170 मिलीमीटर लंबा कॉमन ब्लाइंड स्नेेक भी शामिल है। जहरीले सांपों में नाग, रसेल वाइपर और करैत को चिह्नित किया गया है। उनके मुताबिक 16 प्रजातियों में कुछ तो पीटीआर में पाई गई हैं, जबकि कुछ प्रजातियां आबादी, बागों और खेतों में पाई गई। उनके मुताबिक अभी तक किंग कोबरा के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
दुर्लभ रेड कोरल कुकरी भी है मौजूद
पीटीआर में दुर्लभ प्रजाति का रेड कोरल कुकरी सांप भी पाया जाता है। हालांकि वन विभाग द्वारा 2004-05 में देखा गया था, मगर टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी ने इसे 2020 में खोजकर चिह्नित किया। सोसायटी अध्यक्ष मोहम्मद अख्तर मियां खान के मुताबिक वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची चार के तहत सूचीबद्ध यह सांप रात्रिचर होने के साथ लाल और चमकीले ऑरेंज कलर का होता है। यह अधिकांशत: वनों में पाया जाता है। इसका प्रमुख भोजन उल्लू है।
2003 से लेकर गत वर्ष तक सांपों की 16 प्रजातियां चिह्नित की गई हैं। इसमें कुछ शेड्यूल वन के भी सांप देखे गए हैं। मौजूदा समय में सांपों का प्रजनन काल चल रहा है। यह अधिकांशत: वर्षाकाल में ही देखे जाते हैं। भोजन की तलाश में ही यह बाहर निकलते हैं और इसी वजह से सर्पदंश की घटनाएं बढ़ती हैं। सावधानी बरतने से ही इनसे बचा जा सकता है।
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