राशिद जहीर, मेरठउत्तर प्रदेश के मेरठ में कुरआन के साथ-साथ वेदों की भी तालीम देने वाले मौलाना शाहीन जमाली का बुधवार को इंतकाल हो गया। वह काफी समय से बीमार थे और मेरठ के आनंद हॉस्पिटल में भर्ती थे। उर्दू और अरबी के साथ संस्कृत के भी जानकार मौलवी शाहीन जमाली चतुर्वेदी के नाम से भी मशहूर थे। वह अपने मदरसे इमदादुल इस्लाम में मंत्रोच्चारण के साथ गणतंत्र दिवस दिवस पर ध्वजरोहण करते थे। चारों वेदों का ज्ञान रखने वाले मौलाना शाहीन जमाली चतुर्वेदी अपने मदरसे में शिष्यों को वेदों का ज्ञान भी देते थे। मेरठ के सदर बाजार क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल थे। स्थानीय लोग बताते हैं कि सभी समाज-समुदाय के लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। मौलाना फजलुर रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी ने अपने मदरसे की तालीम देवबंद यूनिवर्सिटी से आलिम के रूप में पूरी की थी। साथ ही उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एमए भी किया था। गुरु को नेहरू ने दी थी ‘पंडित’ की उपाधिचारों वेदों का अध्ययन करने की वजह से लोग उन्हें ‘चतुर्वेदी’ भी बुलाते थे। वह अपने मदरसे में प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्त थे। मौलाना चतुर्वेदी के गुरु को ‘पंडित’ की उपाधि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दी थी। मौलाना चतुर्वेदी बताते थे कि उन्होंने पंडित बशीरुद्दीन से संस्कृत की शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कैंपस मिली थी और उनके उपनाम चतुर्वेदी की उपाधि उनके उस्ताद ने ही दी थी। इसी तरह उनके उस्ताद बशीरुद्दीन को ‘पंडित’ की उपाधि देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दी थी। मौलाना चतुर्वेदी के मदरसे में लगभग 200 छात्र हैं, जो अलग-अलग राज्यों से आकर वेद और अरबी, फारसी, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू की तालीम हासिल करते हैं। इस मदरसे में हाफिज कारी और आलिम की डिग्री मिलती है। वहीं मदरसे के छात्रों को चारो वेदों की भी शिक्षा दी जाती है। सर्वधर्म के समेलनों में हिस्सा लेते थे मौलानामौलाना शाहीन जमाली अक्सर धार्मिक विषयों पर देश के सर्वधर्म संस्कृति सम्मेलनों में हिस्सा लेते रहते थे। बताते हैं कि ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां पर वह प्रेम-संप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारा कायम करने के लिए न गए हों। मौलाना शाहीन जमाली देवबंद के समाचार पत्र में चीफ एडिटर भी रहे और इसे चलाया भी। धार्मिक सामाजिक और अन्य कई विषयों पर मौलाना शाहीन जमाली ने एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकें भी लिखीं। इन पुस्तकों में इस्लाम और हिंदू धर्म के बीच जो गलतफहमी है उनको दूर करने की कोशिश भी मौलाना शाहीन जमाली ने की।मौलाना चतुर्वेदी एअपने मदरसे में हर साल 15 अगस्त को ध्वजारोहण करते थे। देश में भड़काऊ नारों से देश की फिजा बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के वह सख्त खिलाफ थे। उनके निधन से पूरा मेरठ जिला शोक में हैं और शहर की सभी गणमान्य हस्तियों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। बुधवार देर रात उन्हें नजदीकी कब्रिस्तान में दफन किया जाएगा।
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