नोएडा नोएडा के आइथम टावर सेक्टर-62 में 25 मई को पकड़ा गया अवैध टेलिकॉम एक्सचेंज रैकेट का मास्टरमाइंड ओवैस आलम तेजी से फर्जीवाड़े का रैकेट फैला रहा था। वह अपने जानकारों और रिश्तेदारों को काले कारोबार में लाता था। फिर अपनी कमीशन तय कर उनको फ्रेंचाइजी की तरह एक्सचेंज से लेकर कॉल सेंटर तक का सेटअप और ठिकाना उपलब्ध करवा देता था। हर जगह पर सीसीटीवी लगवाता था, फिर मोबाइल से सीसीटीवी के जरिए निगरानी करते हुए संचालन करने वालों को कमांड देता रहता था। यही नहीं वह इतना बड़ा नटवर लाल भी है कि पकड़े जाने पर जेल जाने तक पुलिस की पूछताछ में कुछ खास सॉफ्टवेयर की आईडी से लेकर मोबाइल नंबर तक भी गलत बता गया। अब यह बात पुलिस की पड़ताल में सामने आ रही है।ओवैस के फैलाए नेटवर्क में दो एक्सचेंज और एक कॉल सेंटर आइथम टावर में पकड़ा गया। एक एक्सचेंज सेक्टर-63 में और एक एक्सचेंज मुरादाबाद में पकड़ा जा चुका है। और भी कुछ ऐसे अवैध गतिविधियों से जुड़े हुए उसके ठिकाने होने की आशंका पुलिस को है। इसके साथ ही इंटरनैशनल कॉलिंग कार्ड के बिजनस से जुड़े मोसिन तक भी ओवेस के किसी नजदीकी के क्लू से ही पहुंचना मुमकिन है। मोसिन ही इसके सभी टेलिकॉम एक्सचेंज पर अरब देशों की आईएसडी कॉल को लैंड करवाता था। फिर उसके दिए गए सॉफ्टवेयर से यह लोकल में बदलती थी।राजनीति में बनाना चाहता था पकड़ पुलिस के मुताबिक बुधवार को पकड़े गए आरोपी में शाहनूर ओवेस का रिश्तेदार है। इस बार ओवेस ने शाहनूर से प्रधानी का चुनाव लड़वाया था। यह चुनाव शाहनूर के परिवार के किसी सदस्य के नाम पर लड़ा गया। उसमें भी करीब 30 लाख रुपये काले कारोबार से निकाल कर खर्च किए गए। लेकिन चुनाव हार गए।ब्रॉडबैंड कनेक्शन से पकड़ा गया कॉल सेंटर और टेलिकॉम एक्सचेंज आइथम टावर में पिछले दिनों पकड़े गए टेलिकॉम एक्सचेंज का कुछ डेटा पुलिस और अन्य जांच एजेंसी रिकवर कर रही थीं। इस दौरान आइथम टावर में हुए कनेक्शन का ब्यौरा पुलिस ने निकलवाया। इसमें एक ब्राडबैंड कनेक्शन जो तीन-चार महीने पहले हुआ था। पुलिस ने आगे यह पता किया कि यह कनेक्शन किसके दफ्तर में है। तब यह जानकारी सामने आई कि यह दफ्तर ओवेस आलम ने 80 हजार रुपये प्रति महीने किराए पर लिया है। इसके बाद पुलिस को यहां पर कॉल सेंटर संचालन की जानकारी हुई और दोनों आरोपी बुधवार को पकड़े गए। इसके पहले जो अवैध टेलिकॉम एक्सचेंज आइथम टावर की 8वीं मंजिल पर पकड़ा गया था वह दफ्तर ओवेस ने अपने नाम पर ही खरीद कर दस्तावेज में किराए पर उठाया हुआ था।
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