लखनऊकोरोना संक्रमण ने तमाम नाबालिगों के सिर से माता या पिता या दोनों का ही साया छीन लिया है। ऐसे बच्चों के सुनहरे भविष्य पर भी संक्रमण लगता दिख रहा है। एनबीटी ने ऐसे कई परिवारों का हाल जानने का प्रयास किया। इसमें कई ऐसे पीड़ित परिवार मिले जिनके सामने बच्चों को पढ़ाना और बेहतर परवरिश देना तो दूर पेट भरना भी चुनौती बन चुका है। इस बीच प्रदेश सरकार ने ऐसे ही बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए सीएम बाल सेवा योजना शुरू की है। इसके तहत आर्थिक सहायता से लेकर पढ़ाई और विवाह तक का खर्च सरकार वहन करेगी। अनाथ बच्चों को सुरक्षा और संरक्षण देगी टास्क फोर्सकोविड-19 के संक्रमण के चलते अपनों को खो चुके अनाथ और प्रभावित बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए डीएम अभिषेक प्रकाश ने टास्क फोर्स गठित की है। डीएम ने प्रभावित बच्चों के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के सुचारु संचालन के लिए सीडीओ और तहसीलों के एसडीएम को नोडल अधिकारी बनाया है। इसके अलावा पात्र लाभार्थियों का आवेदन करवाने के लिए निगरानी समितियों की भी मदद ली जा रही है।मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत आवेदनकलेक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार को गठित जिला टास्क फोर्स की बैठक में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से संबंधित दिशा-निर्देश का पीपीटी के माध्यम से प्रजेंटेशन किया गया। डीएम ने इस योजना को सुचारू रूप से लागू करने के लिए जिला स्तर पर सीडीओ और तहसील स्तर पर एसडीएम को नोडल अधिकारी नामित किया है। इसके अलावा निगरानी समिति से सर्वे करवाकर लाभार्थियों के आवेदन पत्र भरवाकर शहरी क्षेत्र में एसडीएम और ग्रामीण क्षेत्र में खण्ड विकास अधिकारी के माध्यम से सत्यापित कर उपलब्ध करवाए जाएंगे। प्रत्येक सप्ताह तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी और ब्लॉक स्तर पर खण्ड विकास अधिकारी समीक्षा करेंगे।लखनऊ के कुछ मामलेकेस नंबर 1- 8 मई की रात पापा को तेज बुखार आया। सांस फूलने लगी। अस्पताल ले जाने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। अलीगंज निवासी नाबलिग बहनों की उम्र महज 14 और 15 वर्ष है। पिता का साया छिनने से दोनों के पालन-पोषण का संकट मंडराने लगा है।केस नंबर 2- दुबग्गा निवासी 13 वर्षीय किशोर के अनुसार पापा को कई दिन से बुखार था। 21 अप्रैल की सुबह मां उन्हें चाय देने गईं, लेकिन पापा की सांस थम चुकी थी। मां सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकीं और दो दिन बाद उन्होंने भी दम तोड़ दिया। माता-पिता किराए पर रहते थे। अब नानी के पास रहता हूं।केस नंबर 3- माल के कसमण्डी गांव निवासी महिला के पति ईंट भट्ठे पर काम करते थे। एक दिन तबीयत खराब हुई और फिर तेज बुखार आया। तीन दिन के अंदर ही मौत हो गई। अकेली रह गई महिला के सामने पांच बच्चों को पालने की चुनौती है। योजना के तहत तीन बच्चों को लाभ मिलेगा।अब तक 75 बच्चे ही तलाशेसीएम बाल सेवा योजना के तहत दस वर्ष से कम उम्र के बच्चे का कोई अभिभावक न होने पर बाल गृह में रखवाया जाएगा। लड़कियों को अलग से आवासीय सुविधा मिलेगी। स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा जारी रखने के साथ ही योजना के तहत आवश्यकतानुसार लैपटॉप, टैबलेट आदि भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। राज्य बाल आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी के अनुसार योजना के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरह से आवेदन किया जा सकता है। राजधानी से अब तक 75 बच्चों की सूची मिली है।आपके आसपास ऐसा कोई बच्चा है हमें बताएंएनबीटी कोरोना काल में माता-पिता को खो चुके बच्चों की व्यथा इसलिए प्रकाशित कर रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ मिल सके। अगर आपके आसपास कोई ऐसा बच्चा है तो हमें ई-मेल आईडी[email protected] पर इसकी जानकारी दें। हम ऐसे बच्चों की बात जिम्मेदारों तक पहुंचाएंगे। बुजुर्गों का कौन बनेगा सहारादो बेटों और बहुओं के साथ ही पोते-पोती से भरे परिवार में रहने वाले अलीगंज निवासी बुजुर्ग दंपती की खुशियां कोरोना की लहर में बह गईं। दोनों बेटों और बड़ी बहू की मौत के बाद चार पोते-पोतियों का जिम्मा बुजुर्ग दंपती पर आ गया है। कमाई का कोई साधन न होने से बच्चों को पालना तो दूर खुद की दवा और खाने तक के लाले पड़ गए हैं। सीएम बाल सेवा योजना के तहत बच्चों को तो सहारा मिल जाएगा, लेकिन बुजुर्ग दंपती का क्या होगा। बेटे-बहू की मौत, बाबा-दादी पर 4 बच्चों का जिम्माअलीगंज निवासी बुजुर्ग के अनुसार दो बेटे, बहुओं और पोती-पोते थे। सबसे पहले बड़ा बेटा 1 अप्रैल को संक्रमित हुआ और एक सप्ताह में मौत हो गई। इसके ठीक एक सप्ताह उसकी पत्नी यानी बड़ी बहू की मौत हो गई। बिना मां-बाप के बेटे-बेटी को बुजुर्ग दंपती ने संभाला। दोनों को चाचा का भी सहारा था। हालांकि पंद्रह दिन बाद छोटे बेटे की भी कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। अब बच्चों के साथ ही बुजुर्ग दंपती भी बेसहारा हो गए हैं। चंद दिनों में पूरा परिवार उजड़ गया। बुजुर्ग दंपती को समझ नहीं आ रहा कि खुद के साथ ही पोते-पोतियों को कैसे संभाले। घर का खर्च चलाने वाला कोई भी नहीं है। अलीगंज निवासी बुजुर्ग दंपती की तरह ही कई अन्य भी अपने जवान बेटों को खोने के बाद सदमे में हैं। समझ नहीं आ रहा कि अब क्या करें। ऐसे बुजुर्ग भी सरकार से मदद की उम्मीद लगाए हैं।कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के लिए पहल
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